आंध्र का ड्रीम कैपिटल, नायडू ने इसे शुरू होने से पहले ही खत्म कर दिया

आंध्र प्रदेश अमरावती

वर्ष 2014 में देश के राज्य आंध्र प्रदेश को दो हिस्सों में बांटा गया था, और भारत में एक नए राज्य का जन्म हुआ था जिसका नाम था तेलंगाना। वर्ष 2014 में ही नए राज्य में पहली बार चुनाव हुए और राज्य में चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली टीडीपी को भारी बहुमत मिला। नायडू राज्य के सीएम बने और तब उन्होंने घोषणा की थी कि अमरावती को नए राज्य की राजधानी के तौर पर विकसित किया जाएगा। नायडू ने जनता को सपने दिखाये थे कि सिंगापुर के तर्ज़ पर एक बेहद आधुनिक, हरियाली से भरपूर एक ऐसे शहर का निर्माण होगा जहां देश की कई शानदार इमारतें देखने को मिलेंगी। हालांकि, आज 5 साल बाद अमरावती की हालत ऐसी हो चुकी है कि YS जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली YSR कांग्रेस सरकार अब इस शहर को राजधानी के तौर पर विकसित करने से भी कतरा रही है। नई सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोपों के तहत अमरावती में कई विकास कार्यों पर रोक लगा दी है जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति पर बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ा रहा है।

राज्य के पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू के ड्रीम प्रोजेक्ट अमरावती पर 2 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाने थे, और अब तक सरकार इस पर 10 हज़ार करोड़ रुपए खर्च भी कर चुकी है। सरकार ने लोगों को सपने दिखाये थे कि नए शहर में हर जगह नई-नई इमारतें होंगी, बाज़ार होंगे और यह शहर राज्य की आर्थिक गतिविधियों का केंद्र होगा। इन्हीं सपनों के बूते किसानों ने अपनी ज़मीनों को सरकार के हवाले किया और इतना ही नहीं, अपने पैसों से बड़ी बड़ी अर्थमूवर मशीनें भी खरीदीं और उन्हें निर्माण करने वाली कंपनियों को लीज़ पर दिया लेकिन इस वर्ष हुए चुनावों के बाद से ही इस शहर में सभी निर्माण कार्यों पर रोक लग गयी है। मशीनें खड़ी-खड़ी जंग खा रही है और लोगों को बड़ा नुकसान हो रहा है

अमरावती पूरी तरह सरकार द्वारा फंड किए जाना वाला प्रोजेक्ट था और इसे 7 से 8 सालों में पूरा होना था। हालांकि, राज्य में नई सरकार आने के बाद से ही इस प्रोजेक्ट को कई झटके मिल चुके हैं। इसी वर्ष चुनावों के बाद विश्व बैंक ने आंध्र प्रदेश की राजधानी ‘अमरावती कैपिटल सिटी परियोजना’ के लिए 300 मिलियन डॉलर के कर्ज़ देने के फैसले को रद्द कर दिया था। वर्ल्ड बैंक ने यह फैसला नागरिक समाज समूहों (सिविल सोसाइटी) से शिकायतें मिलने के बाद किया था, जिसमें कहा गया गया था कि इस परियोजना में हजारों लोग विस्थापित हो गए थे और सरकार ने जबरन खेती की जमीनों का अधिग्रहण किया था।

हालांकि, अब वाईएस रेड्डी सरकार के अधिकारियों का कहना है कि वर्ल्ड बैंक ने इसलिए इस परियोजना से अपने हाथ खींचे क्योंकि इस प्रोजेक्ट में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा था। जब वर्ल्ड बैंक ने इस प्रोजेक्ट से हाथ खींचे, तो रेड्डी ने कहा था ‘यदि हम इसे आवश्यक समझते हैं, तो हम खुद एक उचित प्राधिकारी द्वारा जांच के आदेश देंगे, क्योंकि हम यह भी मानते हैं कि इसमें बड़ी अनियमितताएं थीं। लेकिन हम ऐसा करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय एजेंसी नहीं चाहते हैं’।

वाईएसआर कांग्रेस सरकार अब अमरावती के किसानों की ज़मीनों को वापस करने पर भी विचार कर रही है। पिछले दिनों आंध्र प्रदेश के नगर निगम मंत्री बोत्सा सत्यनारायण ने कहा था, ‘हम मानते हैं कि राजधानी के निर्माण में हर कदम पर भ्रष्टाचार हुआ है। राजधानी के लिए जमीन देने वाले किसानों को प्लॉट देने में अनियमितताएं बरती गई हैं। नायडू की सरकार ने प्लॉट के आवंटनों में अपने निकट सहयोगियों को वरीयता दी थी। इसमें जो भी लोग शामिल थे, हमने उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। हम राजधानी विकास निर्माण पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे लेकिन ऐसा भ्रष्टाचारों के खिलाफ उचित कार्रवाई के बाद ही होगा। हम नायडू सरकार के कार्य को कतई आगे नहीं बढ़ाएंगे। हम ऐसे किसानों को उनकी ज़मीन वापस करेंगे, जिनसे ये जमीन जबरन ली गई है’।

अमरावती को लेकर वाईएसआर कांग्रेस सरकार खुद तो हाथ पीछे खींचते दिखाई दे ही रही है, वहीं अब भाजपा ने यह भी दावा किया है कि रेड्डी सरकार राज्य में 4 राजधानियाँ बनाने पर विचार कर रही है। फिलहाल, तो रेड्डी सरकार अमरावती में सभी विकास कार्यों पर रोक लगा चुकी है और किसानों को उनकी जमीन वापस देने पर विचार कर रही है, यानि अमरावती प्रोजेक्ट का भविष्य अभी खतरे में दिखाई दे रहा है। हालांकि, यह तो भविष्य ही बताएगा कि रेड्डी सरकार इस प्रोजेक्ट को डंप करती है या नहीं।

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