पूरी दुनिया में कश्मीर राग अलापते फिर रहे हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान को झटके पर झटके मिलते जा रहे हैं। पाकिस्तान आर्थिक तौर पर बेहद कमजोर होने के बावजूद भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार को रद्द करके अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने का काम कर चुका है। हालांकि, अब लगता है कि जल्द ही उसे अगला झटका यूरोप से मिलने वाला है। दरअसल, यूरोप इंडिया चैम्बर ऑफ कॉमर्स (EICC) ने यूरोपियन कमीशन के ईयू कमिश्नर फॉर ट्रेड को चिट्ठी लिखी और मांग की है कि पाकिस्तान से जनरलाइज्ड सिस्टम प्रीफेंस (जीएसपी) प्लस स्टेट्स वापस लिया जाना चाहिए।
Europe India Chamber of Commerce writes to EU Commissioner for Trade, European Commission, calling to immediately withdraw Generalised System Preferences (GSP) plus status to Pakistan. pic.twitter.com/0EAoW2JYCp
— ANI (@ANI) September 14, 2019
बता दें कि यूरोपियन यूनियन कुछ देशों को अपने देशों में मानवाधिकारों को सुनिश्चित करने के बदले जनरलाइज्ड सिस्टम प्रीफेंस प्लस स्टेट्स देता है। इसके तहत ईयू ने पाकिस्तान को भी यह स्पेशल स्टेटस दिया हुआ है। हालांकि, पाक वही देश है जो पूरी दुनिया में मानवाधिकारों का उल्लंघन करने का चैंपियन है। EICC ने 12 सितंबर को ईयू को जो पत्र लिखा है उसमें भी यही बात कही गई है। EICC ने चिट्ठी में कहा है कि पाकिस्तान में सिखों, हिंदुओं और ईसाइयों का धार्मिक उत्पीड़न किया जाता है। पत्र के अनुसार पाक में धार्मिक उत्पीड़न नरसंहार, विध्वंस और चर्चों और मंदिरों की तबाही और शिक्षा केंद्रों को ध्वस्त किया जाता है। पाकिस्तान में सिख लड़की के धर्म परिवर्तन और दो हिंदू लड़कियों का पहले अपहरण करना फिर उनका धर्म परिवर्तन करना इसका ताजा उदाहरण है जो पूरी दुनिया के समक्ष है।
बता दें कि इसी को देखते हुए 9 सितंबर को ब्रसेल्स में यूरोपीय संसद उप-समिति की एक बैठक के दौरान जीएसपी स्टेटस को पाकिस्तान से वापस लेने की मांग यूरोपीय संसद द्वारा उठाई गई थी।
अभी पाक की आर्थिक हालत पहले ही बहुत कमजोर है और उसके एक्स्पोर्ट्स तेज़ी से कम हो रहे हैं। पाक में मैनुफैक्चरिंग सेक्टर बेहद कमजोर है और अगर ईयू पाकिस्तान से यह स्पेशल स्टेटस छीनने का फैसला लेता है तो पाकिस्तान के मैनुफैक्चरिंग सेक्टर का बर्बाद होना तय है। पाक आर्थिक मोर्चे पर पहले ही काफी विफल साबित रहा है। पाकिस्तान को इस वक्त डॉलर्स की सबसे ज़्यादा जरूरत है, और इसके लिए वह चीन और क़तर जैसे देशों से भीख मांगने को मजबूर हो गया है। पिछले कुछ महीनों में वह चीन, सऊदी अरेबिया और क़तर से कर्ज़ लेने के बावजूद IMF के पास जाने को मजबूर हुआ है। पाक कर्ज़ में डूबा हुआ है और वहां की सरकार ने लोगों पर भारी टैक्स लगाया है जिसके कारण महंगाई से इस देश में भुखमरी के हालात पैदा हो गए हैं। इसके अलावा आतंक विरोधी गतिविधियों को रोकने में नाकाम रहने के लिए पाक पर FATF द्वारा ब्लैक लिस्ट होने का खतरा भी लगातार मंडरा रहा है। अगर ऐसा होता है, तो पाकिस्तान की मुश्किलों में और इजाफा हो सकता है।
ऐसे में अब अगर ईयू पाकिस्तान से उसका GSP स्टेटस छीन लेता है तो वह उसके लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं होगा। व्यापार के क्षेत्र में पाक को बड़ा झटका लगेगा। इससे पहले ईयू श्रीलंका से भी यह स्टेटस छीन चुका है। हालांकि, बाद में ईयू ने श्रीलंका के स्टेटस को दोबारा बहाल कर दिया था। जब श्रीलंका से यह स्टेटस छीना गया था तब ईयू ने श्रीलंका के साथ व्यापार विशेषाधिकार निलंबित कर दिया था। अब ऐसा ही कुछ पाकिस्तान के साथ होने वाला है।
EICC ने अब कहा है कि कोई भी देश जो अल्पसंख्यकों के खिलाफ धार्मिक हिंसा की गतिविधियों में लिप्त हैं उन्हें यूरोपीय संघ से कोई विशेष व्यापार विशेषाधिकार प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं है और पाकिस्तान से भी इसी आधार पर GSP स्टेटस छीन लेना चाहिए। स्पष्ट है कि कश्मीर मुद्दे पर कूटनीतिक तौर पर असफल रहने के बाद अब उसे आर्थिक तौर पर एक बड़ा झटका सहने के लिए तैयार रहना चाहिए।