असम के बाद अब दिल्ली की बारी, BJP नेता मनोज तिवारी ने की राजधानी में NRC लागू करने की मांग

बांग्लादेशी

PC: NewsLaundry

नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजनशिप यानी एनआरसी (NRC) की अंतिम सूची शनिवार को  प्रकाशित कर दिया है। आखिरी लिस्ट में लगभग 3 करोड़ 11 लाख लोगों को शामिल किया गया है, वहीं लिस्ट में 19 लाख से ज़्यादा लोगों के नाम को शामिल नहीं किया गया है। असम में नागरिकता पहचान का काम सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुआ है। यह कवायद कई दिनों से चल रहा था जिसका अब परिणाम आया है। सरकार के रुख के मुताबिक सरकार इन बांग्लादेशी घुसपैठियों से नागरिकता छिन सकती है जिसके बाद वे भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले फायदों से वंचित हो जाएंगे।

आपको बता दें कि घुसपैठियों की समस्या सिर्फ असम में ही नहीं है बल्कि यह पूरे देश में फैला हुआ है। बांग्लादेश से आए घुसपैठी और रोहंगिया पूरे देश में फैले हुए हैं। इसी के मद्देनजर एनआरसी का स्वागत करते हुए भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने दिल्ली में भी एनआरसी लाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि घुसपैठियों की वजह से दिल्ली में स्थितियां बहुत खतरनाक होती जा रही हैं इसलिए यहां एनआरसी की बहुत जरूरत है। मनोज तिवारी ने कहा दिल्ली में जो घुसपैठिए रह रहे हैं वे सबसे ज्यादा खतरनाक हैं, हम दिल्ली में भी एनआरसी लागू करेंगे। इससे पहले मई महीने में मनोज तिवारी ने कहा था कि रोहिंग्या घुसपैठियों के हमले से दिल्ली में लोग लगातार डर के साए में जी रहे हैं, इसलिए यहां भी नेशनल रजिस्ट्रर ऑफ सिटिजंस कानून लागू होना चाहिए, ताकि लोग चैन से रह सकें। इस दौरान उन्होंने कहा कि जो लोग भारत में अवैध तरीके से रह रहे हैं, उन घुसपैठियों को बड़े प्यार से ट्रेन में बैठाकर उनके देश भेजेंगे।

गौरतलब है कि अकेले दिल्ली-एनसीआर में ही लाखों की तादात में अवैध रूप से बांग्लादेशी व रोहिंग्या मुस्लिम रह रहे हैं। यह सिर्फ अपराध ही नहीं, बल्कि  भारतीय नकली नोटों के कारोबार से लेकर ड्रग्स तस्करी व सभी तरह के अवैध काम को अंजाम देते हैं। हत्या, लूट, डकैती एवं चोरी जैसी वारदात से अपराध का ग्राफ बढ़ाने में लगे ये बांग्लादेशी देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा साबित हो रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियां हमेशा से घुसपैठियों के आईएसआई के साथ संबंध होने को लेकर चिंतित रहती हैं।

हाल में ही दिल्ली के अंदर 2 मर्डर भी हुये थे जिसमें अवैध बांग्लादेशी के शामिल होने का शंका थी। पहला ध्रुव त्यागी की हत्या चाकू मार कर दिल्ली के मोती नगर क्षेत्र में कर दी गयी थी। इससे पहले वर्ष 2016 में डॉक्टर नारंग की पीट-पीटकर हत्या कर दी गयी थी।

बता दें कि दिल्ली में रहने वाले घुसपैठियों ने यहां अपनी जड़ें जमा ली हैं। ये लोग न केवल सरकारी सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं बल्कि दिल्ली-एनसीआर रहकर मुस्लिम परिवारों में अपने बच्चों की शादियां भी कर रहे हैं। दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में 685 झुग्गी क्लस्टर (बस्ती) हैं, जिनमें करीब तीन लाख झुग्गियां हैं। सभी बस्तियों में आधे से अधिक बांग्लादेशी रहते हैं। अति सुरक्षित इलाके नई दिल्ली हो अथवा पॉश इलाका दक्षिण जिला। इन जगहों पर भी हजारों की संख्या में शरणार्थी अवैध रूप से रह रहे हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में चार लाख से अधिक बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं। दस लाख से अधिक बांग्लादेशी यहां के नागरिक बन चुके हैं। साल 2003 में तत्कालीन पुलिस आयुक्त अजय राज शर्मा ने दिल्ली पुलिस के हर जिले के डीसीपी कार्यालय में ही एक-एक बांग्लादेशी सेल का गठन करवा दिया था। वह पहले ऐसे गैर यूटी कैडर के आइपीएस थे जो दिल्ली पुलिस के मुखिया बनाए गए थे। बांग्लादेशी सेल झुग्गियों में जाकर मुखबिरों से पता लगाकर उनकी धर पकड़ करते थे और विदेशी नागरिक पंजीकरण कार्यालय में पेश करने के बाद उन्हें वापस बांग्लादेश भेज देते थे। उस दौरान एक साल में करीब 50 हजार घूसपैठियों को वापस बांग्लादेश भेजा गया था। अब छह साल पूर्व सभी जिले में स्थित बांग्लादेशी सेल को वहां से हटा दिया गया है। दिल्ली पुलिस ने बांग्लादेशियों के खिलाफ कार्यवाई करना ही बंद कर दिया, जिससे झुग्गियों में बांग्लादेशियों की संख्या बढ़ती जा रही है। वर्षों पूर्व कांग्रेस की सरकार में बांग्लादेशियों को खूब बढ़ावा मिला था।

अब असम में एनआरसी लागू हो जाने के बाद फिर से दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष ने फिर से यह मुद्दा उठाया है तथा इसे दिल्ली में भी लागू करने की मांग की है। अगर यह दिल्ली के साथ-साथ देश के सभी राज्यों में लागू होता है तो यह देश की सुरक्षा के लिए फायदेमंद होगा। हम पहले ही देख चुके हैं कि कैसे कश्मीर में रह रहे रोहिंग्या मुसलमान पाकिस्तानी आतंकियों के संपर्क में रहते हैं और भारतीय सुरक्षा को चुनौती देते हैं। इसलिए सरकार का यह कदम देशहित में है। असम के साथ-साथ इसे देश भर में लागू किया जाना बेहद आवश्यक है। अगर सरकार इस पर ऐक्शन लेती है तो आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए यह रामबाण साबित होगा। लोगों को यह समझना होगा कि भारत कोई डम्पिंग ग्राउंड नहीं है कि किसी भी देश से कोई भी व्यक्ति यहां जबरन रहे, देश के संसाधनो का उपयोग करे और हमारे ही नागरिकों को उनके अधिकारों से वंचित करे।

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