इमरान खान, हमारे पड़ोसी देश के प्रधानमंत्री पिछले हफ्ते अमेरिका के न्यूयॉर्क में थे। वे संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेंबली में हिस्सा लेने के लिए अमेरिका पहुंचा थे, जहां से उनकी पूरी कोशिश थी कि कश्मीर मुद्दे पर अपने एजेंडे की ओर वे सबका ध्यान आकर्षित करने में सफल हो सकें। अफसोस, उनकी यह अमेरिकी यात्रा पूरी तरह सुपर फ्लॉप साबित हुई। ‘रेड डोरमेट वेलकम’ से लेकर यात्रा के अंत में उनके हवाई जहाज में तकनीक खराबी आने तक, इमरान खान की किस्मत ने उनका साथ कहीं भी नहीं दिया। इस यात्रा के दौरान जहां एक तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने उनको ज़बरदस्त ट्रोल किया तो वहीं इमरान खान ने यूएन के मंच से पूरी दुनिया को युद्ध की धमकी भी दे डाली जिसके बाद दुनियाभर में उनकी और ज़्यादा फजीहत हुई। आइए एक नज़र डालते हैं इमरान खान के इस पूरे अमेरिकी दौरे पर और जानते हैं कि कैसे संयुक्त राष्ट्र के मंच से उन्होंने पूरी दुनिया को एक अयोग्य राष्ट्राध्यक्ष होने का प्रमाण दिया।
UNGA अमेरिका पहुंचने पर एक ओर जहां पीएम मोदी का भव्यता से स्वागत हुआ था, तो वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी थी। इमरान जब अमेरिका में लैंड हुए तो उनके स्वागत के लिए कोई बड़ा अमेरिकी अधिकारी मौजूद नहीं था। इतना ही नहीं, इमरान जब प्लेन से उतरे तो उनके आगे रेड कार्पेट भी लगभग एक फुट का ही बिछा हुआ था। उसे देखने के बाद लोग सोशल मीडिया पर सवाल पूछ रहे थे कि ये रेड कारपेट वेलकम था या ‘रेड डोरमेट वैलकम’? इमरान खान के स्वागत के लिए वहाँ मौके पर सिर्फ यूएन में पाक की स्थायी प्रतिनिधि मालीहा लोधी ही मौजूद थीं।
चलिये, तो कुछ इस तरह शुरू हुआ था इमरान खान का यह अमेरिकी दौरा। उसके बाद पीएम खान ने अपनी पहली बड़ी मुलाक़ात अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से की। हालांकि, वहाँ डोनाल्ड ट्रम्प ने इमरान मियां के कॉन्फ़िडेंस की धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, और साथ ही जो पत्रकार कश्मीर पर एजेंडा से भरपूर प्रश्न पूछ रहे थे, उनको भी राष्ट्रपति ट्रम्प ने जबर्दस्त ट्रोल किया था। बता दें कि बीते सोमवार यानि 23 सितंबर को इमरान और ट्रंप के बीच बैठक के दौरान पाकिस्तानी पत्रकार लगातार कश्मीर पर ट्रंप से सवाल पूछ रहे थे, तभी पत्रकारों के सवालों से खीझते हुए ट्रंप ने उल्टे इमरान से ही पूछ डाला कि आप ऐसे रिपोर्टर लाते कहां से हो? उस दौरान इमरान खान का चेहरा देखने लायक था। उनको यह समझ ही नहीं आ रहा था कि वे ऐसे मौके पर रोये या हँसे!
