पिछले कुछ दिनों से चर्चित पत्रकार बरखा दत्त ने एक नया ही अवतार धारण कर लिया है। जैसे राजनीति में आजकल बसपा प्रमुख मायावती पीएम मोदी की मुरीद हो गई हैं, वैसे ही पत्रकारिता में बरखा दत्त न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की तारीफ कर रही हैं, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर भारत के पक्ष में अपना मत भी आगे रखती हैं। हाल ही में इसरो द्वारा सफलतापूर्वक प्रक्षेपित चंद्रयान 2 के विक्रम लैंडर से संपर्क टूटने पर जब इसरो के वैज्ञानिकों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पूरा देश ढांढ़स बंधा रहा था, उस वक्त बरखा दत्त ने सभी को हैरान करते हुये ये ट्वीट पोस्ट किया –
Impossible to hold back tears. You can literally feel K Sivans 💔 #ISRO https://t.co/jmYFAF5kLI
— barkha dutt (@BDUTT) September 7, 2019
ट्वीट में बरखा ने पीएम मोदी द्वारा इसरो प्रमुख के. सिवन को ढांढ़स बंधाने वाले वीडियो पर अपनी टिप्पणी करते हुये कहा, “इस पर अपने आँसू रोक पाना लगभग नामुमकिन है। मैं अच्छी तरह समझ सकती हूँ कि के. सिवन पर क्या बीत रही होगी”। इसके अलावा बरखा ने पीएम नरेंद्र मोदी के इसरो वैज्ञानिकों के प्रति व्यवहार की भी सराहना करते हुए कहा, “पीएम मोदी टीम इसरो को साहसी बने रहने के लिए कहते हैं। जानते हैं क्यों, क्योंकि ये अभी इतिहास रचने की ओर एक सार्थक प्रयास है। एक क्रतज्ञ राष्ट्र की ओर से इस कदम के लिए साधुवाद”।
यही नहीं, पीएम मोदी के इस कदम की आलोचना करने वालों को भी आड़े हाथों लेते हुए बरखा ने ट्वीट किया, “जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भावुक इसरो प्रमुख को गले लगाया, ऐसा लगा मानो देश के अरबों लोगों ने एक साथ उन्हॆ गले लगाया हो। ये निस्संदेह एक सराहनीय कदम है। इसकी आलोचना कर इसे राजनीतिक तूल देने का अर्थ है देश को एकत्रित होने के एक अवसर से वंचित करने का प्रयास करना।
इसी बीच जब एनडीटीवी के पत्रकार पल्लव बाग्ला ने इसरो के एक वैज्ञानिक के साथ बदतमीजी से व्यवहार किया, तो सोशल मीडिया पर उन्हें निस्संदेह चौतरफा आलोचना का सामना करना पड़ा। ऐसे में जब पल्लव बाग्ला के बचाव में सदानंद धूमे आगे आए और उन्होंने पल्लव बचाव करने का प्रयास किया, और ट्वीट कर कहा- ‘कुछ लोग इससे एनडीटीवी को देशद्रोही साबित करने के लिए शेयर कर रहे हैं। यह बेतुका है। इसरो के लिए लोगों का प्यार स्वाभाविक है, और कई मायनों में प्रशंसनीय भी, परंतु किसी भी स्वतंत्र देश में एक पत्रकार को एक संगठन के प्रमुख से सवाल पूछने के लिए लताड़ा नहीं जाएगा।‘
Some folks are sharing this to show up NDTV as unpatriotic. That’s absurd. While a national outpouring of affection for ISRO is understandable—and in some ways even commendable—in no free country would a journalist be chided for expecting to hear from the head of an organization. https://t.co/lMH5OAJ09A
— Sadanand Dhume (@dhume) September 7, 2019
इस पर बरखा ने फिर से सभी को हैरत में डालते हुए ये ट्वीट पोस्ट किया –
