उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने शुक्रवार को बड़ा ऐलान करते हुए राज्य सरकार पर बोझ बने 40 वर्ष पुराने एक कानून को खत्म कर दिया है। जिसके तहत मंत्रियों का टैक्स राजकोष से भरा जाता था। अब राज्य के मुख्यमंत्री और मंत्री खुद ही अपना आयकर भरेंगे। उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने शुक्रवार को इस बात की जानकारी दी। आपको बता दें कि अब तक ‘उत्तर प्रदेश मिनिस्टर्स सैलरीज एलाउन्सेस एण्ड मिसलेनियस एक्ट-1981’ के अन्तर्गत सभी मंत्रियों के आयकर बिल का भुगतान अभी तक राज्य सरकार के कोष से किया जाता रहा है।
मुख्यमंत्री और सभी मंत्री अब खुद अपने आयकर का भुगतान करेंगे। राज्य सरकार के खजाने से इसका भुगतान नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री @myogiadityanath जी के निर्देश पर @upgovt 38 साल पुरानी व्यवस्था खत्म करेगी।#GoodGovernanceInUP pic.twitter.com/5fzuDrISz5
— Government of UP (@UPGovt) September 14, 2019
वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार यह निर्णय लिया गया है कि अब सभी मंत्री अपने इनकम टैक्स का भुगतान खुद की जेब से करेंगे। उन्होंने बताया कि सरकारी खजाने से अब मंत्रियों के आयकर बिल का भुगतान नहीं किया जाएगा।
दरअसल, यह कानून 1981 में आया था। तब प्रदेश के मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह थे। विधानसभा में जब यह वेतन, भत्ते और विविध अधिनियम-1981 पारित किया गया था, उस समय वीपी सिंह ने सदन को बताया था कि राज्य सरकार को मंत्रियों के आयकर का बोझ उठाना चाहिए, क्योंकि अधिकांश मंत्री गरीब पृष्ठभूमि से हैं और उनकी आय भी कम है।
उत्तर प्रदेश ट्रेजरी ने वर्ष 1981 से अब तक लगभग सभी मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के आयकर बकाये का भुगतान किया है। तब से लेकर अब तक राज्य में 19 मुख्यमंत्री आए और करीब 1 हजार मंत्री रहे। जिन मुख्यमंत्रियों ने अपना टैक्स बचाया उनमें सभी पार्टियों के नेता शामिल हैं। इनमें मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, मायावती, कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह, श्रीपति मिश्रा, वीर बहादुर सिंह और एनडी तिवारी का नाम शामिल हैं। इस कानून का कई मंत्रियों ने जमकर फायदा उठाया और तो और पिछले दो सालों में जितने भी मंत्री रहे उनका 86 लाख का इनकम टैक्स सरकारी खजाने से ही भरा गया है।
योगी सरकार का यह फैसला सराहनीय है, जिसे काफी समय पहले ही लागू कर देना चाहिए था। आज से वर्षों पहले जब यह फैसला लिया गया था तब सभी मंत्री गरीब पृष्टभूमि से आते थे लेकिन आज सभी मंत्री और मुख्यमंत्रियों की आय बढ़ चुकी है और वह इतने समृद्ध हो चुके हैं कि वह अपना टैक्स खुद भर सकते हैं। इक्नोमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में एक विधायक वेतन के रूप में लगभग 1.9 लाख रुपये प्रत्यक महीने पाता है। अगर घर, कार आदि भत्तों को भी जोड़ दें तो कम से कम एक-दो हजार और बढ़ जाएगा। वर्ष 2017 में यूपी विधानसभा के नवनिर्वाचित विधायकों में से 80% से अधिक करोड़पति थे। वर्ष 2012 में लगभग 67% विधायक करोड़पति थे। बता दें कि देश में प्रति व्यक्ति आय की लिस्ट में यूपी सबसे गरीब राज्यों में से एक है जोकि राष्ट्रीय औसत से आधे से भी कम है।
अब यह तो सोचने वाली है कि जिस राज्य की जनता देश में सबसे गरीब है वहाँ के मंत्री करोड़पति हो कर भी अपना आयकर नहीं भरते। मंत्री गरीबों का विकास करने और मूलभूत सुविधाओं को पूरा करने के बजाय अपने बैंक खाते को ही बचाना चाहते थे। अब योगी सरकार के इस फैसले के बाद सभी मंत्रियों को अपने जेब से आयकर भरना होगा जोकि उनका वास्तविक कर्तव्य है।