पंकज आडवाणी की जीवन परिचय
भारत में क्रिकेट सबसे लोकप्रिय और सफल खेल है। हर भारतीय के रग-रग में क्रिकेट का नशा ही छाया रहता है। लेकिन भारत में क्रिकेट के अलावा भी कई ऐसे खेल और खिलाड़ी हैं जो निरंतर अपने खेल के क्षितिज पर छाए हुए हैं। बात चाहे बॉक्सिंग में मैरी कॉम की हो या एथलेटिक्स में हिमा दास की, ऐसे कई खिलाड़ी हैं जिन्होंने भारत के तिरंगे का मान-सम्मान बढ़ाया है। इसी कड़ी में नाम आता है स्नूकर और बिलियर्ड्स के खिलाड़ी पंकज आडवाणी का जिन्होंने हाल ही में विश्व बिलियर्ड्स चैम्पियनशिप का खिताब जीतकर 22वीं बार वर्ल्ड चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया है।
36 वर्षीय पंकज आडवाणी ने लगातार चौथी बार आईबीएसएफ वर्ल्ड बिलियर्ड्स चैम्पियनशिप का टाइटल अपने नाम किया है। बिलियर्ड्स के शॉर्ट फॉर्मेट में आडवाणी ने पिछले 6 सालों में पांचवां खिताब जीता है।
उन्होंने मात्र 19 वर्ष की उम्र में तीन विश्व खिताब जीतकर इतिहास रच दिया था। वह 21-बार के विश्व चैंपियन हैं और उन्होंने अंग्रेजी बिलियर्ड्स में हैट-ट्रिक्स हासिल की है जिसमें विश्व, एशियाई और भारतीय राष्ट्रीय चैम्पियनशिप खिताब एक साथ चार अलग-अलग वर्षों में जीते हैं।
पंकज आडवाणी का का जन्म और शिक्षा
पंकज आडवाणी का 24 जुलाई 1985 को जन्म पुणे में हुआ था। पंकज आडवाणी ने अपने बचपन के 6 साल कुवैत में बिताए। इसके बाद इनका परिवार बैंगलोर आ गया। इनके पिता का नाम अर्जुन और माता का नाम काजल आडवाणी हैं। पंकज के बड़े भाई का नाम श्री आडवाणी हैं। कम उम्र में पंकज के पिताजी की मृत्यु हो गई थी।
उन्होंने फ्रैंक एंथनी पब्लिक स्कूल, बैंगलोर में अपनी शुरूआती पढ़ाई की और श्री भगवान महावीर जैन कॉलेज से वाणिज्य में स्नातक की उपाधि ली। पूर्व राष्ट्रीय स्नूकर चैंपियन अरविंद सावर ने पंकज आडवाणी को प्रशिक्षित किया। वर्ष 2002 में पंकज आडवाणी एशियाई बिलियर्ड्स चैम्पियनशिप में अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा की शुरुआत की, जहां वे रनर-अप थे।
पंकज आडवाणी ने वर्ष 2005 में माल्टा में हुए आई.बी.एस.एफ. वर्ल्ड बिलियर्ड्स चैंपियनशिप में विजय प्राप्त करने वाले ऐसे पहले खिलाड़ी बने जिन्होंने एक साथ अंकों के आधार पर तथा समय के आधार पर जीत हासिल की थी। उन्होंने 2003 में विश्व स्नूकर का खिताब भी जीता था। उन्होंने 2008 में बैंगलोर में यह कामयाबी फिर दोहराई।
आडवाणी की पहली विश्व चैम्पियनशिप
आडवाणी ने वर्ष 2009 में लीड्स में डब्ल्यूपीबीएसए (वर्ल्ड प्रोफेशनल बिलियर्ड्स और स्नूकर एसोसिएशन) का खिताब जीता। उसी साल, उन्होंने आईबीएसएफ विश्व बिलियर्ड्स खिताब और आईबीएसएफ वर्ल्ड स्नूकर चैम्पियनशिप भी जीती नतीजतन, वह उसी वर्ष तीनों खिताब जीतने वाले पहले खिलाड़ी बने। उन्होंने 2012 में भी यह कारनामा फिर से दोहराया।
2012 में ही गोवा में आडवाणी ने अपना 5 वां एशियाई बिलियर्ड्स चैम्पियनशिप जीता, पंकज आडवाणी पहले खिलाड़ी थे जिन्होंने इन खिताबों को जीता। उस वर्ष उन्होंने अपना सातवाँ विश्व बिलियर्ड्स चैंपियनशिप खिताब जीता। यही नहीं उन्होंने एशियाई खेलों में भी वर्ष 2006 और 2010 में स्वर्ण पदक जीता था। वहीं 2008 में ऑस्ट्रेलियन ओपन बिलियर्ड्स ख़िताब जीता था।
खेल में उनके योगदान को कई स्तरों पर सराहा गया। उन्हें भारत के सबसे प्रतिष्ठित नागरिक पुरस्कार वर्ष 2018 में पद्म भूषण, सहारा इंडिया स्पोर्ट्स अवार्ड, स्पोर्ट्स में टीचर अचीवमेंट अवार्ड और 2010 में डीएनए मोस्ट स्टाइलिश स्पोर्ट्सपर्सन अवार्ड, वर्ष 2009 में पद्म श्री भी मिल चुका है।
पंकज आडवाणी को भारत सरकार की ओर से दिए गए अवार्ड
वहीं 2006 में भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान यानि राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजा गया और 2004 में अर्जुन अवार्ड भी उन्हें मिल चुका है। उनके द्वारा जीते गए अन्य पुरस्कारों में 2012 में एनडीटीवी स्पिरिट ऑफ स्पोर्ट्स अवार्ड फॉर इंडिया ऑफ अचीवर और टीएजी हेयर्स एक्सीलेंस इन स्पोर्ट्स अवार्ड और 2011 में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम से ग्लोबल शेपर के रूप में मान्यता शामिल है।
इस विश्व चैंपियन खिलाड़ी के खिताबों को देख कर ही समझा जा सकता है कि आडवाणी ने भारत का सिर दुनियां में कितना ऊंचा किया है। आज भारत में अन्य खेल भी अपनी जगह बना रहे हैं। ऐसे में बिलियर्ड्स और स्नुकर में पंकज आडवाणी जैसा रोल मॉडल नहीं हो सकता। युवाओं को पंकज आडवाणी के जीतने की भूख और उनके अंदर की आग से प्रेरणा लेनी चाहिए। इतनी उपलब्धियों के बावजूद भी उनकी ऊर्जा बरकरार है।