आसियान देशों के छात्रों के लिए खुशखबरी है। विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रसाद ने आसियान देशों के छात्रों के लिए आइआइटी में पीएचडी फेलोशिप कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम का आयोजन नेहरू भवन में किया गया। छात्रों को जागरुक करने के लिए एक पोर्टल भी शुरू किया जहां से छात्रों के आवदेन प्राप्त किए जा सकते हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रसाद ने इसे शुरू करते हुए कहा, “हमें उम्मीद है कि भारतीय और दक्षिण एशियाई छात्रों को सक्षम बनाने के लिए नई पीढ़ी के व्यावसायिक विचारों और रोमांचक तकनीकी सफलताओं को इन फेलोशिप द्वारा प्रदान किए गए प्लेटफार्मों से लॉन्च किया जाएगा।” अधिकारियों के अनुसार, IIT-Delhi को मानव संसाधन विकास मंत्री (MHRD) द्वारा विदेश मंत्रालय (MEA) में शुरू किए गए फेलोशिप कार्यक्रम के लिए समन्वित IIT के रूप में नामित किया गया है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संगठन) देशों के छात्रों के लिए पूरी तरह से वित्त पोषित इस पीएचडी कार्यक्रम के लिए 300 करोड़ रूपये खर्च करेगी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली इस कार्यक्रम के लिए समन्वय एजेंसी होगी, जो अगले तीन बरसों में 1,000 छात्रों का चयन करेगी।
मंत्रालय के अधिकारी ने बताया, ‘‘इस साल 250 छात्रों का चयन किया जाएगा, अगले साल 300 और उसके अगले साल 450 छात्रों का चयन किया जाएगा।” विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि कार्यक्रम के लिए पूरा धन मानव संसाधन विकास मंत्रालय उपलब्ध करा रहा है और विदेश मंत्रालय आसियान देशों से संपर्क कर इसे लोकप्रिय बनाने के लिए इसमें एक साझेदार है। आसियान के सदस्य देशों में ब्रूनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यामांर, फिलीपीन, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं।
बता दें की भारत ने अपनी विदेश नीति में बदलाव करते हुए “एक्ट ईस्ट” पर ज़ोर दिया है। इस वर्ष गणतन्त्र दिवस के दिन आसियान के सभी 10 देशों के राष्ट्राध्यक्ष को निमंत्रित किया था। 8 अगस्त, 1967 को इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड ने साथ मिलकर दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का समूह यानी आसियान का गठन किया था हालांकि, तब इस बात का अनुमान नहीं था कि यह संस्था जल्द ही अपनी खास पहचान बना लेगी। अब तक आसियान के 31 शिखर सम्मेलन हो चुके हैं। 10 सदस्यों वाली इस संस्था का मुख्य मकसद दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में अर्थव्यवस्था, राजनीति, सुरक्षा, संस्कृति और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाना था। भारत इस समूह का हिस्सा न होते हुए भी लगातार इसमें सक्रिय भूमिका में रहा है। भारत 1992 में आसियान का सेक्टोरल साझेदार, 1996 में वार्ता साझेदार तथा 2002 में नोम पेन्ह में शिखर बैठक स्तरीय साझेदार बना था।
अगस्त 2009 में आसियान के साथ भारत ने मुक्त व्यापार क्षेत्र पर करार किया था। दोनों के बीच व्यापार उम्मीद से कहीं ज्यादा तेज रही और यह लक्ष्य से ज्यादा 80 बिलियन डॉलर के पार पहुंच गया। दूसरी ओर, भारत से थाईलैंड तक सड़क मार्ग संपर्क स्थापित करने के लिए महत्वाकांक्षी भारत-म्यांमर-थाईलैंड त्रिपक्षीय अंतरराष्ट्रीय राजमार्ग को दिसंबर 2019 तक पूरा किए जाने की संभावना है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि तीनों देश मिलकर करीब 1,400 किलोमीटर लंबे इस राजमार्ग पर काम कर रहे हैं। यह दक्षिण एशियाई देश थाईलैंड को सड़क मार्ग से भारत से जोड़ देगा जिससे तीनों देश के कारोबार, व्यापार, स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यटन क्षेत्र को वृद्धि मिलेगी। रामायण और बौद्ध धर्म ऐसे दो पहलू हैं जो भारत और आसियान को जोड़ते हैं। दोनों के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध सदियों पुराने हैं। अब भारत का आसियान देशों के साथ बेहतर संबंध से दोनों के बीच राजनीतिक संबंध तो बेहतर होंगे ही, साथ में सामरिक, आर्थिक और व्यापारिक हालात में सुधार आएंगे। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने और ‘लुक ईस्ट’ नीति को ‘एक्ट ईस्ट’ नीति में बदलने के उनके फैसले से आसियान देशों के बीच भारत को लेकर फिर उम्मीदें बढ़ी हैं। आज चीन आर्थिक रूप से बहुत बड़ी ताकत है और दक्षिण चीन सागर में इन देशों के साथ विवादित क्षेत्रों को लेकर वह शक्ति इस्तेमाल की नीति पर चल रहा है।
आसियान में चीन का दखल लगातार बढ़ता जा रहा है, वहीं, भारत का भी बड़ा व्यापार दक्षिण चीन सागर से होता है इसीलिए वह इस क्षेत्र को लेकर बेहद सक्रिय है। इसी वजह से भारत लगातार आसियान समूह से अपने रिश्ते को प्रथिमिकता दे रहा है ताकि चीन की बढ़ती ताकत को रोका जाए और अपनी पैठ बनाई जाए। आसियान-भारत के बीच लोगों का संपर्क बढाने को लेकर बड़ी संख्या में कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। छात्र विनिमय कार्यक्रम, आसियान राजनयिकों के लिए विशेष प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के माध्यम से आसियन-भारत के बीच में सांस्कृतिक व सामाजिक सहयोग बढ़ता है। हर साल भारत में आसियान छात्रों को आमंत्रित करना , नेशनल चिल्ड्रेन्स साइंस कांग्रेस में आसियान छात्रों की भागीदारी और आसियान-भारत नेटवर्क ऑफ थिंक टैंक के माध्यम से सामाजिक-सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा दिया जाता है। युवा शिखर सम्मेलन, कलाकार शिविर और संगीत जैसे युवा केंद्रित कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते है। अब आसियान समूह के देशों के विद्याथियों को ‘पीएचडी फेलोशिप” कार्यक्रम इसी कड़ी में एक और बड़ा कदम है जिससे भारत के रिश्ते सभी देशों के साथ मजबूत होंगे।