TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    खनन से आगे की लड़ाई

    मशीनों के युग की अनदेखी धातुएँ: क्यों ज़रूरी हैं दुर्लभ मृदा तत्व

    जहाँ आज़ादी ने पहली बार भूमि पाई—पोर्ट ब्लेयर में नेताजी

    30 दिसंबर 1943: जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर में फहराया तिरंगा

    ग्वादर पाकिस्तान के बजाय चीन का आर्थिक गढ़

    ग्वादर फ्री जोन: पाकिस्तानी स्वामित्व नहीं, चीनी प्रभाव बढ़ा

    वीजा समस्याओं और नियमों के बदलाव से बर्लिन में छात्र फंसे

    जर्मनी में शिक्षा का सपना: भारतीय छात्रों के लिए चुनौतियां बढ़ीं

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    डॉ. जयतीर्थ आर. जोशी को ब्रह्मोस एयरोस्पेस का महानिदेशक नियुक्त किया था

    ब्रह्मोस एयरोस्पेस के DG & CEO की नियुक्ति रद्द,  ट्रिब्यूनल ने DRDO की चयन प्रक्रिया को बताया मनमाना

    16 दिसंबर को पाकिस्तान के पूर्वी मोर्चे के कमांडर जनरल ए के नियाजी ने 93,000 सैनिकों के साथ सरेंडर किया था

    ढाका सरेंडर: जब पाकिस्तान ने अपने लोगों की अनदेखी की और अपने देश का आधा हिस्सा गंवा दिया

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    शिप बेस्ड ISBM लॉन्च के पाकिस्तान के दावे में कितना दम है

    पाकिस्तान जिस SMASH मिसाइल को बता रहा है ‘विक्रांत किलर’, उसकी सच्चाई क्या है ?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    बांग्लादेश में अमेरिकी जीएमओ मक्का का आगमन, क्षेत्रीय खाद्य संप्रभुता पर खतरा

    अमेरिकी जीएमओ मक्का पर पश्चिम का दबदबा, ठेकेदारों ने किया अधिग्रहण

    अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट और सैटेलाइट तस्वीरों के हवाले से बड़ा खुलासा हुआ

    नाटो के लिए सीधा संदेश: बेलारूस में रूस बना रहा हाइपरसोनिक मिसाइल बेस, अमेरिकी रिपोर्ट से खुलासा

    30 वर्षीय भारतीय मूल की महिला हिमांशी खुराना की भी हत्या

    टोरंटो कैंपस के पास 20 वर्षीय भारतीय छात्र की गोली मारकर हत्या, आरोपी की तलाश में पुलिस

    कट्टर इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील

    नाइजीरिया में ISIS आतंकियों पर अमेरिकी हमला, कट्टर इस्लामी आतंकवाद के ख़िलाफ़ ट्रंप सख़्त

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    औरंगज़ेब ने जोरावर सिंह और फतेह सिंह को दीवार मे ज़िंदा चुनवाने का आदेश दिया था

    वीर बाल दिवस: क्रिसमस-नववर्ष का जश्न तो ठीक है लेकिन वीर साहिबजादों का बलिदान भी स्मरण रहे

    गुरु गोबिंद सिंह जी ने मुगल शासक औरंगज़ेब की अधीनता स्वीकार करने से इंकार कर दिया

    वीर बाल दिवस: उत्सवों के बीच साहिबज़ादों के अमर बलिदान को नमन

    23 दिसम्बर  बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    23 दिसम्बर बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    शोले फिल्म में पानी की टंकी पर चढ़े धर्मेंद्र

    बॉलीवुड का ही-मैन- जिसने रुलाया भी, हंसाया भी: धर्मेंद्र के सिने सफर की 10 नायाब फिल्में

    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    खनन से आगे की लड़ाई

    मशीनों के युग की अनदेखी धातुएँ: क्यों ज़रूरी हैं दुर्लभ मृदा तत्व

    जहाँ आज़ादी ने पहली बार भूमि पाई—पोर्ट ब्लेयर में नेताजी

    30 दिसंबर 1943: जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर में फहराया तिरंगा