उसके बाद मौका आया संयुक्त राष्ट्र कि आम सभा को संबोधित करने का! इमरान मियां ने यहाँ भी वही अपना घिसा पिटा कश्मीर राग रोया, लेकिन यहां वे एक कदम आगे बढ़ते हुए पूरी दुनिया को न्यूक्लियर हथियारों की जंग की धमकी देने पर उतर आए। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का जिक्र करते हुए इमरान मियां ने कहा कि कश्मीर में कर्फ्यू हटने के बाद युद्ध जैसे हालात होंगे और पाक के मुसलमान लड़ने पर उतर आएंगे। खान ने आगे यह भी कहा कि अगर ऐसा हुआ तो इसका जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ यूएन होगा। उनके पूरे भाषण को सुनकर सबको यही लगा कि उन्हें अपने देश से ज़्यादा फिक्र तो भारत की है। उनके भाषण के दौरान उनकी ज़ुबान पर मोदी, भारत और कश्मीर जैसे शब्द ही बार-बार आते रहे। यूएन के मंच से वे पीएम मोदी पर व्यक्तिगत हमला बोलने से भी बाज़ नहीं आए और आरोप लगाया कि जिस आरएसएस संगठन के वे एक सदस्य हैं, वह RSS भारत के मुस्लिमों का सफाया करना चाहता है। उनके इस भाषण के बाद भी इमरान खान को सिर्फ फ़ज़ीहत ही झेलनी पड़ी। सभी ने कहा कि इमरान खान का यह भाषण बेहद नकारात्मक था और उन्हें शांति की बात करनी चाहिए थी।
इस अमेरिकी दौरे पर हमें इमरान खान का कश्मीर पर हार का कबूलनामा भी देखने को मिला। यूएन में अपने भाषण देने से पहले इमरान खान ने एक अमेरिकी अखबार को इंटरव्यू देते हुए यह कहा कि उन्हें पता है उनके भाषण का कोई फायदा नहीं होगा। उन्होंने कहा, ”मैं अंतरराष्ट्रीय समुदाय से निराश हूं। यदि आठ मिलियन यूरोपीय या यहूदियों या आठ मिलियन अमेरिकियों को घेराबंदी में रखा गया होता, तो क्या यही प्रतिक्रिया होती? मोदी पर घेराबंदी को हटाने के लिए अभी तक कोई दबाव नहीं है। हम दबाव डालते रहेंगे… 9,00,000 (नौ लाख) सैनिक वहां क्या कर रहे हैं? एक बार कर्फ्यू हटा लेने के बाद, गॉड जानता है कि उसके बाद क्या होने वाला है…आपको लगता है कि कश्मीरी चुपचाप स्वीकार कर लेंगे?”
उसके बाद किस्मत ने इमरान खान का साथ उनकी इस अमेरिकी यात्रा के आखिर में भी नहीं दिया। दरअसल, कल यानि शनिवार को जब इमरान खान न्यूयॉर्क से वापस आने के लिए सऊदी अरब द्वारा गिफ्ट किए हुए विमान में बैठे तो पता चला कि विमान में कोई तकनीकी खराबी आ गई है। पाकिस्तानी न्यूज चैनल समा टीवी के अनुसार उड़ान भरने के चार घंटे बाद, इमरान के विमान को न्यूयॉर्क के जॉन एफ कैनेडी हवाई अड्डे पर आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी। विमान के इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम में कथित तौर पर एक समस्या आ गई। यह तकनीकी खराबी तब सामने आई जब हवाई जहाज टोरंटो के पास पहुंचा था। अधिकारियों ने कहा कि अगर वे यात्रा जारी रखते थे, तो दुर्घटना की प्रबल संभावना थी।
अमेरिकी ज़मीन पर पैर रखने से लेकर अपनी यात्रा को समाप्त करने तक, विवाद, समस्या और अव्यवस्था ने इमरान खान का साथ नहीं छोड़ा। इमरान खान जब अमेरिकी दौरे से वापस आ रहे हैं तो उनके पास गिनाने के लिए कोई उपलब्धि ही मौजूद नहीं है। वे खुद इस बात को मान चुके हैं कि कश्मीर पर किसी ने उनका साथ नहीं दिया है। ऐसे में इमरान खान ने अपनी महंगी अमेरिकी यात्रा से आर्थिक बदहाली से जूझ रहे पाकिस्तान का बजट और ज़्यादा बिगाड़ने का ही काम किया है और यही उनकी एकमात्र उपलब्धि रही है।