तारिक पीरजादा के जहरीले बयान पर चुप है पश्चिमी मीडिया, पत्रकारिता में दोहरा मापदंड क्यों?

तारिक पीरजादा पाकिस्तान

PC: PakInside

हाल ही में केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 के उन सभी प्रावधानों को निरस्त कर दिया है, जो जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेषाधिकार प्रदान करते थे। इसके कारण पड़ोसी देश पाकिस्तान कुछ ज़्यादा ही बौखलाया हुआ है। यूएन हो या ओआईसी, पाक भारत के निर्णय के खिलाफ हर दरवाजा खटखटा चुका है, लेकिन उसे हर जगह निराशा ही हाथ लगी है।

हाल ही में एक वीडियो सामने आया है जिसमें पाक के जाने-मानें राजनीतिक विश्लेषक तारिक पीरज़ादा ने कुछ ऐसे बयान दिये हैं, जिसमें साफ तौर पर देखा जा सकता है कि पाकिस्तान केवल कश्मीर को अस्थिर करना चाहता है। पीरजादा ने एक टीवी इंटरव्यू के दौरान कहा- “यह बात कहने में तो कुछ मुश्किल नहीं है – अगर कोई हिन्दू वहाँ [भारत] से लाकर, कश्मीर के अंदर आबाद किया गया, तो हम पाकिस्तान के लोग कश्मीर के लोगों से कहते हैं कि उनको एक सेकंड भी ज़िंदा मत रहने देना।“

हालांकि पाकिस्तान की तरफ से इस तरह का बयान आना कोई नई बात नहीं है। पाकिस्तान हमेशा से ही भारत के खिलाफ जहर उगलता रहा है, लेकिन जिस तरह पश्चिमी मीडिया इस तरह की ओछी बातों पर चुप्पी साधी बैठी है, वो न केवल शर्मनाक है, बल्कि उनके दोहरे मापदण्डों को भी उजागर करता है। इस विवादित टिप्पणी पर बीबीसी भी चुप बैठा है, जिसने हाल ही में घाटी में स्थिति को बिगाड़ने का बेहद घटिया प्रयास किया है।

हाल ही के कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीबीसी ने जम्मू-कश्मीर राज्य को भारत के कब्ज़े वाला कश्मीर, यानि ‘इंडियन औक्यूपाइड कश्मीर’ करार दिया है। इसके साथ ही वे ऐसी खबरें प्रकाशित कर रहे हैं, मानो घाटी में बेहद तनाव का माहौल है, और लोग किसी भी समय सरकार से सीधी भिड़ंत के लिए कश्मीरी जनता पूरी तरह से तैयार है।

इसी बात का जिक्र करते हुए न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स ने भ्रामक खबरों की मानो झड़ी सी लगा दी हो। सभी खबरों में एक बात समान रूप से कही गयी है – घाटी में स्थिति बहुत नाज़ुक है और लोगों ने सरकार के खिलाफ बगावत करने की ठान ली है।

इतना ही नहीं, बीबीसी ने ये भी कहा कि अभी शुक्रवार को नमाज़ अदा करने के बाद 10000 लोगों की भीड़ कर्फ़्यू के बावजूद एकत्रित हुई थी, जिन्हें हटाने के लिए पुलिस को आँसू गैस के गोले और पैलेट गन का उपयोग करना पड़ा था –

 

हालांकि गृह मंत्रालय और जम्मू-कश्मीर पुलिस के सफाई के बाद भी बीबीसी ने फेक न्यूज़ पर लगाम लगाने से इन्कार कर दिया है, और अपनी सफाई में बीबीसी ने बेशर्मी से ये बात कही है-

“बीबीसी अपनी पत्रकारिता पर अडिग है, और हम उन सभी दावों का खंडन करते हैं जो कहते हैं कि हमनें कश्मीर में जानबूझकर गलत स्थिति दिखाने का प्रयास किया है। हम स्थिति को निष्पक्षता से जांच रहे हैं और अन्य ब्रॉडकास्टर्स की तरह हम भी कश्मीर में बहुत सारे प्रतिबंधों के बीच काम कर रहे हैं। हम अपनी रिपोर्टिंग पर इसी तरह कायम रहेंगे”।

इससे ज़्यादा शर्मनाक क्या हो सकता है कि एक ओर हमारा दुश्मन देश शरेआम भारतीयों, विशेषकर हिंदुओं की हत्या करने का आह्वान कर रहा है, जिसे पश्चिमी मीडिया नजरअंदाज कर रही है। कश्मीर में व्यापक बदलाव के लिए उठाए गए कदम को भी पश्चिमी मीडिया हाथ से नहीं जाने देना पश्चिमी मीडिया के इन दोहरे मापदण्डों की हम जितनी निंदा करें, वो कम पड़ेगी।  

Exit mobile version