    ग्वादर पाकिस्तान के बजाय चीन का आर्थिक गढ़

    ग्वादर फ्री जोन: पाकिस्तानी स्वामित्व नहीं, चीनी प्रभाव बढ़ा

    वीजा समस्याओं और नियमों के बदलाव से बर्लिन में छात्र फंसे

    जर्मनी में शिक्षा का सपना: भारतीय छात्रों के लिए चुनौतियां बढ़ीं

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    डॉ. जयतीर्थ आर. जोशी को ब्रह्मोस एयरोस्पेस का महानिदेशक नियुक्त किया था

    ब्रह्मोस एयरोस्पेस के DG & CEO की नियुक्ति रद्द,  ट्रिब्यूनल ने DRDO की चयन प्रक्रिया को बताया मनमाना

    16 दिसंबर को पाकिस्तान के पूर्वी मोर्चे के कमांडर जनरल ए के नियाजी ने 93,000 सैनिकों के साथ सरेंडर किया था

    ढाका सरेंडर: जब पाकिस्तान ने अपने लोगों की अनदेखी की और अपने देश का आधा हिस्सा गंवा दिया

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    शिप बेस्ड ISBM लॉन्च के पाकिस्तान के दावे में कितना दम है

    पाकिस्तान जिस SMASH मिसाइल को बता रहा है ‘विक्रांत किलर’, उसकी सच्चाई क्या है ?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    बांग्लादेश में अमेरिकी जीएमओ मक्का का आगमन, क्षेत्रीय खाद्य संप्रभुता पर खतरा

    अमेरिकी जीएमओ मक्का पर पश्चिम का दबदबा, ठेकेदारों ने किया अधिग्रहण

    अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट और सैटेलाइट तस्वीरों के हवाले से बड़ा खुलासा हुआ

    नाटो के लिए सीधा संदेश: बेलारूस में रूस बना रहा हाइपरसोनिक मिसाइल बेस, अमेरिकी रिपोर्ट से खुलासा

    30 वर्षीय भारतीय मूल की महिला हिमांशी खुराना की भी हत्या

    टोरंटो कैंपस के पास 20 वर्षीय भारतीय छात्र की गोली मारकर हत्या, आरोपी की तलाश में पुलिस

    कट्टर इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील

    नाइजीरिया में ISIS आतंकियों पर अमेरिकी हमला, कट्टर इस्लामी आतंकवाद के ख़िलाफ़ ट्रंप सख़्त

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    औरंगज़ेब ने जोरावर सिंह और फतेह सिंह को दीवार मे ज़िंदा चुनवाने का आदेश दिया था

    वीर बाल दिवस: क्रिसमस-नववर्ष का जश्न तो ठीक है लेकिन वीर साहिबजादों का बलिदान भी स्मरण रहे

    गुरु गोबिंद सिंह जी ने मुगल शासक औरंगज़ेब की अधीनता स्वीकार करने से इंकार कर दिया

    वीर बाल दिवस: उत्सवों के बीच साहिबज़ादों के अमर बलिदान को नमन

    23 दिसम्बर  बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    23 दिसम्बर बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    शोले फिल्म में पानी की टंकी पर चढ़े धर्मेंद्र

    बॉलीवुड का ही-मैन- जिसने रुलाया भी, हंसाया भी: धर्मेंद्र के सिने सफर की 10 नायाब फिल्में

    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

वामपंथी इतिहासकार रोमिला थापर,जिन्होंने असली इतिहास की बजाए देश को कई दशकों तक भ्रमित किया

