कल यानि शुक्रवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान न्यूयॉर्क में अपने संयुक्त राष्ट्र महासभा के भाषण के दौरान एक अलग ही स्तर पर पहुंच गए। इस भाषण से वो मजाक का पात्र बन गये। इमरान खान ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही भारत और हिंदुओं से नफरत करने में ज्यादा व्यस्त रहे हैं। अपने UNGA भाषण के दौरान इमरान खान घृणा का उच्चतम स्तर पर पहुंच गए, और केवल कश्मीर का राग अलापते रहे। अपने संबोधन में यूएन को उसकी जिम्मेदारी की याद दिलाने वाले इमरान ने संयुक्त राष्ट्र के नियमों का उल्लंघन भी किया।
यह पाकिस्तान के पीएम का भाषण था और उनकी टिप्पणियों को सुनकर आश्चर्य नहीं हुआ। इमरान ने परमाणु युद्ध की धमकी देते हुए कहा, “मैं सोचता हूं कि मैं कश्मीर में होता और 55 दिनों से बंद होता, तो मैं भी बंदूक उठा लेता। आप ऐसा करके लोगों को कट्टर बना रहे हैं। मैं फिर कहना चाहता हूं कि यह बहुत मुश्किल समय है। इससे पहले कि परमाणु युद्ध हो, संयुक्त राष्ट्र की कुछ करने की जिम्मेदारी है। हम हर स्थिति के लिए तैयार हैं। अगर दो देशों के बीच युद्ध हुआ तो कुछ भी हो सकता है”।
इमरान खान यही नहीं रुके और कश्मीर पर मनगढ़ंत कहानी सुनाते हुए उन्होंने कहा, “कश्मीर में लोगों को जानवरों की तरह क्यों बंद कर दिया गया है। वे इंसान हैं। कर्फ्यू उठ जाएगा तो क्या होगा? तब मोदी क्या करेंगे। उन्हें लगता है कि कश्मीर के लोग इस स्थिति को स्वीकार कर लेंगे? कर्फ्यू उठने के बाद कश्मीर में खून की नदियां बहेंगी, लोग बाहर आएंगे। क्या मोदी ने सोचा कि तब क्या होगा”?
इमरान खान के इस भाषण के बाद कोई भी यह स्पष्ट रूप से बता सकता है कि इमरान खान और सोशल मीडिया के एक पाकिस्तानी ट्रोल में कोई अंतर नहीं है।
वह इतने पर ही नहीं रुके और अपने भाषण में राष्ट्रीय स्वयं संघ का भी उल्लेख किया। इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र में कहा, “आरएसएस मुस्लिमों के जातीय सफाये पर विश्वास करता है और प्रधानमंत्री मोदी आरएसएस के नेता हैं।” उन्होंने आगे कहा, ‘अहंकार ने पीएम मोदी को अंधा कर दिया है।‘ सबसे बड़े वैश्विक मंच पर किसी अन्य देश के प्रधानमंत्री के बारे में ऐसी अनुशासनहीन और व्यक्तिगत टिप्पणी करना, इमरान खान के बौद्धिक दिवालियापन को ही दर्शाता है। पीएम मोदी ने पाकिस्तान का उल्लेख तक नहीं किया, लेकिन इमरान खान के भाषण को सुन कर ऐसा लग रहा था मानो वह भारत और पीएम मोदी दोनों से ही मनोग्रसित हो चुके है और दिन रात पीएम मोदी के बारे में ही सोचते रहते हैं। उन्हें देख कर ऐसा लग रहा था कि वह दुनिया में पूरी तरह से अप्रासंगिक हो चुके है और सभी का ध्यान अपनी ओर खींचना चाहते है।
इमरान खान का संयुक्त राष्ट्र में यह आचरण एक हिंसक जिहादी प्रचारक से बिलकुल मिलता-जुलता है, क्योंकि उन्होंने अपने भाषण में पैगंबर का नाम लेते हुए कई बार “ब्लड बाथ”, “radicalization” जैसे शब्दों का प्रयोग कर बंदूक उठाने की धमकी तक दे दी। यह भाषण आतंकवाद के समर्थन के रूप में स्पष्ट देखा जा सकता है। इस भाषण के साथ, इमरान खान ने पागलपन के एक नए स्तर का प्रदर्शन किया जहां से नीचे और कुछ भी नहीं। अपने इस संबोधन के साथ उन्होंने लीबिया के पूर्व प्रधानमंत्री मुअम्मर अल गद्दाफी को पीछे छोड़ दिया, जो अपने नैतिक व्यवहार और विचित्र षड्यंत्र सिद्धांतों के लिए सुर्खियों में आते थे।