प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मानवाधिकार रक्षा के लिए काम करने वाली भारत विरोधी संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। एमनेस्टी पर विदेशी मुद्रा कानून (फेमा) के तहत 51 .72 करोड़ रुपये के लेन-देन में नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है।
अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बताया कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून (फेमा) के तहत जांच पूरी होने के बाद नोटिस जारी किया गया है। जानकारी के अनुसार एमनेस्टी इंटरनेशनल को यह नोटिस ईडी के न्याय निर्णय प्राधिकरण ने जारी की है। प्राधिकरण में विशेष निदेशक स्तर का अधिकारी होता है।
Show Cause Notice issued to Amnesty International India Pvt Ltd on 25 July by Special Director for alleged violation of Foreign Exchange Management Act
(FEMA) under Borrowing & Lending Regulations to the tune of Rs 51.72 crores. pic.twitter.com/q3Y6kjsIzW— ANI (@ANI) September 5, 2019
एमनेस्टी ने यह राशि अपने मूल निकाय एमनेस्टी इंटरनेशनल, ब्रिटेन से सेवाओं की निर्यात के नाम पर प्राप्त की थी। इससे पहले केंद्रीय जांच एजेंसी ने पिछले साल विदेशी चंदा नियमन कानून (एफसीआरए) के कथित उल्लंघन के आरोपों में संगठन के बेंगलुरु कार्यालय में छापेमारी की थी। ईडी ने एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के खिलाफ विदेशी मुद्रा विनिमय में धोखाधड़ी के एक मामले में उसके दो ठिकानों पर तलाशी ली थी। अधिकारियों ने कहा था कि, विदेशी मुद्रा विनिमय प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा दस्तावेजों की तलाश की जा रही है। अधिकारियों ने बताया था कि, ईडी विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए) के धन से संबंधित एनजीओ के खातों की केंद्रीय गृह मंत्रालय की पहले से चल रही जांच के संदर्भ में फेमा के संभावित और कथित उल्लंघन की पड़ताल कर रही है। ईडी की एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया पर यह कार्रवाई अगस्त 2018 में एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट के आधार पर की गई थी। अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट में यूके स्थित एमनेस्टी इंटरनेशनल और अन्य संस्थाओं से एमनेस्टी की भारत स्थित शाखा को फंडिंग होने का आरोप लगाया गया था। यह फंडिंग कई कमर्शियल चैनल्स के माध्यम से की गई थी। अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, यह रकम करीब 36 करोड़ रुपए थी जो बेंगलुरु स्थित एमनेस्टी इंटरनेशनल एनजीओ को मई 2014 से अगस्त 2016 के बीच मिली।
बता दें कि एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया को भारत विरोध के लिए भी जाना जाता है। एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने ‘कश्मीर में मानव अधिकारों’ को लेकर ‘ब्रोकन फैमिलीज़’ के नाम से एक इवेंट किया और अपने इस इवेंट में भारत और सेना के खिलाफ नारे लगवाए थे जिसे लेकर बेंगलुरु पुलिस ने एमनेस्टी के खिलाफ देशद्रोह, समाज में नफरत फैलाने का केस दर्ज किया था। ये संस्था भारत में मौजूद टुकड़े-टुकड़े गैंग को फंड भी करती है यानि एक प्रकार से ये टुकड़े-टुकड़े गैंग और एमनेस्टी का गठबंधन है। ये संस्था लंबे वक़्त से ऐसी गतिविधियों में शामिल रही है, जिससे भारत की छवि धूमिल हो। ये एनजीओ कश्मीर के आतंकवादियों के मानवाधिकार की बात भी करती रही है। जून 2019 में इसने 6 मिनट 18 सेकेंड का एक वीडियो ट्वीट किया था और महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में पिछले साल हुई हिंसा के 9 आरोपियों को निर्दोष और देशवासियों के लिये हीरो बताया था। इस संस्था के कार्यकारी निदेशक आकार पटेल विशेष रूप से भारत के खिलाफ दुष्प्रचार में सबसे आगे रहे हैं। वास्तव में पटेल भारत और हिंदू विरोधी एजेंडे का चेहरा हैं। यह वही अकार पटेल हैं जिन्होंने “हिंदू आतंक” के झूठे प्रचारकों में से एक रहे हैं। ऐसे में ईडी द्वारा एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया जैसी छद्म और भारत विरोधी एजेंडे वाली संस्था को करोड़ों रूपयों की हेराफेरी में नोटिस जारी करना बेहद सराहनीय कदम है।