Abhinav Kumar द्वारा Abhinav Kumar
3 September 2019
in मत
रोमिला थापर

PC: Prabhatkhabar

Share on FacebookShare on X

रोमिला थापर एक वामपंथी इतिहासकार हैं तथा उनके अध्ययन का मुख्य विषय “प्राचीन भारत का इतिहास” रहा है। रोमिला थापर का जन्म 30 नवंबर 1931 को लखनऊ में हुआ था। पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद लंदन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज से एएल बाशम के मार्गदर्शन में 1958 में डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की। वह 1983 में भारतीय इतिहास कांग्रेस की जनरल प्रेसिडेंट और 1999 में ब्रिटिश अकादमी की कॉरेस्पोंडिंग फेलो चुनी गई थीं। क्लूज पुरस्कार (द अमेरिकन नोबेल) पाने के साथ उन्हें दो बार पद्म विभूषण पुरस्कार की पेशकश की गई, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार करने से मना कर दिया।

यह उन्हीं कथित बुद्धिजीवियों में से एक हैं जिहोंने इतिहास को अपने राजनीतिक पूर्वाग्रहों व औपनिवेशिक विचारधाराओं के लिए एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया। पुराने घटनाक्रमों का वही विश्लेषण स्वीकार किया गया जो साम्यवादी और वामपंथी इतिहासकारों को पसंद थे। उनकी मूल स्थापनाएं ही विकृत तथ्यों से भरी थी और इन्होंने प्राचीन भारत के ऐतिहासिक घटनाक्रमों को व्यवस्थित रूप से कभी पेश नहीं क्या। रोमिला थापर हों या इरफान हबीब या रामशरण शर्मा या उनके जैसे अनेक वामपंथी विचारक प्राचीन इतिहास के श्रोता की विश्वसनीयता का मखौल उड़ाने से कभी नहीं चूकते थे।

संबंधितपोस्ट

DUSU चुनाव 2025: Gen Z ने अपने वोट से दिया राष्ट्रवाद का संदेश

बंगाल का JNU कहे जाने वाले जादवपुर यूनिवर्सिटी में की गई आजाद कश्मीर और फ्री फिलिस्तीन की पेंटिंग; वामपंथी छात्र संगठन PDSF के खिलाफ दर्ज हुई FIR

JNU में हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म के अध्ययन के लिए केंद्रों की होगी स्थापना।

और लोड करें

रोमिला थापर उन इतिहासकारों में से एक है जिन्होंने इस देश की अगली पीढ़ी के लिए एक ऐसा इतिहास लिखा और अपने साथी इतिहासकारों से भी लिखवाया कि आज के युवा अपने देश की कम और आक्रांताओं का इतिहास ज्यादा जानते है। इन सभी ने एक ऐसे इतिहास को लिखा जिसे पढ़ने के बाद अगली पीड़ी हीन भावना से ग्रसित हो और उसे रामायण और महाभारत एक कहानी लगे।

यह एक सोची समझी साजिश के तहत जानबूझकर लिखा गया और इसमें से सबसे प्रमुख थी रोमिला थापर जिन्होंने भारतीय इतिहास की धज्जियां उड़ाते हुए परिकाल्पनिक सिद्धांतों को सिद्ध करने कोशिश की जिसका वास्तविकता से कोई संबंध ही नहीं था। आइए ऐसे ही कुछ उनके परिकल्पनाओं को देखते है।

इतिहास में कई झूठे सिद्धांत को अब भी पढ़ाया जा रहा है। उसी में से एक है – आर्यन इन्वेजन थ्योरी। इस थ्योरी के अनुसार ”आर्य भारत में बाहर से आये हैं।“  इस थ्योरी को अंग्रेजो ने औपनिवेशिक काल में फैलाया था ताकि भारतीयों को बांटा जा सके। आर्य आक्रमण सिद्धांत एक बहुत ही चालाकी से अभ्यासक्रम में डाला गया सफेद झूठ है। इस सिद्धांत का गलत उपयोग आज भी कई राजनीतिक पार्टियां करती हैं। इसे पुख्ता करने के लिए रोमिला थापर और उनके साथियों ने जी जान लगा दी और इन सभी की इतनी बड़ी लॉबी थी कि इसे Medieval  और Ancient History एनसीईआरटी (old version) में भी पढ़ाया जा रहा है, जिसे पढ़कर देश मे प्रशासनिक अफसर और बुद्धिजीवी खड़े होते है। हालांकि, यह भी एक मनगढ़ंत कहानी ही है। जिसे कई बड़े इतिहासकर और वैज्ञानिक नकार चुके है।

