पीएम मोदी ने जनसंख्या विस्फोट पर जताई चिंता, भारत को डेमोग्राफिक कब्जे से बचाने का संकेत

जनसंख्या पीएम मोदी

PC: Livemint

दूसरी बार प्रचंड बहुमत के साथ चुनाव जीतने के बाद अपने दूसरे कार्यकाल के पहले स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से  कई अहम बातें कहीं। 73वें स्वतंत्रता दिवस के दौरान बृहस्पतिवार को पीएम मोदी ने राष्ट्र को अपने सम्बोधन में स्वास्थ्य के क्षेत्र में डॉक्टरों की भारी कमी को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य सुधार, भू-जल के संकट से लेकर रक्षा क्षेत्र में सुधार तक की चर्चा की। लेकिन सबसे अहम बात जो उन्होंने अपने संबोधन में कहा वो है जनसंख्या विस्फोट, जिसके बारे में सभी पार्टियां बातचीत करने से भी डरती हैं।

पीएम मोदी ने अपने भाषण के दौरान कहा, ‘जनसंख्या विस्फोट हमारी और आने वाली पीढ़ी के लिए अनेक नए संकट पैदा करने वाला है। लेकिन ये बात माननी होगी कि हमारे देश में एक जागरूक वर्ग है, जो इस बात को भलीभांति समझता है।’  पीएम मोदी ने कहा कि तेजी के साथ बढ़ती हुई जनसंख्या पर हमें आने वाली पीढ़ी के लिए सोचना होगा। सीमित परिवार से न सिर्फ खुद का बल्कि देश का भी भला होगा।

आज भारत में जनसंख्या नियंत्रण एक जरूरत है जिसे लागू करना अति आवश्यक है। जनसंख्या के मामले में भारत दुनिया का दूसरा बड़ा देश है और जिस गति से देश में जनसंख्या बढ़ रही है जल्द ही हमारा देश चीन को भी पछाड़ देगा क्योंकि देश की आबादी बढ़ने की दर बहुत ज़्यादा है।

लेकिन उससे भी बड़ी बात यह है कि जनसंख्या बढ़ने के दूसरे कारक और भी ज्यादा ख़तरनाक हैं। फ़िलहाल देश की जनसंख्या वृद्धि की सालाना दर 1.90 प्रतिशत है। यह पहले से बहुत कम है, हालांकि इस दौरान मृत्यु दर काफी कम हुई है और स्वास्थ्य सेवाएं भी बेहतर हुई हैं। जनसंख्या का बढ़ना अपने साथ कई तरह के संकट लाता है, शहरीकरण-रोजगार-पैदावार-पर्यावरण ना जाने कितनी ऐसी चीज़ें हैं जिन पर जनसंख्या वृद्धि की वजह से असर पड़ता है।

बता दें कि हमारे देश में जनसंख्या नियंत्रण पर संवाद करना भी निषेध माना जाता है और बात जब डेमोग्राफी परिवर्तन की आती है तो ऐसा माना जाता है कि इसका नाम लेकर कोई पाप कर दिया हो। जब भी हिंदुओं की गिरती हुई और कुछ विशेष वर्ग की बढ़ती हुई आबादी की बात होती है तो देश के तमाम बुद्धिजीवियों को यह लगता है कि यह दक्षिण पंथ का मुस्लिमों के खिलाफ एक षड्यंत्र है। लेकिन इस पर बात करना अति आवश्यक है क्योंकि किसी भी क्षेत्र की जनसंख्या में वहाँ की डेमोग्राफी का महत्वपूर्ण स्थान होता है। भारत में जनसंख्या के साथ डेमोग्राफी कैसे बदल रही है, उसे निम्न लिखित आंकड़ों से हम समझा रहे हैं-

वर्ष 1951 में भारत में हिंदुओं की  जनसंख्या 85% थी और यही वर्ष 2011 में संख्या प्रतिशत घटकर 79.8% हो गई। वहीं इसी समयावधि में अल्पसंख्यक समुदाय की कुल आबादी लगभग 10% से बढ़कर 14.2%  हो चुकी है। अगर हम संख्या की बात करें तो  हिंदुओं की जनसंख्या वर्ष 1951 में 30 करोड़ से 3 गुना बढ़ कर वर्ष 2011 में 96 करोड़ हुई है। वहीं मुस्लिम समुदाय 1951 में 3.5 करोड़ थे जो 2011 तक 5 गुना बढ़ कर 17.2 करोड़ हो चुके हैं। अन्य सभी भारतीय धर्मों जैसे बौद्ध, सिख व जैन धर्म की जनसंख्या में इस अवधि के दौरान गिरावट आई है।

वहीं 2001-2011 के बीच भारत की बात करें तो कुल जनसंख्या 17.7 प्रतिशत बढ़ी। इसी दौरान हिंदुओं की जनसंख्या 16.8 प्रतिशत बढ़ी, जबकि मुस्लिम आबादी 24.6 प्रतिशत बढ़ी। इसी अवधि के दौरान ईसाई आबादी की जनसंख्या में 15.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।

1991-2001 के बीच हिंदुओं की जनसंख्या में वार्षिक 1.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि उसी अवधि में मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या में 2.6 प्रतिशत की वृद्धि हुआ। हालांकि 2001 से 2011 के बीच दोनों ही समुदायों की जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट दर्ज की गयी और यह हिंदुओं की वृद्धि दर 1.55 प्रतिशत रही और मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि दर 2.2 प्रतिशत रही।

जनसंख्या बढ़ोतरी का तीसरा पहलू महिलाओं की फर्टिलिटी रेट यानी प्रजनन दर का है यानी एक महिला अपने जीवन काल में कितने बच्चों को जन्म देती है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, भारत का कुल फर्टिलिटी रेट प्रति महिला 2.56 बच्चों पर है। मुस्लिम महिलाओं के लिए फर्टिलिटी रेट 3.2 अनुमानित है, जबकि हिंदू महिलाओं की फर्टिलिटी रेट 2.5 है।

इसके अलावा गैर कानूनी माइग्रेशन से भी इसका कारण है, बांग्लादेश और नेपाल से आकर भारत में बसने वाले भी आबादी बढ़ा रहे हैं। वर्तमान में भारत में लगभग 2 करोड़ अवैध बांग्लादेशी अप्रवासी रहते हैं जो विभिन्न क्षेत्रों की डेमोग्राफी बदल रहे हैं।

आज भारत में डेमोग्राफिक बदलाव एक सत्य है और इससे आँख चुराना एक बेवकूफी ही कही जाएगी। जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ यह डेमोग्राफिक बदलाव दशकों में धीरे-धीरे दिखाई देते हैं, लेकिन एक बार जब ये परिवर्तन हो जाता है, तब इसे बदलना मुश्किल हो जाता है। यह अच्छा हुआ कि सरकार ने समय रहते अपनी आँख खोली और प्रधानमंत्री ने जनसंख्या नियंत्रण के विषय को लाल किले की प्राचीर से उठाया। आने वाले दिनों में सरकार की तरफ से जनसंख्या नियंत्रण पर एक बड़ा कदम भी उठाया जा सकता है। सबसे पहले हमें अपने देश में परिवार नियोजन कर फर्टिलिटी रेट को 2 प्रतिशत तक लाना होगा और इसके लिए जागरूकता जरूरी है। एक बार जब जनसंख्या नियंत्रण पर कदम उठाए जाएंगे तब अपने आप ही डेमोग्राफिक बदलाव पर भी नियंत्रण हो जाएगा।

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