सीसीडी के मालिक वीजी सिद्धार्थ की मौत के बाद देश की अधिकतर मीडिया सरकार को दोषी ठहरा रही हैं। कुछ पत्रकार ऐसे भी हैं जिन्होंने मोदी सरकार पर सीधे हमला बोलते हुए इसे टैक्स टेररिज्म की संज्ञा दे दी। लेकिन यह भी सच है कि इस सरकार ने देश के टैक्स ढांचे में बदलाव कर और नए नियम बना कर बैंकों से करोड़ों रुपये लेकर विदेश भागने वाले नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या जैसे आर्थिक अपराधियों पर लगाम लगाने का भी काम किया है।
रिपोर्ट्स की मानें तो सीसीडी के संस्थापक वीजी सिद्धार्थ पर मार्च 2019 तक 6547.38 करोड़ रुपए का कर्ज था और हो सकता था कि अगर सरकार ने कड़े कानून नहीं बनाए होते तो वह भी माल्या और नीरव मोदी की तरह ही देश से भागने में कामयाब रहते। बता दें कि किंगफिशर के मालिक विजय माल्या पर कई सरकारी बैंकों से करीब 9000 करोड़ रुपए लोन लेकर विदेश भागने का आरोप है तो वहीं नीरव मोदी पर 11,400 करोड़ का कर्ज लेकर भागने का आरोप है।
मोदी सरकार ने राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर कई ऐसे कदम उठाये हैं जिनसे अब भारत से टैक्स की चोरी कर या बैंकों से लोन लेकर फरार होने वाले विदेश नहीं भाग सकेंगे और अगर किसी तरह भाग भी चुके हैं तो उनकी संपत्ति जब्त की जा सकेगी।
इस क्षेत्र में सबसे पहले मोदी सरकार ने पिछले वर्ष भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक 2018 पारित कर कानून बनाया था। इस कानून के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित होने पर विशेष न्यायालय द्वारा उस व्यक्ति की भारत में या भारत के बाहर कोई संपत्ति (जो अपराधी के स्वामित्व वाली है या नहीं और जो उसकी बेनामी संपत्ति है) जब्त करने के आदेश देने का प्रावधान है। जब्त करने के आदेश की तारीख से सभी संपत्तियों का अधिकार केंद्र सरकार के पास होगा।
इस कानून में यह भी बताया गया है कि ऐसे अपराधियों के फरार हो जाने के कारण भारतीय न्यायालयों में दंडात्मक मामलों की जांच में बाधा आती है और अदालत का समय व्यर्थ होता है। इसलिए इसमें मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 के तहत एक विशेष कोर्ट के गठन का प्रावधान किया गया है। यह अदालत ही किसी डिफॉल्टर को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर सकती है और फिर उनपर कानूनी कार्रवाई आसान हो जाएगी। इस कानून के तहत अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ 100 करोड़ रुपये या अधिक के आर्थिक अपराध का मामला दर्ज है तो उसके खिलाफ गिरफ़्तारी वारंट जारी होगी, यदि वह व्यक्ति मुकदमे से बचने के लिए देश छोड़कर फरार हो गया है, भारत में दंडनीय अभियोजन से बचने या उसका सामना करने के लिए भारत वापस आने से मना करता है, तो उसे भगोड़ा आर्थिक अपराधी माना जाएगा। ऐसे मामले में संपत्ति और अपराध से अर्जित संसाधनों की कुर्की की जा सकती है। इस कानून का मकसद बड़े अपराधियों को देश छोड़कर भागने से रोकना और पकड़ना है। वहीं इस कानून के अंतर्गत इन मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जांच एजेंसी का काम करेगा।
इस सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भी संस्था के तौर पर मजबूत बनाया है और भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून 2018 के सभी मामलों को ईडी को ही सौंपने का फैसला किया है जिससे अब आर्थिक भगोड़ों को पकड़ना और उनके अवैध संपति को जब्त करना आसान हो गया है।
यह मोदी सरकार के कड़े फैसले के कारण ही वित्तीय संकट से जूझ रही विमानन कंपनी जेट एयरवेज के पूर्व चेयरमैन नरेश गोयल जैसे उद्योगपति के भी देश से बाहर जाने पर रोक लगा दी गयी। जब उनका विमान टेक ऑफ के लिए तैयार था, तभी इस फ्लाइट को रोक दिया गया। इसके बाद उन्हें सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) और प्रवर्तन निदेशालय ने कस्टडी में ले लिया गया था।
मोदी सरकार ने इस बिल को प्रभावी बनाने के लिए कई अंतराष्ट्रीय समझौते भी किए है। यही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने G20 देशों से आर्थिक अपराधियों के मामलों में सहयोग करने की बात कही थी और इसके लिए उन्होंने 9-सूत्रीय एजेंडा भी पेश किया था। साथ ही उन्होंने नए नियम कानून बनाने और भगोड़ों के प्रत्यर्पण मामलों पर एक दूसरे से अनुभव साझा करने के लिए एक प्लेटफार्म बनाने पर ज़ोर दिया था।
मोदी सरकार के भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून के तहत अब तक भगोड़े उद्योगपति विनय मित्तल, यहया खान जैसे आर्थिक अपराधियों को भी पकड़ने में कामयाबी मिली है। इसके साथ ही सरकार को उम्मीद है कि विजय माल्या तथा नीरव मोदी का भी प्रत्यार्पण जल्द हो जायेगा।
गौरतलब है कि सीसीडी के मालिक वीजी सिद्धार्थ पर भी ऐसे ही कई मामलें चल रहे थे। वर्ष 2017 के सितंबर महीने में आयकर विभाग ने वीजी सिद्धार्थ के घर और उनके रेस्त्रां सीसीडी के ऑफिस समेत कई ठिकानों पर छापेमारी कर 650 करोड़ रुपए की बेहिसाबी संपत्तियों का खुलासा किया था। इसके अलावा वीजी सिद्धार्थ का नाम हवाला कारोबार से भी जुड़े होने की भी बात कही जा रही थी।
आयकर विभाग के मुताबिक वीजी सिद्धार्थ ने यह स्वीकार किया था कि उनके पास 362.11 करोड़ औऱ 118.02 करोड़ की अघोषित रकम थी। वीजी सिद्धार्थ ने इनकम टैक्स रिटर्न भी फाइल किया लेकिन उन्होंने 35 करोड़ के सिवाय अघोषित रकम की जानकारी अपने सालाना विवरण में नहीं दी थी। वीजी सिद्धार्थ ने करीब 14.5 करोड़ का सेल्फ असेसमेंट टैक्स की भी जानकारी भी आयकर विभाग को नहीं दी थी। सिद्धार्थ के इस पहलु को मीडिया भी खुलकर नहीं बता रही।
अब अगर यह सरकार कड़े कानून नहीं लाती तो हो सकता था कि वह भी माल्या, नीरव मोदी, और मेहुल चौकसी की तरह ही फरार हो जाते। फिर यही मीडिया जो उनपर बढ़े कर्ज के लिए सरकार को कोस रही है और टैक्स टेररिज्म की बात कर रही है, वही मीडिया हँगामा मचाती कि इतने कर्ज लेकर भागने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गयी।