इसके बाद आते है उनके इस सिद्धांत पर कि वैदिक काल में विशिष्ट अतिथियों के लिए गोमांस का परोसा जाना सम्मान सूचक माना जाता था। रोमिला थापर ने अपनी किताब में यह साफ लिखा है। लेकिन यह सफ़ेद झूठ है। किसी भी वेद में यह नहीं लिखा है जिसे यह वामपंथी इतिहासकार इतने दावे के साथ लिखते आये है।

वामपंथी इतिहासकारों की दृष्टि में छठीं कक्षा के बच्चों को यह पढ़ाना बहुत आवश्यक लगता है कि आर्य बाहर से आये थे और वैदिककाल में गोमांस खाया जाता था जबकि ऋग्वेद में गौ को ‘अघन्या'(न मारने योग्य) कहा गया है।

रामायण, महाभारत को काल्पनिक बताने वाली रोमिला थापर यही नहीं रुकती। महाभारत के बारे में उन्होंने भी कई झूठ लिखे हैं। “शकुंतला” में रोमिला थापर बताती हैं कि पांडव दुर्वासा की संतान थे। जबकि महाभारत के अनुसार पांडव, कुरु राजवंश के राजा पांडु के पुत्र थे। वह दावा करती है कि प्राचीन हिंदू महिलाओं ने परंपरा के अनुसार मेहमानों के साथ विवाहेतर यौन संबंध बनाए थे।

यह भारत जैसे देश में ही हो सकता है जिसमें एक धर्म के बारे में इतनी झूठी बाते वह भी बिना प्रमाण के लिख दी जाती हैं और कोई इसका खंडन भी नहीं करता है।

रोमिला थापर ने अपनी कई किताबों में मध्यकालीन इतिहास के बारे लिखा है और इन किताबों में मुलिम आक्रांताओं के बर्बरीक हमलों पर शब्दों के खेल से पर्दा डाला. उन्होंने लिखा है,

महमूद गजनवी केवल धन लूटने आया था, क्योंकि उसे साम्राज्य-विस्तार करना था। इसके लिए फौज चाहिए थी। फौज के लिए धन चाहिए था। उसका उद्देश्य केवल अपने राज्य का विस्तार था, न कि किसी मंदिर का विध्वंस करना उसका उद्देश्य था। फिर भारत से काफी धन लूटकर उसने गजनी में मस्जिद, और हाँ, एक लाइब्रेरी भी बनवाई!

अब रोमिला थापर द्वारा लिखे इस इतिहास को पढ़कर आप भी महमूद गजनवी को दोषी नहीं मानेंगे बल्कि आपके मन में सहानुभूति और जागृत होगी

तब तो सचमुच महमूद के साथ भारत में भारी अन्याय हुआ! रोमिला जी के अनुसार कि गजनवी द्वारा भारत पर बार बार चढ़ाई के बाद भी भारत की काफी तरक्की हुई। अब यह तो सभी को पता ही है कि महमूद गजनवी ने भारत में क्या क्या अत्याचार किये थे और कैसे देश को यहां तक कि मंदिरों में लूट मचाई थी, लेकिन रोमिला थापर ने उन अत्याचारों को ऐसे पेश किया जैसे कुछ हुआ ही नहीं।

इसके अलावा यह वही इतिहासकार है जिन्होंने यह मानने से मना कर दिया था कि अयोध्या में राम मंदिर था। इतिहास के तथ्यों को तोड़-मरोड़कर गलत जानकारी देकर अयोध्या मामले को उलझाने का काम वामपंथी विचारधारा के इतिहासकारों ने सबसे अधिक किया है।

