जमीनी नेता vs वंशवादी नेता : इस मास्टरप्लान से अमित शाह बदलेंगे जम्मू-कश्मीर की तस्वीर

जम्मू-कश्मीर

PC: hindustantimes

केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद घाटी से लगातार सकारात्मक खबरें आ रही हैं। दरअसल, मंगलवार को गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के पंचो व सरपंचों के डेलिगेशन के साथ मुलाकात की थी। इस मुलाकात में गृहमंत्रालय के कई आलाअधिकारी भी शामिल थे। बैठक में सरकार ने कई अहम मुद्दों पर बातचीत की। गृहमंत्रालय ने फैसला लिया कि घाटी के सरपंचो को 2 लाख का बीमा कवर और उनके इलाके में सुरक्षा व्यवस्था दी जाएगी। इसके साथ ही सरकार ने उन्हें भरोसा दिलाया कि गांव के जनप्रतिनियों को हर सुरक्षा प्रदान की जाएगी। बता दें कि अक्सर ये लोग आतंकवादियों के निशाने पर रहते हैं। बीते कई सालों से राज्य में सरपंचों की हत्या लगातार हो रही है, जिसका अंजाम आतंकी व अलगावादी देते थे।

 

इस दौरान 100 पंचों व सरपंचों के साथ गृहमंत्री अमित शाह व उनके अधिकारियों ने जम्मू-कश्मीर के कई मुद्दों पर बातचीत की। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद ऐसा पहली बार हो रहा था जब घाटी के पंच व सरपंच सरकार के साथ उच्च स्तरीय बैठक में शामिल हुए। बैठक में जहां एक ओर सरकार ने साफ किया कि जनता के खर्चे के लिए भेजा गया पैसा सीधे जनता तक पहुंचे यह उसकी प्राथमिकता है तो वही जनता के नुमाइंदों ने उम्मीद जताई कि जो भरोसा सरकार ने उन्हें दिलाया है वहां की समस्या को दूर करने पर वह खरा उतरेंगे।

मीर जुनैद जो कि पांपोर के रहने वाले हैं और जिले से सरपंच हैं, उनका कहना था कि ऐसी बैठक के बाद अब भरोसा है कि जम्मू-कश्मीर में परिवारवाद की राजनीति का खात्मा होगा और अगला जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री इन्हीं पंच और सरपंच में से एक होगा। इसके साथ ही एक और सरपंच ने कहा कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद हमारे अंदर एक उम्मीद जगी है कि अब कोई है जो स्थानीय समस्याओं को सुनेगा। वहीं मीर अल्ताफ जो कि पांपोर से सरपंच हैं उनका कहना था कि घाटी में धारा 370 हटने के बाद कुछ लोग हैं जो डर का माहौल बना रहे हैं। ऐसे में ये मुलाकात वहां के लोगों में भरोसा दिलाने के लिए एक अहम कड़ी मानी जाएगी।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में कुछ महीने पहले पंचायत चुनाव हुए थे जिसमें 40 हजार पंच और सरपंच चुने गए थे। इनमें से करीब 5 हजार सरपंच हैं जबकि 35 हजार पंच हैं। बैठक में गृहमंत्री ने भरोसा दिलाया कि जम्मू-कश्मीर में अगले 15 दिनों के भीतर संचार व्यवस्था पूरी तरह बहाल कर दी जाएगी।

गौरतलब है कि गृहमंत्री बनने के बाद जब अमित शाह जम्मू-कश्मीर के दौरे पर गए थे तब उन्होंने वहाँ की राजनीतिक और सुरक्षा हालात दोनों का ही जायज़ा लिया था। और पंचायत प्रमुखों से मुलाकात भी की थी। केंद्र सरकार ने पंचायत प्रमुखों से सभी योजनाओं के लिए सीधा संवाद स्थापित किया है जिससे लोगों तक योजनाओं का लाभ पहुंच सके। इसके लिए केंद्र सरकार ने पिछले महीने कश्मीर में गांवों के विकास के लिए केंद्र सरकार ने 3,700 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। इस रकम की पहली किश्त जारी भी कर दी गई है। जम्मू और कश्मीर के 40 हजार सरपंच इन पैसों के जरिए सीधे गावों का विकास कार्यों में खर्च कर सकेंगे।

ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाने के बाद वहां के राजनैतिक ठेकेदारों की भी अहमियत लगभग खत्म हो चुकी है। जम्मू-कश्मीर में स्थानीय व जमीनी स्तर के नेताओं यानि सरपंचो को विकास कार्यों के लिए सीधा फंडिंग करके केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर का पूर्ण विकास कर सकेगी। पंच व सरपंच अपने-अपने इलाकों का विकास कर सकेंगे व स्थानीय समस्याओं को सरकार तक पहुंचा सकेंगे। जनता भी अपने जन प्रतिनिधियों से सीधे संपर्क में रहेगी। मतलब साफ है कि अब घाटी के वंशवादी नेताओं का असर पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। ये वहीं वंशवादी नेता थे जो इन जमीनी नेताओं को घाटी में कभी फलने फूलने नहीं दिए। इन्होंने केवल अपना ही वर्चस्व कायम रखा। ऐसे में  अलगाववाद व आतंकवाद की राजनीति करने वालों के ऊपर केंद्र सरकार का करारा तमाचा है। इन फैसलों से साफ जाहिर होता है कि आने वाले दिनों में घाटी की तस्वीर बदलने वाली है।

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