IIPM के साथ आपकी क्या डील हुई थी शाहरुख खान ? देश को आपसे जवाब चाहिए

शाहरुख खान

ऐसा लगता है मानो अभिनेता शाहरुख खान के लिए मुसीबतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। अभी क्यूनेट घोटाले में शाहरुख खान का नाम आए ज्यादा दिन भी नहीं हुए थे कि कोलकाता हाई कोर्ट ने उन्हें एक नोटिस थमा दिया है। इस बार मामला है विवादित संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ प्लानिंग एंड मैनेजमेंट [आईआईपीएम] का, जिसके साथ शाहरुख खान का नाता काफी समय तक रहा था।

परंतु ये आईआईपीएम क्या है? और इससे संबंध होने के कारण कोलकाता हाईकोर्ट ने शाहरुख खान को नोटिस क्यों थमाया है? आइये पहले आईआईपीएम के इतिहास और उसके आकस्मिक अंत पर नजर डालते हैं।

1973 में मलयेन्द्र किशोर चौधुरी द्वारा स्थापित आईआईपीएम को भारत में आईआईएम के ‘विकल्प’ के तौर पर स्थापित किया गया था। इसके पूर्व डीन अरिंदम चौधुरी ने भी यहीं से अपनी पढ़ाई पूरी की थी। आईआईपीएम को बेल्जियम के इंटरनेशनल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट से अफिलिएटेड बताया गया था और एक समय ऐसा भी था जब इसकी शाखाएं देश के 18 शहरों में थीं। इनके पूर्व केन्द्रों में नई दिल्ली, नोएडा, मुंबई, गुरुग्राम, बेंगलुरु, चेन्नई, अहमदाबाद, कोलकाता, चंडीगढ़, हैदराबाद, पुणे, लखनऊ, इंदौर, भुवनेश्वर इत्यादि जैसे शहर शामिल हैं। हर सुविधा से परिपूर्ण, इस संस्थान को अरिंदम चौधुरी आईआईएम और आईआईटी के विकल्प के तौर पर ज़ोर-शोर से प्रचारित करते थे। इनके इंस्टिट्यूट की टैग लाइन भी थी, ‘डेयर टू थिंक बियोंड आईआईटी एंड आईआईएम।’

हालांकि, वित्तीय अनियमितताओं और आवश्यक जानकारी छुपाने के आरोप में आईआईपीएम पर यूजीसी ने सख्त कार्रवाई करते हुए उनके 18 में से 17 केंद्र 2015 तक बंद करा दिये, और ये तय किया कि आईआईपीएम को देश के किसी भी शैक्षणिक संस्थान से मान्यता न मिले। आईआईपीएम का केवल अब दिल्ली में एक रिसर्च एंड डेव्लपमेंट इंस्टीट्यूट बचा है, और वो भी यूजीसी से मान्यता प्राप्त नहीं है।

अब सवाल ये उठता है कि आखिर शाहरुख खान इस विवाद में कैसे फंसे?

दरअसल, आईआईपीएम के खिलाफ केस दर्ज करने वाले संस्थान के दो पूर्व विद्यार्थियों के अनुसार शाहरुख खान ने इस संस्थान के लिए न केवल विज्ञापन किए हैं, बल्कि वो आईआईपीएम द्वारा आयोजित कई इवेंट्स और कैम्पस फ़ेस्टिवल्स में भी भाग ले चुके हैं। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता दीपांजन दत्त के अनुसार, “शाहरुख खान को विज्ञापनों में IIPM को प्रमोट करते हुए देखकर ही उन्होंने इस संस्थान में दाखिला लिया था, चूंकि शाहरुख खान IIPM के ब्रैंड ऐंबसेडर माने जाते थे, इसलिए बतौर IIPM के ब्रांड एंबेसडर शाहरुख खान की भूमिका की जांच हो। जांच का जिम्मा CBI को दिया जाए।”

दीपांजन दत्त ने आगे यह भी कहा, ‘याचिकाकर्ता ने अपने बेटे का दाखिला इस संस्थान में करवाया। उन्होंने शाहरुख खान जैसे भरोसेमंद ब्रैंड को IIPM का विज्ञापन करते देखकर ये फैसला लिया। ये सेलिब्रिटी छात्रों को गुमराह करने वाले इस तरह के विज्ञापन नहीं कर सकते। इस तरह के विज्ञापनों को बाज़ार से हटा लिया जाना चाहिए। याचिकाकर्ताओं ने IIPM के बिज़नस की जांच करवाए जाने की भी मांग की है । उन्होंने दावा किया है कि IIPM के विदेशों में भी कैंपस हैं”।

