मेक इन इंडिया के अंतर्गत निर्मित स्वदेशी ट्रेन अब हुए ग्लोबल

श्रीलंका ट्रेन

PC : Live mint

श्रीलंका भारत का मित्र देश रहा है। राजनीतिक विचारधारा कैसी भी रही हो, नई दिल्ली में स्थित केंद्र सरकार ने समय-समय पर श्रीलंका की विकासशील परियोजनाओं के क्रियान्वयन में सहायता की है। ऐसे में भारत श्रीलंका के सम्बन्धों को और मजबूत करने के लिए श्रीलंकाई राष्ट्रपति मैत्रीपाल श्रीसेना ने हाल ही में पुलथिसी एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई, जो पूरी तरह से भारत में निर्मित ट्रेन है। इस ट्रेन को इंडियन लाइन ऑफ क्रेडिट के अंतर्गत चेन्नई के इंटीग्रल कोच फ़ैक्टरी में निर्मित किया है –

हाल ही में आईसीएफ़ ने श्रीलंका में 6 ऐसे ही DMU ट्रेन, जिनमें 78 कोच मौजूद हैं। इन ट्रेनों को श्रीलंका के वातावरण अनुसार निर्मित किया गया है, और इन्हें वहाँ के मौसम अनुसार जंगरोधक बनाया गया है।

एक रेलवे अफसर के अनुसार, “जंग से बचने के लिए गाड़ी को इंटीरियर फिटिंग सहित शुद्ध स्टेनलेस स्टील से निर्मित किया गया है, और सभी कोचों एवं अंदर फ्रेम पर स्पेशल पेंट लगाया है, जिससे जंग न जम सके”। इसी अफसर ने आगे कहा, “इन कोचों की बॉडी को स्पेशल हाइ ग्लास एंटि ग्राफिटी पेंट से पेंट किया गया है, जो न सिर्फ आकर्षक होगा, अपितु लंबे समय तक टिका रहेगा।

पिछले कुछ वर्षों में भारत राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के लिए एक बहुत बड़े मनुफैक्चरिंग हब के तौर पर उभर कर सामने आया है। आईसीएफ़ में निर्मित अति आधुनिक ट्रेन 18 के साथ भारत अब रेलवे कोचों के 200 बिलियन डॉलर वाले ग्लोबल मार्केट में उतरने के लिए पूरी तरह तैयार है। जिस तरह से वैश्विक दामों के आधे दाम पर भारत ने एक सेमी हाइ स्पीड ट्रेन का सफलतापूर्वक ट्रेन का निर्माण किया है, उससे भारत की योग्यता और रेल कोच मनुफैक्चरिंग में उसकी कार्य कुशलता का स्पष्ट संदेश मिलता है।

पेरु, इंडोनेशिया, सिंगापुर, मलेशिया और कुछ मिडिल ईस्ट देशों ने भी ट्रेन 18 में अपनी दिलचस्पी दिखाई, और भारत उन्हें जल्द ही एक्सपोर्ट कर सकता है। कई देश इसलिए भी इस ट्रेन को प्राप्त करने के लिए उत्सुक हैं, क्योंकि उन्हें न केवल ऐसी ट्रेन बेहद कम दाम में मिलेगी, बल्कि इनके कोचों वैश्विक मानकों पर भी खरे उतरते हैं। सच पूछें, तो ट्रेन 18 जैसी सुविधाओं वाला ट्रेन करीब 250 करोड़ रुपये में उपलब्ध है, जबकि वास्तविक ट्रेन 18, जो भारत में निर्मित है, उसकी कीमत केवल 100 करोड़ रुपये है। ये भारत को ट्रेन के एक्स्पोर्ट्स में अग्रणी खिलाड़ी बनने के लिए एक सुनहरा अवसर भी है।

इससे पहले एक फ्रेंच मल्टीनेशनल एलस्टोम एसए ने सिडनी मेट्रो के लिए 22 ट्रेन सेट्स एक्सपोर्ट किए थे। ये सिक्स कार ट्रेन सेट पूरी तरह भारत में आंध्र प्रदेश राज्य में श्री सिटी शहर में निर्मित थे। यही नहीं, खबर अब ये भी आई है कि रायबरेली की मॉडर्न कोच फ़ैक्टरी वैश्विक बाज़ार में customized एसी प्रथम, एसी 2 टियर, एवं अन्य कोचों को निर्यात करेंगे। ये पहली बार होगा कि एमसीएफ़ रायबरेली में स्थित फ़ैक्टरी से 90 कोच अफ्रीकी देश मोज़ाम्बिक में निर्यात करेंगे। इसके अलावा दुनिया के बड़े बड़े देश भारत में अपने लिए अनुकूल निवेश के माहौल को भी पहचान चुके होंगे। तभी तो दुनिया के बड़े बड़े tech giants और उद्यमियों ने भारत में अपने विस्तार की योजनाओं को भी बढ़ा दिया है।

विश्वभर के निवेशकों ने भारत में अपना विश्वास जताया है, जिससे न सिर्फ हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, अपितु भारत में रोजगार में भी वृद्धि  होगी, जिसका पूरा पूरा श्रेय मोदी सरकार के मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्किल इंडिया जैसे परियोजनाओं को जाता है।

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