I never use words like unpatriotic but @dhume this tone? The reporter is shouting and how is this journalistic when there is no public accountability issue at stake at all or some scam or any corruption or anything. Tone is horrible, crass & disrespectful of v humble men & women https://t.co/13dHoWSqV1
— barkha dutt (@BDUTT) September 7, 2019
“मैंने कभी देश विरोधी शब्द का उपयोग नहीं किया, पर धूमे साब, [बांग्ला] के इस व्यवहार को आप क्या कहेंगे? उन्होंने सरेआम चिल्लाया और जब यहाँ किसी प्रकार की जवाबदेही अथवा घोटाले से उक्त व्यक्तियों का संबंध ही नहीं है, तो ये कहाँ की पत्रकारिता हुई भला? ये व्यवहार न सिर्फ अशोभनीय है बल्कि मेहनतकश व्यक्तियों के प्रति काफी अपमानजनक भी है”।
हालांकि कई लोग इस बात से हैरान है कि आखिर बरखा दत्त को हुआ क्या है? कल तक जो पत्रकार मोदी सरकार को दिन रात कोसने से नहीं हिचकती थी, वो आज मोदी सरकार का पक्ष लेने के साथ-साथ भारत विरोधी पत्रकारों की क्लास क्यों लगा रही हैं? जो बरखा दत्त किसी समय कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अत्याचारों को उचित ठहराती थी, और बुरहान वानी जैसे आतंकी को ‘एक गरीब हेडमास्टर का लड़का’ ठहराने पर तुली थीं, वे आज कैसे पल्लव बाग्ला को उनकी छद्म पत्रकारिता के लिए खरी-खोटी सुना रही हैं?
दरअसल, बरखा दत्त एक बेहद चतुर पत्रकार है, जो सही अवसर खोजकर ही अपनी बात सामने रखती है। हम सभी इस बात से भली भांति परिचित हैं कि बरखा अक्सर वामपंथी विचारों की समर्थक रही है, और कई अवसरों पर सरकार विरोधी, विशेषकर भाजपा विरोधी रही है। कभी बुरहान वानी जैसे आतंकियों को महिमामंडित करना हो, या फिर अपनी पत्रकारिता से सुरक्षाबलों को खतरे में डालना हो, बरखा हमेशा ही अपनी पत्रकारिता के कारण अक्सर विवादों के केंद्र में रहीं हैं।
लेकिन पिछले कुछ महीनों से उन्होंने अपना तेवर पूरी तरह ही बदल दिया है। शायद बहुत कम लोग इस बात से परिचित हैं कि इस व्यवहार का लक्षण 2017 में ही दिख गया था जब बरखा एनडीटीवी छोड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हो चुकी थीं। उस समय अपने फेसबुक अकाउंट के जरिये उन्होंने एक सनसनीखेज खुलासा करते हुए बताया कि कैसे चैनल ने उनके लिए हालात ऐसे बना दिये थे कि उन्हें नौकरी छोडनी पड़ी, और एनडीटीवी के पहल पर ही उनके द्वारा नेशनल हेराल्ड पर एक स्टोरी को हटा दिया गया, जिसमें कथित तौर से काँग्रेस को निशाने पर लिया गया था।
इसके अलावा बरखा ने हाल ही में तिरंगा टीवी में हो रही छंटनी और कर्मचारियों के साथ बदसलूकी के लिए काँग्रेस नेता एवं अधिवक्ता कपिल सिब्बल और उनकी पत्नी प्रोमिला को भी आड़े हाथों लिया था। बरखा के ट्वीट्स के अनुसार, कपिल और प्रोमिला ने न केवल निकाले गए कर्मचारियों की मांगों का मज़ाक उड़ाया, बल्कि महिला कर्मचारियों के साथ बदसलूकी भी की। बात तो यहाँ तक पहुँच गयी कि बरखा ने कपिल और प्रोमिला के बारे में दिल्ली महिला आयोग से शिकायत करने तक की धमकी दे डाली।