रोमिला थापर, बिपिन चन्द्रा, प्रो.धनेश्वर मंडल, शीरीन मौसवी, डीएन झा, आर एस शर्मा, प्रो. सुप्रिया वर्मा आदि सभी इतिहासकारों ने माहौल खराब करने की कोशिश के चलते ऐसा किया और इसमें इनका निजी स्वार्थ भी शामिल था। वह स्वार्थ पूरा भी हुआ। जिसके तहत ये कई सालों तक ‘इतिहास अनुसन्धान परिषद’ में कई पदों पर ‘आसीन’ भी रहे। इन्हें वहां से कई प्रकार के ‘प्रोजेक्ट’ मिले। जिनमें से कुछ को तो इन्होंने ‘आज तक’ पूरा नहीं  किया। आराम से सरकार का पैसा लेते रहे और इस बीच अपनी-अपनी यूनिवर्सिटियों के पठन-पाठन से भी दूर रहे और वहाँ से भी सरकार का पैसा डकारतें रहे।

मशहूर पत्रकार ‘अरुण शौरी’ ने अपनी किताब ‘एमिनेंट हिस्टोरियन’ में साफ-साफ़ लिखा है- अयोध्या मुद्दा बहुत पहले ही सुलझ गया होता, यदि उसमें मिले खुदाई के अवशेषों को पूर्वाग्रह से मुक्त होकर देखा गया होता। परन्तु दुर्भाग्य से ऐसा नही हुआ।

वहीं एएसआई के क्षेत्रीय निदेशक (उत्तर क्षेत्र) रहे ‘श्री के के मोहम्मद’ ने मलयालम में लिखी अपनी आत्मकथा ‘नज्न एन्ना भारतीयन’ (मैं एक भारतीय) में सीधे तौर पर ‘रोमिला थापर’ और ‘इरफ़ान हबीब’ पर बाबरी मस्जिद विवाद को गलत ढंग से पेश करने का आरोप लगाते हुए लिखा है, “1976-1977 में जब प्रो. बी लाल की अगुवाई में वहां पर खुदाई हुई थी, तो उसमें भी वहां मंदिर के साक्ष्य पाए गए थे।“

अंग्रेज़ो के जाने के बाद उनके द्वारा फैलाए गये झूठे तथ्यों को सच बनाने की कोशिश में लगे ऐसे कहानिकार आखिर कैसे सफल हो गए और भारत जैसे सांस्कृतिक देश में अपनी जड़े इतनी मजबूत कर ली कि भारत की शिक्षा प्रणाली इनके हत्थे चढ़ गया। इसका परिणाम यह हुआ कि भारत की आने वाली पीढ़िया अपने देश की वास्तविकता से ही कट गयी और वह अँग्रेजी पद्धति पर ही आश्रित हो गए।

इसकी प्रमुख वजह कांग्रेस और जवाहरलाल नेहरू की साम्यवादी सोच रही है। जवाहरलाल नेहरू ने अपनी और कांग्रेस पार्टी का गुणगान करने के लिए वामपंथी और उनके चाटुकार इतिहासकारों को ही आधिकारिक रूप से भारत का इतिहास लिखने का दायित्व सौंपा।

इसके बाद रोमिला थापर, प्रोफेसर डी. एन. झा, प्रो. बिपनचंद्र, प्रो. हरबंस मुखिया जैसे इतिहासकारों ने एक आभिजात्य वर्ग की टोली बनाई  और फिर बाकी राष्ट्रवादी इतिहासकारों को दरकिनार कर खुद को ही भारत के इतिहास का ज्ञाता मानने लगे। यही नहीं इस्लाम को जितना सराहा उतना ही हिंदुओं को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

इन सभी ने मिल कर भारत की शिक्षा प्रणाली पर ही अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया, इसके साथ ही भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद् पर भी कब्जा जमा लिया। भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद् के प्रमुख पदों पर वामपंथी गुट के किसी के ही अधिकारियों को बैठाया दिया था। अरुण शौरी ने इस बारे में अपनी पुस्तक एमिनेंट हिस्टोरियन में लिखा है “भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद् जैसे प्रतिष्ठित संस्था पर इन लोगों का कब्ज़ा निश्चित ही बहुत बुरी बात थी। इन इतिहासकारों का बड़ा अपराध रहा कि ये सच को दबाने और झूठ को उजागर करने में हमेशा आपसी साझेदारी निभाई। ये केवल पक्षपाती इतिहासकार ही नहीं है, ये अव्वल दर्जे के भाई-भतीजावादी भी हैं। ये सभी आपस में एक-दूसरे के किताबों का प्रशंसा कर महान बन गए और ढोंग रचाते रहे”।

