नवरात्रि का शुभारंभ 29 सितंबर से हो गया है। पूरा देश मां दुर्गा की अराधना में लगा हुआ है। देश में चुनावी सरगर्मियां भी बढ़ गई हैं। इसी बीच पश्चिम बंगाल का प्रसिद्ध दुर्गा पूजा भी चर्चा में है। यही वजह है कि इस बार भाजपा के नेताओं को करीब 500 से भी ज्यादा पूजा पंडालों से उद्घाटन का आमंत्रण दिया गया है। इसी के साथ राज्य के काफी पूजा पंडाल चाहते हैं कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हाथों से इस बार उनके पूजा पंडालों का उद्घाटन हो। बता दें कि ममता के गढ़ में पहली बार अमित शाह दुर्गा पूजा पंडाल का उद्घाटन करेंगे।
गृहमंत्री अमित शाह भी इस मौके को कई नजरिए से अहम मान रहे हैं। इसीलिए आमंत्रण स्वीकार कर वे एक अक्टूबर को कोलकाता के प्रसिद्ध सौल्ट लेक क्षेत्र के बीजे ब्लॉक में दुर्गापूजा पंडाल का उदघाटन करेंगे। इस बात की पुष्टि करते हुये भाजपा के राज्य इकाई सदस्य तुषार कांति घोष ने बताया, “अमित शाह एक अक्टूबर को पूजा का उदघाटन करेंगे। हम पूजा कमेटी का नाम कुछ ही दिनों में सार्वजनिक करेंगे। हमें इसे इसलिए गोपनीय रखना पड़ा क्योंकि ऐसा न करने पर टीएमसी, आयोजकों पर निमंत्रण रद्द करने का दबाव डालेगी”।
तुषार कांति घोष ने आगे यह भी बताया कि इस बार उन्होंने राज्य भर में 500 ऐसे सार्वजनिक दुर्गा पूजा पंडाल चिन्हित किए हैं, जिसका राज्य में भाजपा के वरिष्ठ नेता [सांसद और विधायक मिलाकर] उदघाटन करेंगे। तुषार के अनुसार राज्य के तमाम पूजा पंडाल चाहते हैं कि राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के हाथ से इस बार उनके पूजा पंडालों का उद्घाटन हो।
इस निर्णय से स्पष्ट होता है कि भाजपा ने अब बंगाल में 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पूरी तरह से अपनी कमर कस ली है, और इसी के लिए अब भाजपा अपनी जमीन तैयार करने के काम में लगी हुई है।
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के बढ़ते प्रभुत्व को देखते हुये ममता बनर्जी ने चर्चित चुनावी विश्लेषक प्रशांत किशोर को अब अपना सहारा बना ली हैं। अपने वर्तमान निर्णयों से प्रशांत किशोर लगातार प्रयास कर रहे हैं कि ममता की मुस्लिम तुष्टिकरण वाली छवि दूर हो जाए और वे इसके लिए उन्हें सॉफ्ट हिंदुत्व का चेहरा बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
चाहे वो टीएमसी के ‘फिल्मी’ सांसदों [नुसरत जहां जैन का उदाहरण] का शुद्ध भारतीय परिधान में संसद में सदस्यता ग्रहण करनी हो, या फिर ‘मन की बात’ के तर्ज़ पर ‘दीदी के बोलो’ नामक हेल्पलाइन सेवा शुरू करनी हो, प्रशांत किशोर ने टीएमसी की छवि को बेहतर दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसका एक और उदाहरण हमें कुछ महीने पहले देखने को मिला जब ममता, जो अमूमन दुर्गा पूजा का विरोध करते नहीं थकती थीं, प्रशांत किशोर की राह पर चलते हुए इस्कॉन मंदिर में पूजा कीं, और वहीं उनके पार्टी की सांसद नुसरत जहां जैन व मिमी चक्रवर्ती इस बार अपने नृत्य के जरिए दुर्गा मां की अराधना करते दिखीं।
पर शायद प्रशांत किशोर यह भूल रहे हैं कि तांबे को कितना भी चमका लो, वो सोना नहीं बन जाएगा। ममता की बनावटी भक्ति इस बात को बिल्कुल नहीं छुपा सकती कि उन्होने अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के नाम पर बंगाल की क्या दुर्दशा कर दी। धूलागढ़ हो या फिर बसीरहट, यहाँ पर हुई सांप्रदायिक हिंसा को जिस तरह से ममता ने छुपाने की कोशिश की थी वो किसी से छुपा नहीं है। इसके अलावा उन्होंने रोहिंग्या घुसपैठियों को जिस तरह से शरण दी और उसके पीछे केंद्र सरकार से मोर्चा लिया, वह अपने आप में उनके सत्ता के प्रति मोह को अच्छी तरह दर्शाता है। इसके अलावा उन्होने दुर्गा पूजा और रामनवमी के अवसर पर जिस तरह से राज्य में उत्सवों में बाधा डालने का प्रयास किया, उससे भी सब परिचित हैं।
परंतु अब उनकी बनावटी भक्ति को मुंहतोड़ जवाब देने स्वयं अमित शाह मैदान में उतर आए हैं। वे अभी भी अपने रैली पर ममता बनर्जी के गुर्गों द्वारा किए गए हमले को नहीं भूले होंगे और इसीलिए वे ममता के दोहरे व्यक्तित्व को उजागर करने के लिए दुर्गा पूजा पंडाल का उदघाटन करने आए हैं। प्रशांत किशोर अब चाहे जितनी तिकड़म भिड़ा लें, वे ममता को अमित शाह से श्रेष्ठतम नहीं सिद्ध कर पाएंगे।