पीएम मोदी का करिश्माई व्यक्तित्व: कभी अमेरिका ने किया था वीजा देने से मना, कल उनके स्वागत में जुटा था

अमेरिका

PC: NDTV

साल 2005, उस वक्त गुजरात राज्य के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी थे। उस दौरान वे अमेरिका की यात्रा पर जाना चाहते थे और उन्होंने अमेरिका से  डिप्लोमैटिक वीसा की मांग की थी। इसके जवाब में 21 मार्च 2005 को दिल्ली में मौजूद अमेरिकी दूतावास ने एक प्रेस ब्रीफ़ जारी कर यह जानकारी दी थी कि वर्ष 2002 में गुजरात के दंगों के दौरान उनकी सरकार ने जान-माल का नुकसान कम करने के संबंध में जरूरी कदम नहीं उठाए थे, जिसको लेकर उनको अमेरिका का डिप्लोमैटिक वीसा नहीं दिया जा रहा है

इसके बाद वर्ष 2013 में पीएम पद के उम्मीदवार होते हुए भी उन्होंने अमेरिका के वीसा के लिए अप्लाई किया था, और तब भी अमेरिका ने नरेंद्र मोदी को वीसा नहीं दिया था। उस वक्त अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग की डेप्युटी प्रेजिडेंट कटरीना लांतोस स्वेट ने कहा था कि गुजरात में 2002 में हुई वीभत्स घटनाओं में मोदी की भूमिका पर कायम गंभीर संदेह को लेकर उन्हें अमेरिका का वीजा नहीं दिया जाना चाहिए। बता दें कि जिस घटना में नरेंद्र मोदी की कथित भूमिका को लेकर अमेरिका ने उनके वीसा पर प्रतिबंध लगाया था, ठीक उसी मामले में वर्ष 2008 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित स्पेशल इन्वैस्टिगेशन टीम ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी।

हालांकि, यह सब कुछ तब बदला जब वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने। एक राष्ट्राध्यक्ष होने के नाते वे अमेरिका के ए1 कैटिगरी के डिप्लोमैटिक वीसा के लिए क्वालिफ़ाई हो गए और उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने यह घोषणा की कि अमेरिका में पीएम मोदी का भव्य स्वागत किया जाएगा।

इसके बाद प्रधानमंत्री बनने के बाद सितंबर 2014 में पीएम मोदी अमेरिका के दौरे पर गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पांच दिवसीय अमेरिकी दौरा कई मायनों में खास रहा था। संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा में पहली बार भाषण देने के अलावा भारत में निवेश, कारोबार, रक्षा समझौते, आतंकवाद और दूसरे तमाम मुद्दों पर उन्‍होंने अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा और दुनिया की बड़ी कंपनियों के सीईओ से बात की थी। अमेरिका में जिस तरह उनका जबर्दस्‍त स्‍वागत किया गया था, वह एक देश के प्रधानमंत्री कम और सेलिब्रेटी ज्‍यादा मालूम पड़ रहे थे। अपने इस दौरे में चार चांद लगाते हुए उन्होंने अमेरिका के ही मेडिसन स्वाक्यर में 20 हज़ार लोगों को संबोधित किया था और उनका कार्यक्रम तगड़ा हिट हुआ था।

इसके बाद भारत और अमेरिका के रिश्तों में नज़दीकियाँ तब बढ़ी जब डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के राष्ट्रपति बने। डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद जून 2017 में पहली बार पीएम मोदी अमेरिका के दौरे पर गए थे और तब संयुक्त बयान जारी करते हुए डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि वे व्हाइट हाउस में भारत के सबसे अच्छे दोस्त साबित होंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति ने मोदी को महान पीएम बताते हुए और उनके कार्यों की तारीफ करते हुए कहा था कि अमेरिका में मोदी की मौजूदगी सम्मान की बात है। आपको जानकार हैरानी होगी कि ट्रम्प प्रशासन ने पीएम मोदी की इस यात्रा से ठीक एक शाम पहले पाकिस्तानी आतंकी सैयद सलाउद्दीन को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर दिया था।

इसी कड़ी में कल यानि रविवार को जब पीएम मोदी ने अपने ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में लगभग 50 हज़ार भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों को संबोधित किया तो वे सिर्फ भारत की ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व की मीडिया पर छा गए। अमेरिका के ह्यूस्टन शहर में उन्होंने अपने कार्यक्रम ‘हाउडी मोदी’ को संबोधित किया और उनका साथ दिया अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने! ट्रम्प और पीएम मोदी, दोनों ने ही अपनी-अपनी सरकारों की उपलब्धियों को गिनाया। अगले साल अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में ट्रम्प के लिए अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत करने का यह सुनहरा अवसर था। इस दौरान दोनों नेताओं की केमिस्ट्री देखने लायक थी। पीएम मोदी ने इन पलों को ‘हिस्टरी इन मेकिंग’ बताया। भारत समेत दुनियाभर में फैले भारतीय समुदाय के लोग इस कार्यक्रम को देखने के लिए अपने मोबाइल और टीवी से चिपके रहे।

बता दें कि वर्ष 2020 में अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव होने वाले हैं और ट्रम्प दोबारा राष्ट्रपति बनना चाहते हैं। अमेरिका में भारतीय समुदाय काफी तादाद में है और राष्ट्रीय राजनीति में इनका अच्छा-खासा प्रभाव है। इतना ही नहीं, भारतीय मूल के लोग आर्थिक तौर पर काफी संपन्न हैं और राष्ट्रपति ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी की पॉलिटिकल फंडिंग भी करते हैं। अब ट्रम्प ने पीएम मोदी के साथ मंच साझा करके भारतीय समुदाय को एक सकारात्मक संदेश दिया है ताकि भारतीय मूल के वोटर्स को लुभाया जा सके।

वर्ष 2016 के चुनावों में भी डोनाल्ड ट्रम्प को विजेता बनाने में भारतीय मूल के लोगों का बहुत बड़ा योगदान रहा था। यह अपने आप में बेहद रोचक बात है कि दुनिया के सबसे ताकतवर शख्स कहे जाने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने चुनावी प्रचार के लिए भारत के पीएम मोदी और उनकी शानदार छवि का इस्तेमाल किया। इसका मतलब यह भी है कि आज पीएम मोदी की छवि इतनी मजबूत हो चुकी है कि वे अपने दम पर अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनावों को भी प्रभावित कर सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिका में रहने वाले भारतीयों के बीच वे बेहद लोकप्रिय हैं।

वर्ष 2005 में जिन नरेंद्र मोदी को अमेरिका अपने देश में आने से रोकना चाहता था, आज वही नरेंद्र मोदी ना सिर्फ अमेरिका में 50 हज़ार लोगों की रैली को संबोधित कर रहे हैं बल्कि खुद अमेरिका के राष्ट्रपति उनके साथ खड़ा होने में गौरान्वित महसूस कर रहे हैं। यह हमारे देश के लोकतंत्र की शक्ति ही है जिसने पीएम मोदी को इतनी शक्ति प्रदान की है। यह पीएम मोदी की लोकप्रियता ही है कि खुद दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंसान उन्हें अपने देश में बुलाकर इतना सम्मान देता है, ठीक उसी देश में जिसमें आज से सिर्फ 6 साल पहले तक उनका जाना वर्जित था।

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