वहीं, नोबल पुरस्कार विजेता वी. एस. नायपाल ने लंदन-स्थित एक पत्रकार फारूख ढोंडी को यहां तक कहा कि प्रसिद्ध वामपंथी इतिहासकार रोमिला थापर एक ‘फ्रॉड’ है।

इन सभी ने एक ऐसे भारत की कल्पना की जहां केवल हार थी और इस हार से देश के युवाओं को हीन भावना से ग्रसित कर दिया। ये वामपंथी इतिहासकार लॉर्ड मैकाले के बताए पाथ पर ही चले जिसका एक ही मकसद भारत के लोगों को भारत की संस्कृति से दूर करना था जिसका प्रमाण भी मिलता है जब मैकाले ने अपने पिता को लिखे एक पत्र में इस बात का जिक्र किया।

आज इन सभी इतिहासकारों की सच्चाई अब सभी के सामने आ चुकी है और अब जरूरत है कि भारत सरकार अपने शिक्षा प्रणाली में सुधार कर इन सभी छद्म इतिहासकारों के लिखे इतिहास को हटाए और राष्ट्रवादी इतिहासकारों को मौका देकर भारत का ऐतिहासिक संस्कृति को पुनर्जीवित करे।

Tags: जेएनयूरोमिला थापर
शेयर310ट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

कुपोषण के खिलाफ उत्तराखंड सरकार की नई पहल, सभी मंत्री व अधिकारी लेंगे कुपोषित बच्चों को गोद

अगली पोस्ट

कुलभूषण जाधव को काउंसलर एक्सेस तो दिया लेकिन अपनी औकात यहां भी दिखा ही दी

संबंधित पोस्ट

बांग्लादेश
चर्चित

हिंदू दीपू दास की इस्लामी भीड़ के हाथों बर्बर हत्या उस्मान हादी हत्याकांड का ‘साइड इफेक्ट’ नहीं है, ये मजहबी कट्टरता को आत्मसात कर चुके बांग्लादेश का नया सच है

20 December 2025

बांग्लादेश इस समय गहरी अस्थिरता से गुज़र रहा है। दुर्भाग्य से ये अस्थिरता सिर्फ राजनैतिक नहीं है, ये नैतिक और सामाजिक भी है। अलग भाषाई...

ऑपरेशन सिंदूर 2:0
मत

दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

21 November 2025

पाकिस्तान एक आतंकी मुल्क है और इसमें शायद ही किसी को कोई संशय हो, ख़ुद पाकिस्तान के मित्र भी न सिर्फ इसे अच्छी तरह जानते...

शशि थरूर पीएम की तारीफ कर अपनी ही पार्टी के अंदर निशाने पर आ गए हैं
चर्चित

कांग्रेस का नया नियम यही है कि चाहे कुछ भी हो जाए पीएम मोदी/बीजेपी का हर क़ीमत पर विरोध ही करना है?

21 November 2025

कांग्रेस के नेता देश ही नहीं विदेशों में भी जाकर लोकतंत्र बचाने की दुहाई देते रहते हैं। लेकिन जब बारी आंतरिक लोकतंत्र की आती है...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Captured Turkish YIHA drone Showed by the Indian Army |Defence News| Operation Sindoor

Captured Turkish YIHA drone Showed by the Indian Army |Defence News| Operation Sindoor

00:00:58

A War Won From Above: The Air Campaign That Changed South Asia Forever

00:07:37

‘Mad Dog’ The EX CIA Who Took Down Pakistan’s A.Q. Khan Nuclear Mafia Reveals Shocking Details

00:06:59

Dhurandar: When a Film’s Reality Shakes the Left’s Comfortable Myths

00:06:56

Tejas Under Fire — The Truth Behind the Crash, the Propaganda, and the Facts

00:07:45
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited