बांग्लादेश की एनजीओ अफेयर्स ब्यूरो ने गुरुवार को एडवेंटिस्ट डेवलपमेंट एंड रिलीफ एजेंसी (ADRA) और अल मरकज़-उल-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाते हुए एक सर्कुलर जारी किया। 25 अगस्त को कॉक्स के बाजार क्षेत्र में रोहिंग्याओं की एक रैली आयोजित करने में इन दोनों ही गैर सरकारी संगठनों की भूमिका सामने आई थी। दोनों गैर-सरकारी संगठनों को बांग्लादेश में अपना कार्यालय बंद करने के लिए कहा गया है इसके साथ ही बैंकों को इन दोनों गैर-सरकारी संगठनों से संबंधित सभी लेनदेन रोकने के लिए कहा है।
इससे पहले, शनिवार को बांग्लादेश की सरकार ने 41 गैर-सरकारी संगठनों को रोहिंग्याओं की मदद करने के लिए दोषी पाया था जिसके बाद इन सभी एनजीओ की गतिविधियों पर रोक लगा दी गयी थी।
इससे पहले बांग्लादेशी सरकार ने कहा था कि कुछ गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) देश से रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार वापस भेजने के रास्ते में रोड़ा अटका रहे हैं। बीडी न्यूज24 की रिपोर्ट के अनुसार, एक संसदीय स्थायी समिति ने गुरुवार को एक बैठक में शिकायत सुनने के बाद उन एनजीओ की पहचान की। इन गैर सरकारी संगठनों की वजह से कॉक्स बाजार के शिविरों से शरणार्थियों को वापस अपने देश भेजने का दूसरा प्रयास भी ठप हो गया था। बंगलदेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमन ने कहा था कि वे किसी को भी जाने के लिए मजबूर नहीं करेंगे, लेकिन रोहिंग्याओं को उनके स्वदेश लौटने से इंकार करना ‘निराशाजनक’ और ‘अप्रत्याशित’ हैं। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों और सरकार के अलावा, स्थानीय और विदेशी एनजीओ 11 लाख से अधिक रोहिंग्याओं को शरण देने वाले कॉक्स बाजार शरणार्थी शिविरों में काम कर रहे हैं।
बता दें कि बांग्लादेश सरकार ने सोमवार को दक्षिण पूर्व में शिविरों में रह रहे लगभग दस लाख रोहिंग्या शरणार्थियों की मोबाइल सेवाएं बंद करने का आदेश दिया है। पुलिस प्रवक्ता इकबाल हुसैन ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि ‘शरणार्थी म्यांमार से करोड़ों डॉलर मूल्य की मेथम्फेटामाइन गोलियां की तस्करी जैसी आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए मोबाइल फोन का दुरुपयोग कर रहे हैं’। पुलिस ने कारण बताते हुए कहा कि ‘शरणार्थियों के खिलाफ नशीले पदार्थों की तस्करी, हत्या, डकैती, गिरोह से लड़ने और पारिवारिक झगड़े के लगभग 600 मामले दर्ज किए गए थे।‘
हालांकि, भारत को इससे सीखने की जरूरत है। केन्द्र सरकार ने भारत में रोहिंग्या शरणार्थियों को कथित रूप से अवैध प्रवास में मदद कर रहे दर्जन भर संदिग्ध गैरसरकारी स्वयंसेवी संगठनों (एनजीओ) और व्यक्तियों को चिन्हित किया था लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। चिन्हित किए गए अधिकांश संगठन दिल्ली से संचालित किये जाते हैं। इन पर सामाजिक कार्यकर्ताओं के माध्यम से अवैध रोहिंग्या प्रवासियों को भारत में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी का दर्जा दिलाने सहित अन्य दस्तावेजी सबूत मुहैया कराकर शरणार्थी का दर्जा दिलाने में मदद करने के आरोप हैं। हाल ही में दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने इन संगठनों की कथित संदिग्ध गतिविधियों के आधार पर केन्द्र और दिल्ली सरकार के गृह विभाग को इस बारे में सूचित भी किया था। लेकिन फिर भी किसी प्रकार का एक्शन नहीं लिया गया। अब असम में एनआरसी लागू होने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से यह उम्मीद की जा सकती है कि वह इस विषय पर भी गौर करेंगे और कोई ठोस निर्णय लेंगे।