कॉर्पोरेट जगत को एक बड़ी राहत देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नेतृत्व में वित्त मंत्रालय ने गोवा में चल रही 37वें जीएसटी काउंसिल मीटिंग के दौरान यह घोषित किया कि कॉर्पोरेट टैक्स को 30% की मौजूदा दर से घटा दिया गया है। सरकार के इस फैसले से सरकारी खजाने पर सालाना 1.45 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा जो कि सकल घरेलू उत्पाद का लगभग एक प्रतिशत है। हालांकि, मोदी सरकार एक तरीके से इस राजस्व की कमी को पूरा कर सकती है और वह है 5 जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के साथ।
कल एक अहम निर्णय में मोदी सरकार ने घोषणा की कि जनवरी 2020 तक 5जी स्पेक्ट्रम का ऑक्शन करने का फैसला किया है। टेलीकॉम सेक्रेटरी अंशू प्रकाश ने कहा, ‘इस वर्ष के अंत तक नहीं तो जनवरी तक हम ऑक्शन के लिए बिलकुल तैयार हैं”। उन्होने आगे बताया, “हमने पहले ही यह प्रक्रिया शुरू कर दी है कि कौन इस ऑक्शन का संचालन करेगा। प्रोपजल के लिए रिक्वेस्ट आ चुकी है, इंटर मिनिस्टीरियल कमेटी का भी गठन हो चुका है और जल्द ही हमें पता चल जाएगा कि ऑक्शन कौन कराएगा। इसके साथ ही साथ हम रिजर्व कीमतों पर भी अहम निर्णय लेंगे।”
ध्यान रहे कि 2016-17 के वित्तीय वर्ष में सरकार ने स्पेक्ट्रम बेच कर 65789 करोड़ रुपये कमाए थे। भले ही यह बेस प्राइस का अंश मात्र हो, परंतु इस बात का भी ध्यान रहे कि सरकार ने 2017-2019 तक किसी स्पेक्ट्रम का ऑक्शन नहीं किया था।
अब प्रीमियम एयरवेव का ऑक्शन कर सरकार एक बड़ा दांव खेलती दिखाई दे रही है। 5जी के आने से बेहतर डाटा स्पीड और इंटरनेट ऑफ थिंग्स का संचार संभव होगा, जिससे कृषि, औद्योगिक उत्पादन, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्रों में ज़बरदस्त क्रांति लायी जा सकती है। इस नीति का असली उद्देश्य यह है कि इससे उन राजस्व की कमी को पूरा करने में मदद मिलेगी, जो निर्मला सीतारमण के हाल ही में घोषित वित्तीय सुधारों के कारण सरकारी खजाने पर सालाना 1.45 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।
हाल ही में इंडिया इंक के लिए राहत की खबर के तौर पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कॉर्पोरेट टैक्स की दर को लगभग 5 से 8 प्रतिशत तक घटाया है। इससे अब भारत एशिया में सबसे कम टैक्स वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जो निवेश फ्रेंडली भी बन चुकी है। कॉर्पोरेट टैक्सेशन की नीति इससे पहले 34.94% थी [सैस और सरचार्ज सहित], जो अब घटकर 25.17 प्रतिशत हो चुकी है। इसे एक अहम सुधार के तौर पर देखा जा रहा है, जो आने वाले समय में टैक्स कम्प्लायंस को सुधारने में बहुत काम आएगा।
इसके अलावा सरकार ने एक और सुधार की घोषणा की है, जिसमें नए औद्योगिक फ़र्म्स को केवल 15 प्रतिशत कर देना होगा, यदि वे 31 मार्च 2023 से पहले अपने सारे काम शुरू कर दें तो। इस सीमित समय के निर्णय का स्पष्ट अर्थ है कि मोदी सरकार उन फ़र्म्स को आकर्षित करना, जो अमेरिका और चीन के बीच व्याप्त ट्रेड वॉर के कारण चीन से पलायन कर रहे।
कॉर्पोरेट उद्योग या मार्केट, दोनों ने ही सरकार के इस निर्णय को सराहा है। मुंबई में स्थित मुंबई स्टॉक एक्स्चेंज अथवा सेंसेक्स ने लगभग 2127 पॉइंट्स की छलांग लगाई, जबकि निफ्टी ने 569.4 पॉइंट्स की छलांग लगाई। पिछले 10 वर्षों में ये अपने आप में किसी भी स्टॉक मार्केट के लिए सबसे बढ़िया लाभ है। इसी कारण अब सरकार देश कि अर्थव्यवस्था को वापिस पटरी पर लाने के लिए पूरी तरह तैयार है।
हालांकि इन वित्तीय सुधारों से शुरुआत में सरकार को कुछ नुकसान भी झेलना पड़ेगा, और ऐसे में स्पेक्ट्रम की सेल इसी समय आना किसी संयोग से कम नहीं है। 5जी स्पेक्ट्रम के ऑक्शन से केंद्र सरकार उन सभी नुक़सानों की भरपाई कर सकेगी, जो वित्तीय सुधारों हेतु लिए गए निर्णयों के कारण हो सकती है। पिछले वर्ष 63000 करोड़ रुपये से सरकार अपने प्रत्यक्ष टैक्स कलेक्शन के लक्ष्य से चूक गया था। ऐसे में 5जी स्पेक्ट्रम के निर्णय से इस नुकसान की भी भरपाई संभव है।