बेरोजगार अभिसार शर्मा ने फोटोशॉप्ड इमेज के जरिए मून लैंडिंग पर फैलाया फेक न्यूज, चित्रा त्रिपाठी ने जमकर धोया

अभिसार शर्मा

PC: E-Postmartem

हमारे बहुचर्चित पत्रकार अभिसार शर्मा एक स्कूली बच्चे की भांति ही टाइम से उठते हैं, नाश्ते में दूध में हॉर्लिक्स की भांति द वायर और एनडीटीवी का प्रोपगैंडा मिलाकर पीते हैं, और फिर कार्ल मार्क्स एवं सोनिया गांधी की आरती उतार कर अपना प्रोपगैंडा फैलाने निकल पड़ते हैं। प्रोपगैंडा फैलाना उनके लिए उतना ही आवश्यक है, जितना कि सांस लेना।

अभी हाल ही में अभिसार बाबू प्रोपगैंडा फैलाने में इतने रम गए कि उन्होने एक फॉटोशॉप इमेज पर ही मोदी सरकार को निशाने पर लेना शुरू कर दिया। आज तक की एंकर चित्रा त्रिपाठी ने चंद्रयान-2 के अभियान पर एक शो किया था जिसका शीर्षक था ‘अब चाँद हमारी मुट्ठी में’, पर अभिसार बाबू को दिखाई दिया – “अब चाँद मोदी की मुट्ठी में” –

बात यहीं पर नहीं रुकी। इसी दिशा में उन्होंने एक नई कॉन्सपिरेसी थ्योरी निकालते हुये पीएम मोदी को निशाने पर लेने की कोशिश किया है, और कहा, “आखिर रवीश कुमार के मैग्सेसे अवार्ड पर मोदी सरकार क्यों खामोश हैं और तबरेज अंसारी को किसने मारा?” मतलब मोदी सरकार ने रवीश कुमार को बधाई नहीं दी, इसलिए दाल में कुछ काला है, और चूंकि तबरेज अंसारी की मृत्यु लिंचिंग के कारण नहीं, बल्कि हार्ट अटैक से हुई थी, इसलिए मोदी सरकार की तानाशाही व्याप्त है।

अरे अभिसार बाबू!, इतना प्रोपगैंडा सेहत के लिए ठीक नहीं है। माना की आपका दिन प्रोपगैंडा से ही शुरू होता है, और प्रोपगैंडा पर ही खत्म हो जाता है, लेकिन यहाँ कुछ ज़्यादा नहीं बोल गए आप? एक फॉटोशॉप इमेज को फ़ैक्ट चेकिंग के लिए उपयोग कर आप पत्रकारिता की कौन सी मिसाल कायम कर रहे थे? ठीक है, हम जानते हैं कि आप रवीश बाबू के उचित उत्तराधिकारी बनना चाहते हैं, पर इतनी घटिया पत्रकारिता पर रेमन मैगसेसे तो दूर की बात है, आपको ऐसी काल्पनिक रचना के लिए मंगला प्रसाद परितोषिक भी नहीं मिलेगा।

अभिसार बाबू के फेक न्यूज पर जब सोशल मीडिया यूज़र अंकुर सिंह और पॉलिटिकल कीड़ा ने अभिसार शर्मा की पोल खोली। इसके बाद इस पर स्वयं आजतक की एंकर चित्रा त्रिपाठी ने भी ध्यान दिया, और अभिसार शर्मा की तबीयत से धुलाई करते हुए अपने ट्वीट में लिखा, “मोदी विरोध में इतना गिर जायेंगे अभिसार इसकी उम्मीद नहीं थी। वैसे धान से गेहूँ निकालने वाला इंसान गर्त की पत्रकारिता ही कर सकता है।  गधों की तरह बोलने के पहले फ़ैक्ट चेक करते कि जो तस्वीर आप वायरल कर रहे हैं उसकी हक़ीक़त क्या है? बीमार हैं आप, अपना इलाज कराइये”

चित्रा त्रिपाठी की बात तो बिल्कुल सही है, परंतु अभिसार बाबू को अब दवा की नहीं, दुआ की आवश्यकता है। हालांकि यह पहला अवसर नहीं है जब अभिसार बाबू ने ज़रूरत से ज़्यादा प्रोपगैंडा फैलाकर अपनी और लिबरल पत्रकारिता की भद्द पिटवाई। हाल ही में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने पर इनकी घटिया ट्वीट का उपयोग कर पाक पत्रकार हामिद मीर ने भारत के खिलाफ नफरत फैलाने में ज़रा भी देर नहीं लगाई –

इसके अलावा पिछले ही साल दशहरा के अवसर पर जब पंजाब के अमृतसर में कांग्रेस की रैली स्थल के पास रेलवे लाइन पर भीषण हादसा हुआ था, उस समय रेलवे को कठघरे में खड़ा करने के लिए अभिसार शर्मा ने जितनी जी तोड़ मेहनत की थी, उतना तो शायद नोबेल पुरस्कार विजेता सीवी रमन ने अपने शोध में भी नहीं किया होगा।

द वायर के साथ इन्होने इस दुर्घटना में जितना रायता फैलाया था, उस पर तो अलग से एक पूरी डार्क कॉमेडी बन सकती है, जो दिखाएगी कि पत्रकारिता ऐसी भी होती है। कुल मिलाकर अभिसार शर्मा पत्रकारिता के वो केजरीवाल हैं, जो तर्कसंगत रहने के लिए हर युक्ति अपना लेंगे, पर जनता उन्हें उसी तरह नकार देगी, जिस तरह केजरीवाल को इस लोकसभा चुनाव में नकार दिया गया था।

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