ज़ोमैटो के ही कर्मचारियों ने इस फूड डिलीवरी एप की हिपोक्रिसी को किया एक्सपोज

ज़ोमैटो डिलीवरी

PC: Theprint

फूड डिलीवरी एप ज़ोमैटो की मुसीबतें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। हाल ही में बंगाल के हावड़ा जिले में स्थित इस एप के डिलीवरी स्टाफ ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की, क्योंकि इनके अनुसार ज़ोमैटो उन्हें बीफ और पोर्क जैसे भोजन डिलीवर करने के लिए बाध्य कर रहा है –  

फूड डिलीवरी के एक्जीक्यूटिव ने बकरीद के अवसर पर बीफ अथवा पोर्क युक्त भोजन को डिलीवरी करने से साफ मना कर दिया है। इन सभी ने साथ ही साथ दो मांगें भी सामने रखी है – इनके वेतन में वृद्धि हो और कंपनी अपने कर्मचारियों के धार्मिक आस्था के साथ खिलवाड़ करना बंद करे। हड़ताल कर रहे इन सभी कर्मचारियों ने अपने उच्च पदाधिकारियों को इस विषय में सूचित भी किया, परंतु उनकी ओर से अभी तक इसपर कोई जवाब नहीं आया है।  

ज़ोमैटो  के एक फूड डिलीवरी कर्मचारी ने बताया, “ हाल ही में कंपनी के एप से कुछ मुस्लिम रेस्टोरेंट भी जोड़े गए हैं, लेकिन हमारे यहां ऑर्डर डिलीवरी करने वाले कुछ लड़के हिन्दू समुदाय से भी आते हैं, इन सभी ने बीफ फूड की डिलीवरी करने से मना कर दिया है, सुनने में आया है कि कुछ दिनों में हमें पोर्क की भी डिलीवरी देनी पड़ेगी, लेकिन हम इसकी डिलीवरी नहीं करेंगे। हमें वेतन संबंधी समस्याओं से भी जूझना होता है और हमें उचित स्वास्थ्य सुविधाएं भी नहीं दी जाती।”  

इस कर्मचारी ने आगे कहा, ये सब हमारे भाईचारे की भावना को नुकसान पहुंचा रहे हैं, क्योंकि हमें हमारी आस्था के खिलाफ जाने वाले भोजन को सर्व करने के लिए बाध्य किया जा रहा है”। हमारी धार्मिक आस्थाओं को चोट पहुंचाया जा रहा है। कंपनी को सब पता है, पर हमारी सहायता करने की बजाए वे हमारे ऊपर ही झूठे आरोप लगा रही है”। 

एक अन्य कर्मचारी ने बताया, “एक हिन्दू होने के नाते मुझे मुस्लिम भाइयों के साथ काम करने में कोई आपत्ति नहीं है। परंतु ज़ोमैटो ने जिन रेस्टोरेंट के साथ संधि की है, वो हमारी इच्छा के विरुद्ध किया गया है। इस निर्णय से हमारे मुस्लिम भाई भी बेहद नाखुश है। ये कंपनी हमारी आस्थाओं से खिलवाड़ कर रही है। हम इसे रोकना चाहते हैं, इसलिए हम सोमवार से अपनी सभी सेवाएँ रोक रहे हैं”।  

फूड डिलीवरी स्टाफ की इन शिकायतों से स्पष्ट है कि खाने का धर्म होता है, यदि दूसरे शब्दों में कहें, तो हमारे खाने-पीने की आदत, खाने की पसंद हमारी धार्मिक भावनाएँ और हमारी व्यक्तिगत आस्था ही तय करती है।

अब सोशल मीडिया पर Zomato को बायकोट करने की मांग तेज हो गयी है साथ ही Zomato की खूब आलोचना भी हो रही है।  

https://twitter.com/debasishbachar1/status/1160580182723272704

मतलब ये कहना गलत नहीं होगा कि इस घटना ने ज़ोमैटो की हिपोक्रेसी सबके समक्ष उजागर कर दी है। हाल ही में जब एक उपभोक्ता ने अपना ऑर्डर इसलिए रद्द किया, क्योंकि उसे डिलीवर करने के लिए एक मुस्लिम युवक आया था, तो ज़ोमैटो ने नैतिकता की दुहाई देते हुए कहा था कि, “भोजन का कोई धर्म नहीं होता”। इसी के साथ Zomato ने ‘भोजन का कोई धर्म नहीं होता’ नामक अभियान शरू कर दिया था। खुद ज़ोमैटो के संस्थापक दीपेंद्र गोयल ने इस विवाद में अपना मत रखते हुए कहा था कि, ‘हम भारत के विचारों और हमारे ग्राहकों-पार्टनरों की विविधता पर गर्व करते हैं। हमारे इन मूल्यों की वजह से अगर बिजनेस को किसी तरह का नुकसान होता है तो हमें इसके लिए दुख नहीं होगा।’      

उस समय भी सोशल मीडिया यूजर्स को Zomato की इस टिप्पणी के लिए उसे कठघरे में खड़ा करने में ज़्यादा समय नहीं लगा। इसके बाद एक स्क्रीनशॉट सामने आया जिसने ज़ोमैटो के इस दोहरे मापदंड की धज्जियां उड़ा दी। इस स्क्रीनशॉट के अनुसार Zomato ने एक दूसरे व्यक्ति से सिर्फ इसलिए माफी मांगी, क्योंकि उसे ‘हलाल सर्टिफाइड’ भोजन नहीं मिला था। उस समय ज़ोमैटो ने उस यूज़र को भोजन की धर्मनिरपेक्षता का लैक्चर भी नहीं दिया। इस हिपोक्रेसी के पीछे ज़ोमैटो को सोशल मीडिया यूज़र्स ने काफी खरी खोटी भी सुनाई थी

अब ज़ोमैटो कहता है कि भोजन का कोई धर्म नहीं होता, जबकि इस बयान का शीर्षक है ‘भोजन, धर्म और हलाल’। हमने अपने एक आर्टिकल में Zomato की हिपोक्रिसी को उजागर भी किया था कि कैसे इसी  Zomato पर अगर अप किसी विशेष त्योहार पर जैन भोजन और नवरात्रि की थालियों के लिए विशेष टैग भी होते हैं।

ऐसे में ज़ोमैटो की हिपोक्रेसी को हावड़ा के स्टाफ ने अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल से उजागर कर दिया है। और कुछ हो न हो, लेकिन इस घटना से एक बात तो सिद्ध हो गयी है, कि भोजन का भी धर्म होता है, और ज़ोमैटो को इससे खिलवाड़ करने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

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