अब ऐसा लग रहा है कि हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान को अनुच्छेद 370 के विशेषाधिकार संबंधी प्रावधान हटाये जाने के बाद अपने वास्तविक ताकत का आभास हो चुका है। हाल ही में पाकिस्तान के विदेश मंत्री, शाह महमूद कुरैशी ने आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेहरू के भारत को दफना दिया है।
कश्मीर पर एक उच्च स्तरीय मीटिंग में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए शाह महमूद कुरैशी ने कहा, ‘नरेंद्र मोदी ने नेहरू के हिंदुस्तान को दफन कर दिया है। हिंदुस्तान की नीति अब डोवाल डॉक्ट्रीन पर चलती है’। इसके आगे उन्होने बताया कि पाक की संसद ने कश्मीर में स्थिति को देखते हुए संयुक्त बैठक की घोषणा की है। “संसद में हम एकजुट थे। यही एकजुकता आज की मुलाकात में भी हमनें दिखाई है”।
इन बातों से साफ दिखाई देता है कि पड़ोसी देश पाकिस्तान भारत के साहसिक कदमों से कितना बौखलाया हुआ है। गौरतलब है कि गृहमंत्री अमित शाह ने 5 अगस्त को राज्यसभा में एक विशेष सत्र के दौरान ये घोषणा की कि अनुच्छेद 370 के विशेषाधिकार संबंधी प्रावधानों को निष्क्रिय कर दिया गया है और इसके साथ ही लद्दाख एवं जम्मू कश्मीर को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का निर्णय लिया गया है। इस फैसले को रोकना तो दूर की बात है, देश में पाकिस्तान परस्त बुद्धिजीवियों एवं राजनेताओं को इस इस फैसले की भनक तक नहीं लगने दी गयी। ऐसा साहसिक निर्णय क्या नेहरू के भारत में संभव था?
जवाहरलाल नेहरू के शासनकाल में भारत आर्थिक, रक्षात्मक और कूटनीतिक मोर्चों पर पूरी तरह विफल था, जिसका सबसे ज़्यादा फ़ायदा हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन ने ही ने उठाया। यह नेहरू की प्रशासनिक निष्क्रियता का ही फल था कि अवसर होने के बावजूद भारतीय सेना को पाकिस्तान के कब्ज़े में पड़े कश्मीर पर कार्रवाई करने की अनुमति नहीं दी गयी। नेहरू के बाद की अधिकांश सरकारों में कांग्रेस का वर्चस्व था, जिसके कारण पाकिस्तान को कश्मीर घाटी में आतंकवाद फैलाने में न केवल आसानी होती थी, बल्कि उसे पता था कि भारत प्रत्युत्तर में कोई ठोस कदम नहीं उठा पाएगा।
लेकिन नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तान की यह धारणा हमेशा के लिए मिट्टी मिला दी गई। पीएम मोदी और उनके विश्वासपात्र एनएसए अजीत डोवाल की जुगलबंदी में भारतीय सैन्यबलों को आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूरी स्वतन्त्रता दी गयी।
इसका परिणाम 2016 और 2019 में प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिला, जब उरी और पुलवामा जैसे आतंकी हमलों के जवाब में भारतीय सेना और भारतीय वायुसेना ने क्रमश: पीओके और पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में स्थित आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। इसके साथ ही साथ कश्मीर घाटी से आतंकवाद एवं अलगाववाद को हटाने के लिए भारतीय सुरक्षाबलों को भी डोवाल डॉक्ट्रीन के अंतर्गत खुली छूट दी गई है। अब यह हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान को भला कैसे अच्छा लगेगा? बताईये?
यहीं नहीं, पीएम मोदी, वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और एनएसए अजीत डोवाल ने मिलकर जिस तरह अनुच्छेद 370 के विशेषाधिकार संबंधी प्रावधानों को हटाया, वो अपने आप में एक मिसाल है। इस निर्णय को पूरी तरह गोपनीय बनाए रखना अपने आप में एक चुनौती थी, जो नेहरू के हिंदुस्तान में निस्संदेह असंभव था। अब मोदी के नए भारत में न केवल आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है, बल्कि सीमापार बैठे उनके आकाओं की भी चिंताए बढ़ गई हैं।