इससे साफ पता चलता है कि बच्चों को उच्च शिक्षा देने के नाम पर अरिंदम चौधुरी का आईआईपीएम किस प्रकार की धांधली करता था। यदि कोई उनका विरोध करता था तो वे भारी भरकम राशि सहित मानहानि का मुकदमा दायर कर देते थे, और ये बात आउटलुक के पत्रकार महेश्वर पेरी से बेहतर कोई नहीं जानता। ‘करियर्स360’ नामक संस्था के साथ मिलकर उन्होंने अरिंदम के विरुद्ध लगभग अकेले लड़ाई लड़ी, और इस दौरान उन्हें कई झूठे मानहानि मामलों में फंसाया गया था। स्वयं महेश्वर पेरी भी शाहरुख खान के आईआईपीएम से जुड़ाव पर अक्सर प्रश्न उठाते रहे हैं, और उन्होंने भी शाहरुख के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है।

इसके साथ ही साथ याचिककर्ताओं ने पश्चिम बंगाल सरकार और राज्य की पुलिस को भी निशाने पर लिया। IIPM के छात्रों द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि ‘जब UGC ने ये स्पष्ट किया कि IIPM उनसे  अफिलिएटेड नहीं है और दिल्ली हाई कोर्ट ने भी उक्त संस्थान को फर्ज़ी करार दिया, इसके बाद  कुछ छात्रों ने IIPM के नाम 2018 में एक केस भी दर्ज कराया था। परन्तु राज्य की पुलिस ने अभी तक IIPM के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि उन्होंने जांच पर क्लोज़र रिपोर्ट जमा कर दी। इसी वजह से याचिकाकर्ताओं को हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा”।

वहीं, इस मामले में शाहरुख खान के अधिवक्ता ने उनका बचाव करने का प्रयास किया। उनके अनुसार, ‘शाहरुख खान ने आईआईपीएम के लिए केवल कुछ विज्ञापन किए हैं’। हालांकि, सच्चाई इसे कोसों दूर दिखती है। यदि आईआईपीएम के कुछ पुराने वीडियो आप देखें, तो आपको साफ पता चलेगा कि शाहरुख खान ने आईआईपीएम के लिए मात्र कुछ विज्ञापन ही नहीं, अपितु एक प्रोमोटर की भांति उसका प्रचार प्रसार किया था।  वो कई बार इनके स्टेज शो में दिखे, और अरिंदम चौधरी के साथ IIPM के कार्यक्रमों में कई बार शिरकत की। शाहरुख का चेहरा IIPM के लिए बड़ा सेलिंग पॉइंट था।

यही वजह है कि अब हाई कोर्ट के न्यायाधीश देवांग्शु बासक ने शाहरुख खान से जवाब मांगा। उन्होंने अपने वर्तमान निर्णय में शाहरुख, उनकी प्रोडक्शन कंपनी रेड चिलीज एंटरटेनमेंट और IIPM  के प्रमोटर अरिंदम चौधरी से अलग-अलग हलफ़नामा जमा करने को कहा है। इसके साथ ही साथ पश्चिम बंगाल सरकार से भी इस बारे में जवाब मांगा गया है। न्यायालय ने ममता बनर्जी सरकार से ये बताने को कहा है कि IIPM पर लगे आरोपों की जांच क्यों न राज्य की पुलिस से लेकर CBI को सौंप दी जानी चाहिए।

अब इस घटना से कुछ प्रश्न साफ उठते हैं,  क्या शाहरुख खान की जनता के प्रति कोई जवाबदेही नहीं है? यदि आईआईपीएम के साथ उनके इतने गहरे संबंध थे, जैसा कि महेश्वर पेरी और कोलकाता हाई कोर्ट में याचिका दायर करने वालों ने बताया है, तो क्या वे एक फर्जी संस्थान को बढ़ावा नहीं दे रहे थे? अभी क्यूनेट मामले में भी शाहरुख खान का नाम सामने आया था, और अब अगर उनपर लगे सभी आरोप सच साबित होते हैं, तो शाहरुख के खिलाफ एक फर्जी संस्थान को बढ़ावा देने और कई लाख विद्यार्थियों का जीवन बर्बाद करने के लिए सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, जिससे बाकी सितारों को भी एक कड़ा संदेश मिल सके।

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