गुरुवार को अमेरिका के ‘प्रतिष्ठित’ अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने बड़े ही गर्व से यह ऐलान किया था कि ग्लोबल ओपिनियन सेक्शन में भारत की राजनीति पर लेख लिखने के लिए उन्होंने भारत की ‘प्रतिष्ठित’ पत्रकार राणा अय्यूब के साथ करार किया है। इस ऐलान के साथ ही यह लगभग स्पष्ट हो गया है कि अगर आपको वॉशिंग्टन पोस्ट में नौकरी पानी है, तो आपका हिंदू विरोधी होने के साथ-साथ भाजपा और मोदी विरोधी होना अत्यंत आवश्यक है। राणा अय्यूब की तरह ही बरखा दत्त भी वॉशिंग्टन पोस्ट के लिए लिखने वाली ऐसी ही एक अन्य पत्रकार हैं जिनके दिन की शुरुआत भी पीएम मोदी की आलोचना करने से होती है और जिनका दिन भाजपा की आलोचना के साथ खत्म होती है। ऐसे में अब भविष्य में भारत को लेकर वॉशिंग्टन पोस्ट की रिपोर्टिंग के स्तर का अनुमान पहले ही लगाया जा सकता है। सवाल यह भी है कि आखिर राणा अय्यूब जैसे स्तरहीन और फेक न्यूज़ फैलाने वाले पत्रकारों को नौकरी देकर वॉशिंग्टन पोस्ट क्या संदेश देने की कोशिश कर रहा है?
राणा अय्यूब भारत में एक स्थापित लेफ्ट लिबरल गैंग की सदस्य और फेक न्यूज़ फैलाने वाली पत्रकार हैं। पत्रकार राणा अय्यूब का विवादों के साथ गहरा नाता रहा है। चाहे वो पैलेट गन से संबंधित भ्रामक खबरें फैलानी हो, या फिर लोकसभा चुनावों के बाद देश के जनमानस के निर्णय का मज़ाक उड़ाना हो, राणा अय्यूब अपने एजेंडे के प्रचार प्रसार में सदैव आगे रही हैं। कश्मीर मुद्दे पर वे पाकिस्तान का ही साथ देती दिखीं थीं। अपना पाकिस्तानी एजेंडा चलाने के लिए उन्होंने फेक न्यूज़ तक फैलाने का काम किया था। राणा अय्यूब ने अपने ट्वीट में भारतीय सेना द्वारा कश्मीरियों पर जुल्म ढहाने का आरोप लगाते हुए एक फोटो को पोस्ट किया था। उन्होंने लिखा था ‘प्यारी भारतीय सेना, शायद यह छोटा बच्चा देश की संप्रभुता के लिए खतरा था जिसको आपने जिंदगी भर के लिए अंधा कर दिया है’।
Dear Indian army, am guessing this young kid was quite a threat to the sovereignty of India to be blinded for life pic.twitter.com/jLkDXgCPmE
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) July 17, 2016
हालांकि, बाद में पता चला कि वह फोटो वर्ष 2015 की है। इतना ही नहीं, शायद उन्हें यह भी नहीं पता था कि भारतीय सेना पैलेट गन का इस्तेमाल आमतौर पर नहीं करती है। सेना सब रास्ते बंद होने के बाद ही इस हथियार का इस्तेमाल करती है।
सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, राणा अय्यूब तो अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी फेक न्यूज़ फैलाने वाली पत्रकार के तौर पर स्थापित हो चुकी हैं। दरअसल, कुछ दिनों पहले राणा अय्यूब ने हाउडी मोदी को लेकर एक झूठी खबर फैलाई थी। उन्होंने ट्वीट किया था ‘‘तुलसी गबार्ड ने पीएम मोदी के ह्यूस्टन में होने वाले ‘Howdy Modi’ समिट का निमंत्रण अस्वीकार कर दिया है और ये भारत में उनके प्रशंसकों के लिए किसी झटके से कम नहीं होगा’।
Tulsi Gabbard refuses invitation to attend Howdy Modi event in Houston..What a turnaround. Where does this leave her Indian fanboys https://t.co/c8O5x7XSSu
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) September 16, 2019
परंतु इससे पहले कि ये खबर आम जनता को और ज्यादा गुमराह करती और बड़ा मुद्दा बनता, उससे पहले ही तुलसी गबार्ड ने स्वयं स्पष्ट कर दिया कि राणा अय्यूब का यह पोस्ट भ्रामक है। तुलसी गबार्ड ने स्पष्ट किया कि उन्हें 22 सितंबर को आइओवा नामक राज्य में एक कार्यक्रम में शामिल होना है, इसलिए वे दुर्भाग्यवश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएंगी।
This article is misinformed. I’m not attending the Houston event due to previously scheduled presidential campaign events. However I'm hoping to meet PM Modi on his visit to discuss the importance of maintaining the strong partnership of the world's oldest & largest democracies.
— Tulsi Gabbard 🌺 (@TulsiGabbard) September 18, 2019
राणा अय्यूब से पहले भारत की एक और लेफ्ट लिबरल गैंग की स्थापित सदस्य बरखा दत्त भी वॉशिंग्टन पोस्ट के लिए लिखतीं हैं। बरखा दत्त भी अपने मोदी और भाजपा विरोध के लिए जानी जाती हैं। अब वॉशिंग्टन पोस्ट ने राणा अय्यूब जैसे स्तर की पत्रकार अपने मीडिया समूह में जगह देकर यह स्पष्ट कर दिया है कि हिंदू विरोधी, भाजपा और मोदी विरोधी होना ही उनके लिए एक योग्य पत्रकार होने का असली सर्टिफिकेट है। ऐसे एजेंडावादी पत्रकारों की भर्ती करके वॉशिंग्टन पोस्ट ने अपनी मानसिकता का भी प्रदर्शन किया है। वॉशिंग्टन पोस्ट यूं तो शुरू से ही मोदी-विरोधी रहा है और पीएम मोदी के खिलाफ अपना एजेंडा फैलाता आया है। वर्ष 2019 के चुनावों में जब पीएम मोदी को भारी बहुमत मिला था, तो वॉशिंग्टन पोस्ट ने ही सबसे पहले इसपर अपना दुखड़ा रोया था। तब वॉशिंग्टन पोस्ट ने लिखा था ‘देश में बेरोजगारी 4 दशक के अपने उच्चतम स्तर पर है। मुस्लिमों को डराया धमकाया जा रहा है, देश में हिंसा बढ़ी है। आतंकवाद फैलाने की आरोपी साध्वी प्रज्ञा को भी चुनावी मैदान में उतारा गया, लेकिन इन सब के बावजूद भारतीय वोटर्स ने पीएम मोदी और भाजपा पर ही अपना भरोसा जताया। और यह भारतीय राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत है।
साफ है कि राणा अय्यूब जैसे पत्रकारों के माध्यम से वॉशिंग्टन पोस्ट अपने इसी मोदी विरोधी एजेंडे को बढ़ावा देना चाहता है। उसका मकसद भारत की राजनीति में प्रधानमंत्री मोदी के कद को लेकर पूरी दुनिया में झूठा प्रोपेगैंडा फैलाना है ताकि भारत के लोकतंत्र को बदनाम किया जा सके। हालांकि, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के खिलाफ एजेंडा चलाना वॉशिंग्टन पोस्ट की विश्वसनीयता के लिए ही खतरा साबित होगा। आने वाले समय में हमें ये देखने को जल्द ही मिल भी सकता है।