शुक्रवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक ऐसा बयान दिया है, जिसने अफ़गानी मोर्चे पर पाकिस्तान और अमेरिका दोनों की ही पोल खोल दी है। रशिया टुडे को दिये इंटरव्यू में इमरान खान ने कहा है कि उनके देश को अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के विरुद्ध अमेरिकी सैनिकों द्वारा की जा रही कार्रवाई पर निष्पक्ष रहना चाहिए था।
यही नहीं, उन्होंने आगे ये भी कहा है कि जिन मुजाहिदीन आतंकियों को उनके देश ने प्रशिक्षित किया, वे अब उन्हीं के खिलाफ खड़े हो गए हैं। इससे यह भी सिद्ध होता है कि पाकिस्तान 80 के दशक से ही अपने देश में भारत के विरुद्ध आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा था। अमेरिका और पाकिस्तान दोनों को ही अफ़ग़ानिस्तान में अपनी स्वार्थ सिद्धि पूरी करनी थी।
इसी वजह से अफ़ग़ानिस्तान और बाकी भारतीय उपमहाद्वीप में आतंकवाद का वो तांडव मचा है जो भारत समेत कई देशों को दशकों से परेशान करता आया है। पाकिस्तान ने न केवल तालिबान के जरिये अल कायदा जैसे कुख्यात आतंकी संगठनों को बढ़ावा दिया है, बल्कि इन दोनों संगठनों का इस्तेमाल भारत और अफ़ग़ानिस्तान के विरुद्ध आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए किया है। परंतु इमरान खान ने अपने बयान में आगे जो कहा, उससे कई लोग हैरत में पड़ सकते हैं। इमरान के अनुसार अमेरिका के केन्द्रीय इंटेलिजेंस एजेंसी [सीआईए] ने पाकिस्तान के प्रशिक्षित मुजाहिदीन आतंकियों को पैसा मुहैया करवाया है।
एएनआई के ट्विटर थ्रेड के अनुसार, पाकिस्तान ने मुजाहिदीनों को सोवियत संघ के विरुद्ध जिहाद करने के लिए प्रशिक्षित किया था, जब उन्होंने 1980 के दशक में अफ़ग़ानिस्तान पर कब्जा जमाया था। इमरान कहते हैं, “अब एक दशक बाद जब अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान में आता है, पाकिस्तान में मौजूद सभी लोगों को अब यह मानना पड़ेगा कि चूंकि अमेरिकी वहाँ है, इसलिए अब वो जिहाद न होकर आतंकवाद हो चुका है। ये धोखा नहीं तो किया है”।
Pak PM:The same groups who are all in Pakistan are supposed to say that now because Americans are there it is no longer jihad its terrorism. It was a big contradiction&I strongly felt that Pakistan should have been neutral because by joining in,these groups turned against us(2/3) https://t.co/gVjDtcxB1T
— ANI (@ANI) September 13, 2019
शायद इमरान दुनिया को यह जताना चाहते हैं कि मुजाहिदीनों ने सोवियत संघ के विरुद्ध एक धर्मयुद्ध लड़ा था, परंतु किसी धर्मयुद्ध में निर्दोष मनुष्यों की बलि नहीं मांगी जाती है, जैसा मुजाहिदीनों ने पहले अफ़ग़ानिस्तान, और फिर पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में किया। मुजाहिदीनों ने जो किया, उसे जिहाद नहीं, आतंकवाद कहते हैं।
2018 के शुरूआत में ही ग्रे लिस्ट में आ चुकी पाकिस्तान अब एफ़एटीएफ़ द्वारा ब्लैकलिस्ट होने के कगार पे पहुँच चुका है। ऐसे में अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए इमरान खान ऐसे बयानों का इस्तेमाल कर रहे हैं। परंतु यहाँ अपने आप को पीड़ित के रूप में दिखाकर पाकिस्तान को कोई फ़ायदा नहीं मिलने वाला। लगता है इमरान खान समझ चुके हैं कि यह उनका अपना पाकिस्तान ही था जिसके द्वारे पाले गए आतंकियों ने पहले अफ़ग़ानिस्तान को नुकसान पहुंचाया, उसके बाद जब उन्हे कोई और देश नहीं मिला निशाना बनाने के लिए, तो उन्होने अपने आका पाकिस्तान को ही निशाने पर लेना शुरू कर दिया। इमरान खान ने यह भी बताया कि जब से अमेरिकी सेना ने अफ़ग़ानिस्तान में प्रवेश किया है, तब से उनके देश ने 70000 से ज़्यादा लोग और अर्थव्यवस्था के 100 बिलियन डॉलर से ज़्यादा धनराशि गंवा दिया है।
पिछले 2 दशकों से यूएस मरीन के सैनिक तालिबन से लड़ते आ रहे हैं और हाल ही में जब यूएस के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने यह घोषणा की कि अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान से अपनी फौज हटा सकता है, तो क्षेत्र में एक अजीब सी बेचैनी बढ़ गयी है। उन्होंने तालिबान के साथ शांति समझौते भी रद्द कर दिया है, क्योंकि काबुल में 5 सितंबर को हुये आतंकी हमले में 1 अमेरिकी सैनिक और 11 अन्य लोगों की हत्या की गयी थी। यह अप्रत्यक्ष रूप से ट्रम्प और भारत दोनों के लिए एक शुभ संकेत था, क्योंकि भारत का तालिबान जैसे नॉन स्टेट प्लेयर्स से न बातचीत करना भी कायम रहेगा। उन्हें बातचीत में बराबर का स्थान देना अफ़ग़ानिस्तान में स्थिति को और बिगाड़ देता।
यही नहीं, इमरान खान का यह बयान यूएसए के लिए भी एक चेतावनी के समान है, जिन्हें अब एक दोमुंहे एजेंट के तौर पर अफ़ग़ानिस्तान में अपना काम बंद करना होगा। उन्होंने ऐसी जगह समस्या खड़ी की, जहां उसे होना ही नहीं चाहिए था। पाकिस्तान की एक ऐसी अर्थव्यवस्था बन चुकी है जो दिवालिया होने की कगार पर पहुँच चुका है, और ऐसे में यदि इमरान खान अपने मुल्क को इस समस्या से बाहर निकाल सकें, तो ये किसी चमत्कार से कम नहीं होगा। परंतु जिस तरह के वे आजकल बयान दे रहे हैं, वे पूर्ववर्ती पाकिस्तानी प्रधानमंत्रियों की ही राह पर चल पड़े हैं, जो पाकिस्तानी सेना की कठपुतली होने के अलावा और कुछ नहीं थे।