टाइम्स ऑफ इंडिया एक बार फिर से विवादों में है। टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार मान्ने रत्नाकर के द्वारा भ्रामक रिपोर्टिंग किए जाने के बाद प्रसिद्ध बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू ने टाइम्स ऑफ इंडिया को जमकर फटकार लगाई है। हाल ही में प्रकाशित मान्ने रत्नाकर के भ्रामक लेख के विरोध में बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू ने अपने ट्विटर एकाउंट के जरिए विरोध किया।
Support what Indian olympic association & our government decide. I NEVER said that I urge IOA not to shun CWG. Nation always comes first
Jai hind pic.twitter.com/R7gdScEVaE— Pvsindhu (@Pvsindhu1) July 31, 2019
अपने ट्वीट में उन्होंने कहा है कि, ‘मैं टाइम्स ऑफ इंडिया के मान्ने रत्नाकर की पत्रकारिता से काफी नाराज हूँ। TOI ने मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया है, जहां मैंने कहा था कि एक खिलाड़ी के तौर पर हम हर स्पोर्ट्स इवेंट का हिस्सा बनना चाहते हैं, लेकिन हम आईओए और भारतीय सरकार के निर्णयों [2022 के बर्मिंघम राष्ट्रमंडल [Commonwealth] खेलों से शूटिंग गेम हटने की संभावना] का भी सम्मान करते हैं। मैंने कभी नहीं कहा की मैं आईओए से निवेदन करूंगी कि CWG से पीछे न हटें। राष्ट्र हमेशा पहले आता है। जय हिन्द”।
दरअसल, अपने कल के फ्रंट पेज पर TOI ने कहा था, ‘बिंद्रा और नारंग के बाद, अब पीवी सिंधू ने भी कॉमनवेल्थ गेम से शूटिंग हटाए जाने पर लोगों को CWG का विरोध न करने का आग्रह किया है। पीवी सिंधू इसलिए नाखुश हैं क्योंकि उनके बयान को तोड़मरोड़ कर पेश किया गया है। बैडमिंटन खिलाड़ी और पूर्व में भारत की डबल्स स्पेशलिस्ट रह चुकी ज्वाला गुट्टा ने भी पीवी सिंधू का समर्थन किया है और कहा है कि टाइम्स ऑफ इंडिया ने ऐसा पहली बार नहीं किया है।
Lol..not the first time by him!
— Gutta Jwala 💙 (@Guttajwala) July 31, 2019
हालांकि ये पहला ऐसा अवसर नहीं है, जब TOI ने सस्ती लोकप्रियता के लिए किसी व्यक्ति के बयानों को तोड़ मरोड़कर पेश किया हो। साल 2018 में जब भारत, ऑस्ट्रेलिया से बार्डर-गावस्कर ट्रॉफी के अंतर्गत टेस्ट सिरीज़ खेल रही थी, तब TOI ने मिशेल जॉनसन के एक ऐसे बयान को प्रकाशित किया था, जो मिशेल ने कभी बोला ही नहीं, और जिसके पीछे खुद मिशेल ने TOI को आड़े हाथों लिया।
दरअसल ये सारा विवाद तब सामने आया जब 2022 के बर्मिंगहम राष्ट्रमंडल खेल से निशानेबाजी को हटाने की बात हो हुई। इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि इस तरह के बड़े इवेंट से शूटिंग गेम को हटाने की बात हो रही है। शूटिंग गेम 1966 से लेकर [1970 कॉमनवेल्थ गेम को छोड़कर] सभी कॉमनवेल्थ खेलों में हिस्सा रहा है।
भारत को इस निर्णय से इसलिए भी परेशान है क्योंकि निशानेबाजी में भारत का अब तक का प्रदर्शन बेहतर रहा है। पिछले साल सम्पन्न हुए गोल्ड कोस्ट CWG 2018 में भी भारत ने 66 पदकों में से 16 पदक निशानेबाजी से ही अर्जित किए थे, जिसमें 7 स्वर्ण पदक भी शामिल हैं। यदि निशानेबाजी इन खेलों में शामिल न होता, तो भारत ने पदक संख्या के मामले में जो तीसरा स्थान पाया था, उसे वो हासिल नहीं हो पाता।
यही नहीं, निशानेबाजी को इस खेल से बाहर करने के पीछे का कारण भी बेहद बेतुका और विसंगत है। 2022 CWG के सीईओ इयान रीड के अनुसार सरे का बिस्ले [जहां निशानेबाजी की प्रतियोगिता होनी थी] न तो निशानेबाजी के योग्य है, और न ही ‘वेस्ट मिडलैंड्स को कुछ फ़ायदा पहुंचाता है’।
ऐसे में आईओए और विश्व हॉकी महासंघ के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने खेल मंत्री किरेन रिजिजू को पत्र लिखकर ‘प्रस्तावित बॉयकॉट’ के विषय में उनसे बैठक की मांग की है। आईओए ने कॉमनवेल्थ गेम्स फ़ेडेरेशन को भी एक पत्र लिखते हुए कहा है की उन्हे “कॉमनवेल्थ मूवमेंट में बने रहने के अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिए बाध्य होना पड़ा है”। इसके साथ ही आईओए ने ये भी कहा है की वे सीजीएफ़ की सितंबर में होने वाली आम बैठक से भी पीछे हटने का निर्णय लिया है।
हालांकि अभिनव बिंद्रा का इस विषय पर अलग मत था। अभिनव के इस विषय पर ट्वीट के अनुसार, “बॉयकॉट से करने से आप उनका कुछ नहीं कर सकते, किसी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इससे अच्छा ये होगा कि आईओए एक अभियान चलाकर CWG के कमेटियों में अपने लोगों को शामिल कराये और उन्हें आगे के खेलों में निशानेबाजी को शामिल करने के लिए प्रस्ताव रखे।
चूंकि अभिनव निशानेबाजी में भारत को ओलंपिक स्वर्ण पदक भी जिता चुके हैं, इसलिए उन्हे अपनी बात कहने का पूरा अधिकार है। हालांकि TOI को इस मामले में किसी अन्य खिलाड़ी को समर्थन करने के लिए घसीटना जरूरी नहीं था।