फैक्ट चेक के नाम पर ‘हिंदूफोबिया’ फैला रहा था FactChecker.in, पर्दाफाश हुआ तो बंद कर दी हेट क्राइम डेटाबेस

फैक्ट चेकर फैक्ट चेक

फेक न्यूज फैलाने वाले बेरोजगार पत्रकार अभिसार शर्मा की धुलाई हुए अभी एक हफ्ता भी नहीं बीता कि लिबरल पत्रकारिता को एक और गहरा झटका लगा है। देश के लिबरल्स की लाइफलाइन समझी जाने वाली फैक्ट चेकर साइट, जिसे इंडिया स्पेण्ड्स नामक संस्था चलाती है। इसने हाल ही में ये ट्वीट पोस्ट की है –

इस ट्वीट के अनुसार फ़ैक्ट चेकर साइट ने अपने प्रोपेगेंडा के सबसे बड़े स्त्रोत #हेटक्राइमवाच को बंद करने का निर्णय लिया है, और इससे अपने सभी संबंध आधिकारिक रूप से खत्म भी कर दिए हैं। परंतु ऐसी नौबत क्यों आई? आखिर क्या कारण है कि #हेटक्राइमवॉच को मेन्स्ट्रीम सोशल मीडिया से हटाना पड़ा? आइये जानते हैं इसे बंद करने की क्या वजह थी? और फैक्ट चेकर साइट का क्या इतिहास रहा है।

Factchecker.in की स्थापना लोकसभा चुनाव के ठीक पहले फरवरी 2014 में हुई थी। इसका मुख्य मुद्देश्य था आम जनता को फेक news से ‘आगाह’ करना।

परंतु वास्तविकता में इनके पोस्ट झूठ को उजागर करने में कम, मोदी और हिंदू विरोध में ज्यादा प्रकाशित होते थे। यहाँ तक कि गौ तस्करी संबंधित खबरों को भी ये वेबसाइट पर गलत तरीके से पेश करते थे।

उदाहरण के लिए इसे देखिये–

स्वराज्य मैगज़ीन की पत्रकार स्वाति गोयल शर्मा के अनुसार, चाँदनी चौक के हौज़ काज़ी इलाके में जब एक मंदिर पर असामाजिक तत्वों ने हमला किया, तो सभी को पता था कि यह हमला क्यों और किसने किया था। परंतु फ़ैक्ट चेकर के पोस्ट #हेटक्राइमवॉच की माने तो यहाँ भी हिन्दू कार्यकर्ता दोषी थे। ऐसे न जाने कितनी घटनाएँ हैं, जिनमें फ़ैक्ट चेकर ने जानबूझकर सारा दोष सनातन समुदाय के लोगों के ऊपर मढ़ने का असफल प्रयास किया है। यदि विश्वास न हो तो इन ट्वीट्स को देख लीजिये –

 

 

 

ऐसे में इनकी घटिया मानसिकता को देखकर हमें अनायास ही मैल्कम एक्स का वो कथन याद आता है, जहां वो कहते हैं, ‘अगर आप अब भी नहीं चेते, तो यह अखबार और मीडिया शोषकों को शोषित के तौर पर और शोषित वर्ग को शोषकों के तौर पर दिखाएंगे!”

दिलचस्प बात तो यह है कि जो संस्था फ़ैक्ट चेकर साइट चलाती है, उसके संस्थापक ट्रस्टीज़ में से एक तो स्वयं काँग्रेस के चर्चित डेटा एनालिस्ट प्रवीण चक्रवर्ती हैं, जो आंकड़ों के मामले में इतने सटीक थे कि उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में काँग्रेस को सत्ता में वापसी करने की भविष्यवाणी कर डाली थी। अब चूंकि चुनाव समाप्त हो चुके हैं, इसीलिए तिरंगा टीवी चैनल की भांति अब #HateCrimeWatch की आवश्यकता भी नहीं रह गयी है। ऐसे में इस वेबसाइट की फंडिंग पर भी असर पड़ा है, जिसके बाद से इसने #HateCrimeWatch को बंद करने का फैसला लिया है।

#HateCrimeWatch का बंद होना इस बात का स्पष्ट सूचक है कि अब प्रोपगैंडा फैलाने वाले पत्रकारों या साइटों की भारत में दाल नहीं गलने वाली। जहां एक ओर हम सोशल मीडिया पर उपस्थित सभी खोजी यूज़र्स को इन प्रोपगैंडावादियों के झूठ को उजागर करने के लिए आभार प्रकट करते हैं, तो वहीं हम स्वाति गोयल शर्मा जैसे पत्रकारों के भी आभारी हैं, जिन्होंने फ़ैक्ट चेकर जैसे वेबसाइट के झूठ को उजागर करने में कोई कसर नहीं छोड़ा।

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