इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक पर मलेशिया में भाषण देने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। मलेशिया में भड़काऊ बयान देने के कारण विवादित उपदेशक जाकिर नाइक पर सार्वजनिक उपदेश देने पर पूरे देश में रोक लगा दी गई है। नस्लीय टिप्पणी मामले में मलेशिया में जाकिर नाइक फंसता जा रहा है। 3 अगस्त को एक भाषण के दौरान उसने मलेशिया में रह रहे हिंदुओं और चीनी समुदाय पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। रॉयल मलेशिया पुलिस के चीफ पीआर दतुक अस्मावती अहमद ने बयान जारी कर कहा कि ऐसा राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखकर किया गया है। मलेशिया सरकार ने इस बाबत पूरे देश में आदेश जारी कर दिया है। मलेशिया के सात राज्यों मेलाका, जोहोर, सेलंगोर, पेनांग, केदाह, पर्लिस और सरवाक ने पहले से ही सार्वजनिक रूप से ज़ाकिर नाइक के धार्मिक उपदेशों पर पाबंदी लगा रखी है। मलेशियाई अधिकारियों ने जाकिर नाइक को हिंदुओं एवं चीनियों के खिलाफ कथित नस्ली टिप्पणी करने के मामले में दूसरी बार तलब कर पुछताछ की थी। जाकिर पर इस बैन का मुख्य कारण वहाँ के हिन्दू मंत्री और वहाँ मौजूद हिंदुओं की लॉबी को माना जा रहा है क्योंकि ज़ाकिर नाईक मुख्यत: हिंदुओं को ही टार्गेट करता था। बता दें कि जाकिर नाइक ने 3 अगस्त को कहा था कि मलेशिया में हिंदुओं के पास भारत में मुसलमानों की तुलना में “100 गुना ज्यादा” अधिकार हैं। उसने चीनी मलेशियाई समुदाय के खिलाफ असंवेदनशील टिप्पणी भी की।
ज़ाकिर नाईक भारत और बांग्लादेश में क्रिमिनल केस और मनी लॉन्ड्रिंग केस में वांछनीय है। पिछले साल जुलाई में भारत ने मलेशिया से जाकिर के प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक अनुरोध किया था। लेकिन प्रधानमंत्री महातिर के नेतृत्व में मलेशियन सरकार ने इस मामलें में कहा कि उन्हें तब तक निर्वासित नहीं किया जाएगा, जब तक कि वे कोई समस्या पैदा नहीं कर रहे हैं। पीएम ने यह भी कहा था कि जाकिर का प्रत्यर्पण नहीं किया जा सकता है, क्योंकि भारत में उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद कम है। वहां उनकी जान को भी खतरा हो सकता है। हालांकि, किसी दूसरे देश को जाकिर को सौंपा जा सकता है। मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने स्थायी निवासी के दर्जे को ख़त्म करने की धमकी दी थी। 16 अगस्त को उन्होंने कहा था कि सरकार द्वारा यदि जांच में जाकिर के उपदेशों में देश में धार्मिक नफरत जैसा कुछ पाती है तो उनके स्थायी निवासी का दर्जा खत्म कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि जाकिर नाईक को मलेशिया में वर्ष 2015 में स्थायी निवासी का दर्जा मिला था।
मलेशियाई सरकार द्वारा नाइक के खिलाफ इस बड़ी कार्रवाई की मुख्य वजह वहाँ मौजूद हिंदू लॉबी है। मलेशियाई सरकार में प्रमुख पद संभालने वाले कई मंत्रियों ने वहाँ हिंदुओं जैसे अल्पसंख्यक समुदायों पर ज़ाकिर नाईक की विवादास्पद टिप्पणी के बाद उसके निष्कासन के लिए सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। कम्युनिकेशन एंड मल्टीमीडिया मिनिस्टर गोबिंद सिंह देव ने बयान में बताया कि ‘हमने अपनी स्थिति को जाहिर कर दिया है जिसमें कार्रवाई जरूरी है और जाकिर नाइक को ज्यादा समय तक मलेशिया में रहने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
मलेशिया के मानव संसाधन विकास मंत्री एम. कुलसेगरन ने जाकिर नाइक को भारत के हवाले करने की मांग की थी। मंगलवार को कुलसेगरन ने एक पत्र जारी किया था और इसमें कहा, ‘जाकिर मलेशिया के करदाताओं के पैसे पर यहां मौज कर रहा है। उस पर गंभीर आरोप हैं। वो मलेशिया में सामुदायिक घृणा फैलाने की साजिश रच रहा है। उसे भारत को सौंप देना चाहिए। वहां वो अपने ऊपर लगे आरोपों का सामना करेगा।‘ कुलसेगरन ने आगे कहा, ‘जाकिर जैसे लोग हमारे विविधता वाली संस्कृति में रहने के हकदार नहीं हैं। उसे मलेशिया की स्थायी नागरिकता कतई नहीं दी जानी चाहिए। नाइक ने खुद पर लगे आरोपों को गलत बताया है। उसने कहा कि सियासी वजहों से इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं।‘
मलेशिया खुद को एक बहु-जातीय, बहु-सांस्कृतिक और बहु-नस्लीय राष्ट्र मानता है। लेकिन वहाँ का आधिकारिक धर्म इस्लाम है। मलेशिया में मुस्लिम की 61 प्रतिशत आबादी है, लेकिन वहाँ बौद्ध, ईसाई और हिंदू भी अच्छी संख्या में हैं। मलेशिया में बौद्ध 19.8 प्रतिशत, ईसाई 9.2 प्रतिशत और हिंदू 6.3 प्रतिशत हैं।
दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य देशों के साथ मलेशिया, सदियों से हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म से प्रभावित रहा है। इसके बाद 14 वीं शताब्दी में इस्लाम के आने के बाद मलेशिया में आया और वहाँ के लोग इस्लाम अनुयायी हो गए। हालाँकि, यहाँ के लोग अभी भी हिंदू और बौद्ध अनुष्ठानों का पालन करते हैं और संस्कृति अभी भी चलन में है। मलेशिया के लोग यह स्वीकार करते है कि भले ही उनका धर्म इस्लाम है लेकिन उनकी संस्कृति अभी भी हिन्दू है। मलेशिया में वहाबी / सलाफी इस्लाम का पालन नहीं करते हैं। मलेशिया में अभी भी हिंदू धर्म प्रचलित है और इसलिए अधिकांश इस्लाम के अनुयायी जाकिर नाइक की कट्टर उपदेशों से सहमत नहीं है। इसलिय वहाँ के हिन्दू ज़ाकिर नाईक के उपदेशो को पूरी तरह से खारिज कर रहे हैं और उसे भारत के हवाले करना चाहते है ताकि उस पर भारतीय कानून के तहत कारवाई हो सके और उसे मनी लॉन्ड्रिंग तथा अन्य केसों में सज़ा दी जा सके।