वित्तमंत्री 100% सही हैं: मारुति के चेयरमैन ने निर्मला सीतारमण के ओला-ऊबर वाले बयान का समर्थन किया

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PC: Livemint

निर्मला सीतारमण ने जब आटोमोबाइल उद्योग में आए आंशिक मंदी के लिए ओला और ऊबर की बढ़ती प्राथमिकता को दोषी ठहराया था, तो मानो हमारे देश के कथित बुद्धिजीवी एवं लिबरल पत्रकारों के पैरों तले ज़मीन खिसक गयी हो। परंतु उनकी बात को सही ठहराते हुये मारुति उद्योग के अध्यक्ष आरसी भार्गव ने निर्मला सीतारमण के बयान का समर्थन किया है।

लाइवमिंट में दिए अपने इंटरव्यू में जब भार्गव जी से पूछा गया कि क्या शेयर्ड मोबिलिटी के बढ़ते प्रभाव ने गाड़ियों की खरीद पर प्रभाव डाला है, तो उन्होने उत्तर दिया –

“आज एक युवा व्यक्ति के पास विकल्पों की कोई कमी नहीं है। अपने पैसों से वह गाड़ी खरीदने के अलावा भी कई सारे विकल्प चुन सकता है, और ओला और ऊबर के जरिये उसे किफ़ायती परिवहन की भी सुविधा मिल जाती है। तो जो वित्त मंत्री ने कहा है वो शत प्रतिशत सत्य है। यही सोच है आज के युवा पीढ़ी की”।

आरसी भार्गव ने आगे बताया कि आखिर युवा पीढ़ी गाड़ियों को छोड़कर गैजेट्स को क्यों प्राथमिकता देते हैं। उनके अनुसार, “आज का युवा एक अच्छा स्मार्टफोन चाहता है, और अपने दोस्तों के साथ रेस्टोरेंट में अच्छा समय बिताना चाहता है। यदि वो गाड़ी खरीदना चाहे, तो वो ये सब नहीं कर सकता”।

आरसी भार्गव को भारत के आटोमोबाइल उद्योग के पुनरुत्थान का श्रेय दिया जाता है। उनके नेतृत्व में ही मारुति उद्योग ने सुज़ुकी मोटर्स के साथ मिलकर मारुति सुज़ुकी की सफल साझेदारी की शुरूआत की थी और जल्द ही मारुति सुज़ुकी 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ आटोमोबाइल मार्केट में सबसे सर्वोच्च ब्रांड बन गया, यानि सड़क पर चलने वाली हर दूसरी गाड़ी मारुति सुज़ुकी द्वारा निर्मित होती थी। जब उन्होंने मारुति सुज़ुकी के सीईओ के पद से अपना त्यागपत्र दिया, तो कंपनी ने उन्हें अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त कर दिया था।

सच कहें तो आरसी भार्गव का बयान वास्तविकता से ज़्यादा विमुख नहीं है। अगस्त माह में ही भारतीय स्मार्टफोन मार्केट में वार्षिक दर के अनुसार 9.9 प्रतिशत की दर और तिमाही के अनुसार 14.8 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। प्रीमियम सेगमेंट में मार्केट लीडर के तौर पर एप्पल ने सैमसंग को पछाड़ कर सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है, और एप्पल का कुल हिस्सा 41.2 प्रतिशत तक पहुँच चुका है।

अब आते हैं उस बयान पर, जिसके कारण आरसी भार्गव जैसे औद्योगिक विशेषज्ञों को आगे आकर लोगों को सच बताना पड़ रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ्ते चेन्नई में पत्रकारों से वार्ता करते हुये बताया था, “ आटोमोबाइल उद्योग और कॉम्पोनेंट उद्योग को बीएस-6 और वर्तमान पीढ़ी की मानसिकता के कारण नुकसान पहुंचा है, क्योंकि वे गाड़ी खरीदने के बजाए ओला और ऊबर की सेवाएँ लेने की सोचते हैं”।

फिर क्या था, बिना निर्मला के बयान के पीछे के कारण को जानने या समझने की पहल करने के बजाए ट्विटर पर कुछ स्वघोषित एक्सपेर्ट और नए-नए ट्विटर वॉरियर ने तुरंत निर्मला सीतारमण की आलोचना करनी दी शुरू कर दी। परंतु उन्हें इस बात का ज्ञान बिल्कुल भी नहीं था कि इस विषय पर काफी शोध पहले ही हो चुका है और हर शोध एवं स्टडी में ये बात सिद्ध हुई है कि आज की युवा पीढ़ी गाड़ी खरीदने से ज़्यादा शेयर्ड मोबिलिटी को तरजीह देते हैं।

ग्लोबल कंसल्टेंसी एजेंसी डेलोइट द्वारा प्रकाशित 2019 ग्लोबल औटोमोटिव कंज़्यूमर स्टडी के अनुसार शेयर्ड मोबिलिटी भारत के युवा पीढ़ी के बीच बहुत तेजी से लोकप्रिय होती जा रही है। मॉर्गन स्टेनली की एक ऐसी ही रिपोर्ट ने अनुमान लगाया है कि भारत में शेयर्ड मोबिलिटी कुल मीलों की यात्रा के हिसाब से 2030 में 35 प्रतिशत तक पहुँच जाएगी और 2040 तक 50 प्रतिशत हो जाएगी।

स्वयं इकोनोमिक टाइम्स से लेकर आरबीआई तक ने शेयर्ड मोबिलिटी के बढ़ते प्रभाव के ऊपर विभिन्न लेख और शोध प्रकाशित किए हैं। ऐसे में अब मारुति उद्योग के अध्यक्ष का बयान अनेकों ट्विटर वॉरियर्स को अपनी बगलें झाँकने पर विवश कर देगा। सामाजिक विज्ञान से लेकर अर्थशास्त्र पर ज्ञान बाँचने वाले ट्विटर वॉरियर्स यदि इन रिपोर्ट्स को ध्यान से पढ़े होते, तो आज आरसी भार्गव के बयान पर मौन व्रत नहीं धारण किए होते।

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