मोदी सरकार ने आज शनिवर को एक अहम फैसला लेते हुए दिग्गज नेता आरिफ मोहम्मद खान को केरल का राज्यपाल नियुक्त किया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आरिफ मोहम्मद खान समेत 5 राज्यपालों के नियुक्तियों और तबादलों पर मुहर लगाई। राष्ट्रपति भवन से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र का तबादला राजस्थान कर दिया गया है। वहीं वरिष्ठ बीजेपी नेता और उत्तराखंड के पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी को महाराष्ट्र का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही बीजेपी नेता बंडारू दत्तात्रेय को हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है। तमिलनाडु की बीजेपी नेता डॉ तमिलिसाई सुंदरराजन को तेलंगाना का राज्यपाल बनाया गया है।
Kalraj Mishra, Governor of Himachal is transferred & appointed as Governor of Rajasthan. Bhagat Singh Koshyari appointed as Governor of Maharashtra, Bandaru Dattatreya as Governor of Himachal, Arif Mohammed Khan as Guv of Kerala, Tamilisai Soundararajan as Governor of Telangana pic.twitter.com/oKOe8xUOOz
— ANI (@ANI) September 1, 2019
बता दें कि आरिफ मोहम्मद खान 80 के दशक में कांग्रेस के बड़े नेता के तौर पर जाने जाते थे। आरिफ मोहम्मद खान को एक मुस्लिम समाज सुधारक के तौर पर जाना जाता है। केंद्र सरकार का उन्हें केरल जैसे राज्य का राज्यपाल नियुक्त करना एक मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है।
गौरतलब है कि केरल में इस्लामीकरण दिन प्रति दिन बढ़ता ही जा रहा है। वहां कांग्रेस और वामपंथी राजनीतिक दल अपने निजी स्वार्थ के लिए मुस्लिम और ईसाई वोट बैंक का तुष्टीकरण करते रहे हैं। केरल से आए दिन मीडिया में मुस्लिम युवाओं को कट्टर बनाने, कट्टरता को बढ़ावा देने, कट्टरता पर आधारित स्कूल खोलने और युवाओं की गिरफ्तारी की ख़बरें आती रही हैं। इस्लाम पर भाषण देने वाले लोग चर्चा में रहते हैं। उनके बड़े-बड़े पोस्टर और कट आउट सड़कों और चौराहों पर उसी तरह से लगे हुए होते हैं जैसे चुनाव के दौरान नेताओं के लगे होते हैं। यहाँ मिस्र के इस्लामी स्कूलों से प्रभावित हो कर बच्चों के कई इस्लाम समर्थित स्कूल भी बनाए गए हैं।
इसके साथ ही केरल में हिंदू लड़कियों के साथ लव जिहाद के कई मामले भी सामने आए थे। केरल हाईकोर्ट ने भी आशंका जताई है कि ISIS के इशारे पर लव जिहाद के जरिए लड़कियों को फंसा कर उनका धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। केरल में पिछले दस सालों के दौरान करीब दस हजार लड़कियों ने धर्म परिवर्तन कराया गया।
इसके अलावा केरल से युवकों के गायब होने की भी खबरें आती रही हैं जो बाद में जाकर इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठन में शामिल हो जाते हैं। जनवरी 2016 में केरल के 20 युवक गायब होने और इन सभी के आतंकी संगठन ISIS में शामिल होने की खबर आई थी। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक, केरल के अब तक 98 महिला, पुरुष और बच्चे आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) में शामिल हो चुके हैं। इन उदाहरणों से समझा जा सकता है कि केरल के पढ़े लिखे समाज में किस तरह की कट्टरता बढ़ती जा रही है। ऐसे में केंद्र सरकार का आरिफ मोहम्मद खान को केरल जैसे राज्य का राज्यपाल नियुक्त करना एक मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है।
आरिफ मोहम्मद खान छात्र जीवन से ही मुस्लिम समाज के सुधार के लिए काम करते रहे हैं। वे मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के के साथ-साथ इस्लाम की प्रगतिशीलता की वकालत करते रहे हैं। वर्ष 1984 में शाहबानो केस में जब राजीव गांधी की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संसद द्वारा कानून बनाकर पलट दिया था तो उन्होंने सरकार के इस फैसले के विरोध में केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। आरिफ मोहम्मद खान को प्रगतिशील मुस्लिम चेहरे के तौर पर जाना जाता है। तीन तलाक जैसे अहम मसलों पर भी उन्होंने मुखरता से अपनी राय रखी थी और इसे मुस्लिम महिलाओं के लिए अच्छा फैसला बताया था। कुछ महीने पहले उन्होंने तीन तलाक पर एक इंटरव्यू के दौरान आरफा खानम जैसे पत्रकारों को उनके रूढ़िवादी इस्लाम के लिए जमकर लताड़ भी लगाई थी।
आरिफ मोहम्मद खान अभी तक बिना किसी संवैधानिक पद के ही इस्लामिक सुधारों की बात करते थे। अब जब उन्हें केरल जैसे राज्य का राज्यपाल नियुक्त किया गया है जहां इस्लामिक कट्टरवाद अपने चरम पर है, तब आरिफ मोहम्मद से यही उम्मीद की जाएगी कि वे इस राज्य में सुधार के लिए कड़े निर्णय लेंगे। केरल को कट्टरवाद से बचाने के लिए आरिफ जैसे इस्लामिक स्कॉलर को राज्यपाल नियुक्त करना मोदी सरकार की एक सकारात्मक कदम मानी जाएगी।