बीते कुछ दिनों से विवादों में रहने वाली फूड डिलिवरी एप्प ज़ोमैटो की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। दरअसल, अभी हाल ही में जोमैटो के साथ अनुबंध करने वाले कुछ रेस्टोरेंट कंपनियोे ने अपना हाथ खींच लिया है। #लॉगआउट कम्पेन के नाम से शुरू हुए इस अभियान के अंतर्गत विभिन्न भारतीय शहरों में 1200 से ज़्यादा रेस्टोरेंट्स जोमैटो गोल्ड, ईज़ी डाइनर, डाइनआउट जैसी सेवाओं से अपना हाथ पीछे खींच रहे हैं।
ये रेस्टोरेंट मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकाता, गोवा एवं बड़ौदा जैसे नामचीन शहरों में स्थित हैं, और इसके साथ ही इन रेस्टोरेंट्स के जोमैटो के हटने के पीछे पीछे इन्होंने ‘unsustainable’ डीप डिस्काउंटिंग को प्रमुख कारण बताया है। इसके अलावा ये रेस्टोरेंट्स आरोप लगाए हैं कि ज़ोमैटो जैसे ऐप्प के टेबल रिज़र्वेशन की सेवाएँ उनके बिज़नेस मॉडल को नुकसान पहुंचा रही हैं। जहां एक ओर जोमैटो के फाउंडर दीपिंदर गोयल स्वयं बाहर आकर रेस्टोरेंट मालिकों को समझा-बुझा रहे हैं, तो वहीं उक्त रेस्टोरेंट्स के इस निर्णय से अब ज़ोमैटो अपने पेशेवर पतन की ओर अग्रसर हो चुका है।
हालांकि यह पहला अवसर नहीं है जब जोमैटो को विवादों से दो-चार होना पड़ा है। कुछ ही हफ्तों पहले जब एक यूज़र ने ज़ोमैटो पर इसलिए खाना ऑर्डर से मना कर दिया क्योंकि डिलिवरी बॉय उसके धर्म से नहीं था, तो इस पर जोमैटो ने उक्त यूज़र के ट्वीट के जवाब में कहा, ‘खाने का कोई धर्म नहीं होता, खाना खुद एक धर्म है।”। इसी के साथ जोमैटो ने ‘भोजन का कोई धर्म नहीं होता’ नामक अभियान प्रारम्भ कर दिया।
स्वयं जोमैटो के संस्थापक ने इस विवाद में अपना मत रखते हुए कहा, ‘हम भारत के विचारों और हमारे ग्राहकों-पार्टनरों की विविधता पर गर्व करते हैं। हमारे इन मूल्यों की वजह से अगर बिजनेस को किसी तरह का नुकसान होता है तो हमें इसके लिए दुख नहीं होगा।’ हालांकि जोमैटो का दोहरा मापदंड सबके सामने जल्द ही एक्सपोज हो गया, और इसके लिए लोगों ने ट्विटर पर खूब खरी खोटी सुनाई।
इसके अलावा बंगाल में हाल ही में ईद उल अज़हा यानी बकरीद से पहले हावड़ा जिले में स्थित जोमैटो के डिलीवरी स्टाफ ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की थी, उनके अनुसार जोमैटो उन्हें बीफ और पोर्क जैसे भोजन डिलीवर करने के लिए बाध्य कर रहा था –
West Bengal: Zomato food delivery executives in Howrah are on an indefinite strike protesting against delivering beef and pork, say, "The company is not listening to our demands & forcing us to deliver beef & pork against our will. We have been on strike for a week now." pic.twitter.com/tPVLIQc2SZ
— ANI (@ANI) August 11, 2019
इसके साथ ही हड़ताल करने वाले कर्मचारियों ने जोमैटो की पोल खोलते हुये कहे, “जोमैटो के एक फूड डिलीवरी कर्मचारी ने बताया, “कंपनी ने हाल ही में कुछ मुस्लिम रेस्टोरेंट से भी अनुबंध किया है, लेकिन हमारे यहां ऑर्डर डिलीवरी करने वाले कुछ लड़के हिन्दू समुदाय से भी आते हैं, इन सभी ने बीफ फूड की डिलीवरी करने से मना कर दिया है, सुनने में आया है कि कुछ दिनों में हमें पोर्क की भी डिलीवरी देनी पड़ेगी, लेकिन हम इसकी डिलीवरी नहीं करेंगे। हमें वेतन संबंधी समस्याओं से भी जूझना होता है और हमें उचित स्वास्थ्य सुविधाएं भी नहीं दी जाती।”
जोमैटो के कर्मचारियों ने आगे कहा, “ ये सब हमारे भाईचारे की भावना को नुकसान पहुंचा रहे हैं, क्योंकि हमें हमारी आस्था के खिलाफ जाने वाले भोजन को सर्व करने के लिए बाध्य किया जा रहा है”। हमारी धार्मिक आस्था को चोट पहुंचाया जा रहा है। कंपनी को सब पता है, पर हमारी सहायता करने के बजाए वे हमारे ऊपर ही झूठे आरोप लगा रही है”।
ऐसे में 1200 से ज़्यादा रेस्टोरेंट्स का ज़ोमैटो जैसे एप्प से हाथ पीछे खींचना इस बात का स्पष्ट संकेत देता है कि अब जोमैटो की हालत खराब हो रही है। हालांकि इस विषय पर दीपिंदर गोयल ने सफाई भी दी है, परंतु अगर वे समय रहते नहीं समझे तो बहुत जल्द ही जोमैटो खत्म होने के कगार पर आ जाएगी।