मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में कड़े फैसलों को लेकर कुछ ज्यादा ही सक्रिय नजर आ रही है। पहले अफसरशाही को दो टूक सुनाने के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रियों को भी साफ कह दिया है कि संसदीय ड्यूटी को निभाना अनिवार्य है। इसके साथ ही उन्होंने अपनी सरकार की साफ-सुथरी छवि बरकरार रखने की कोशिशों में लगे हुए हैं। जिन मुद्दों पर चुनाव लड़ कर दोबारा सत्ता में यह सरकार आई है अब लगातार उन्हीं मुद्दों पर एक्शन ले रही है। अनुच्छेद 370 और आतंकवाद जैसे बड़े मुद्दों पर फैसला लेने के बाद अब मोदी सरकार देश के अंदर हो रहे भाई-भतीजावाद के कारण भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने की शुरुआत अपने मंत्रियों को नशीहत देकर शुरू कर दी है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने मंत्रियों को मीडिया में सोच समझ कर दावे करने का कड़ा संदेश दिया है।
दरअसल, बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल की बैठक की जिसमें उन्होंने मंत्रियों को कई निर्देश दिये। उन्होंने कड़े शब्दों में नशीहत दी कि मीडिया के सामने ऐसे दावे न करें जिसे तथ्यों द्वारा स्थापित ही न किया जा सके। इसके साथ ही उन्होंने सभी मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री और राज्य मंत्रियों के बीच बेहतर समन्वय पर भी ज़ोर दिया। उन्होंने मंत्रियों से कहा कि उनका संवाद अपने मंत्रालयों के सचिवों जैसे शीर्ष अधिकारियों तक सीमित नहीं होनी चाहिए। उनका संवाद पदक्रम में अपेक्षाकृत निचले स्तर के अधिकारियों जैसे संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों से भी होना चाहिए ताकि इन अधिकारियों को लगे कि वे भी टीम का हिस्सा हैं। इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि मंत्रियों को चाहिए कि वे अधिकारियों के बेहतर काम की समय-समय पर सराहना करें।
हालांकि जिस मुद्दे पर उन्होंने सबसे ज्यादा ज़ोर दिया वह है मंत्रियों को भाई-भतीजावाद से बचने की नशीहत। प्रधानमंन्त्री ने स्पष्ट निर्देश दिया कि मंत्री अपने संबंधित मंत्रालयों में या विभागों में सलाहकारों की भूमिका में अपने रिश्तेदारों को नियुक्त ना करें। भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार को खत्म करने के नारे के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार ने मंत्री परिषद को सख्त निर्देश दिया है कि मंत्रीगण अपने मंत्रालयों में सलाहकारों की भूमिका में अपने रिश्तेदारों को शामिल करने से बचे।
बता दें कि मोदी सरकार का शुरू से ही यह नारा रहा है कि देश में भाई-भतीजावाद और इससे होने वाले भ्रष्टाचार को खत्म करना होगा। स्वतन्त्रता दिवस पर भी प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, ‘भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद देश के लिए खतरा है। यह दीमक की तरह देश में घुस गया है। इसे निकालने की कोशिश की जा रही है, लेकिन यह बीमारी अंदर तक है और गहरी है। इसके लिए कई बार कोशिश करनी होगी, यह एक बार में खत्म होने वाली चीज नहीं है।’
गौरतलब है कि देश में अभी तक जीतने भी घोटाले हुए हैं उन सब में सबसे बड़ा हाथ भाई-भतीजावाद का ही रहा है। चाहे वह 2जी घोटाला हो, कोयला घोटाला हो या फिर रेलवे घोटाला, इन घोटालों में विभाग से संबंधित मंत्रियों और उनके रिश्तेदारों पर कई संगीन आरोप लगे थे और भविष्य में मोदी सरकार के मंत्रियों पर भी ऐसा दाग न लगे इसलिए प्रधानमंत्री मोदी ने सभी को पहले ही सचेत कर दिया है। देश में हुए बोफोर्स घोटाला, यूरिया घोटाला, चारा घोटाला, सत्यम घोटाला, स्टैंप पेपर घोटाला, कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला, 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, अनाज घोटाला, और कोयला खदान आवंटन घोटाला जैसे भ्रष्टाचार में कही न कही भाई-भतीजावाद ही था। मोदी सरकार अब इस कोशिश में जुट गयी है कि भाजपा भी आम आदमी पार्टी कि तरह ही भ्रष्टाचार की लड़ाई लड़ते-लड़ते कहीं खुद ही न भ्रष्ट हो जाए। प्रधानमंत्री मोदी और शीर्ष नेतृत्व इस बात पर पूरा ध्यान दे रहे हैं और देश हित में फैसले ले रहे हैं। इस दौरान उन्होंने अपने मंत्रियों को फिजूल खर्ची से बचने को भी कहा है। पीएम मोदी ने ‘गुड गवर्नेंस’ के लिए मिलजुल कर काम करने पर जोर दिया और अधिकारियों से कहा है कि वे अपने सुझावों के साथ उनसे मिलने को स्वतंत्र हैं। प्रधानमंत्री समय-समय पर अपने मंत्रियों की रिपोर्ट कार्ड लेते रहते हैं जिसमें वे उन्हें देश की जनता के लिए काम करने के वादे को पूरा करने का निर्देश देते रहते हैं। यह हमारे देश के लोकतन्त्र और गुड गवर्नेंस शुभ संकेत है।