लगता है शरद पवार जल्द ही रिटायर होना चाहते हैं, उनका पाक प्रेम तो यही दर्शाता है

शरद पवार

PC: newsnation

कभी राष्ट्रीय राजनीति में एक अहम भूमिका अदा करने वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, यानि एनसीपी अब राजनीतिक हाशिये पर खड़ी है। अब तो पार्टी प्रमुख शरद पवार ने अपने आप को सेक्युलर दिखाने की कोशिश में अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने का काम किया है। हाल ही में अल्पसंख्यकों के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में पवार ने न केवल कश्मीर मुद्दे पर हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान की तारीफ की, बल्कि भारत सरकार को कश्मीर में ‘कथित समस्या’ के लिए दोषी ठहराने का भी प्रयास किया।

एएनआई के ट्वीट्स के अनुसार शरद पवार ने इस आयोजन में कहा, ‘मैं पाकिस्तान गया हूं और वहां की मेहमाननवाजी से अभिभूत हुआ हूं। वहां के लोग ये मानते हैं कि अगर वे भारत जाकर अपने रिशतेदारों से नहीं मिल सकते, तो भी वे हर भारतीय को अपने रिश्तेदार के तौर पर मानते हैं’। जिस देश में रहते हैं उसी देश के दुश्मन की खुलेआम तारीफ करना तो कोई शरद पवार से सीखे। अगर शरद पवार को पाकिस्तान से इतना ही लगाव है तो उन्हें वहां की राजनीति में जाने पर एक बार विचार करना चाहिए।

शरद पवार यही नहीं रुके, उन्होंने आगे भी हमारे पड़ोसी देश की तारीफ में काफी कसीदे गढ़े हैं। शरद पवार कहते हैं, ‘लोग यहां कहते हैं कि पाकिस्तान में लोगों को आए दिन अत्याचार झेलने पड़ते हैं, परंतु ये सच नहीं है। ऐसे बयान केवल वहां की सच्चाई समझे बिना केवल राजनीतिक फ़ायदे के लिए बोले जा रहे हैं। यहां की सत्ता अपने फ़ायदे के लिए झूठी अफवाहें फैला रही हैं’। शरद पवार का पाकिस्तान  प्रेम उनके बयानों में खूब झलक रहा है। कौन पाकिस्तान प्रेम का राग अलाप कर अपने विशेष वर्ग को लुभाने का प्रयास कर रहा है और कौन नहीं ये तो आप शरद पवार के बयान से समझ ही गये होंगे।

शरद बाबू, जब दाँत से अखरोट न तोड़े जा सकें, तो सर से नारियल फोड़ने की बातें नहीं किया करते। आपकी एनसीपी पार्टी पहले ही महाराष्ट्र में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में आप पूरे देश में 10 सीट भी नहीं जीत पाये, पिछली बार महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में आपकी पार्टी को कुल 288 सीटों में से केवल 41 सीटें मिली थीं, राज्य में आप अपनी पार्टी को संभाल नहीं पा रहे और आप भारत सरकार को कश्मीर मुद्दे पर ज्ञान बांट रहे हैं। आगामी चुनाव से पहले ही आपकी पार्टी के कई बड़े नेता पार्टी का दामन छोड़ भाजपा का दामन थाम चुके हैं।

ताजा मामले को ही देख लीजिये, मुंबई से लगा ठाणे ज़िला एनसीपी का साल 2014 तक गढ़ माना जाता था और यही के सबसे बड़े नेता और 10 साल तक मंत्री और गार्डियन मिनिस्टर रहे गणेश नाईक के  अलावा नवी मुंबई महानगरपालिका के 57 नगरसेवकों के साथ बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। गणेश नाईक एनसीपी के सबसे ताकतवर नेताओं में से एक माने जाते हैं। इससे स्पष्ट है कि कभी इंदिरा गांधी को चुनौती देते हुए अपनी पार्टी के अस्तित्व बचाने वाले शरद पवार ने पाकिस्तान प्रेम दर्शा कर अपने लिए ही गड्ढा खोदने का काम किया है। ऐसे में शरद पवार का बयान उनकी पार्टी की बची-खुची पकड़ को खत्म करने के लिए काफी है, आगामी विधानसभा चुनाव में सीटें मिलना तो बहुत दूर की बात रही। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि इस बार महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव शरद पवार की राजनीति के लिए शह और मात का दाँव सिद्ध हो सकते हैं।

हालांकि, ऐसे भारत विरोधी बयान शरद पवार ने पहली बार नहीं दिये हैं। चाहे पुलवामा हमले के बाद बालाकोट, चकोटी और मुज़फ्फ़राबाद में स्थित आतंकी ठिकानों पर भारतीय वायुसेना द्वारा एयर स्ट्राइक पर प्रश्न चिन्ह लगाना हो, या फिर ईवीएम के हैक होने की संभावना के लिए बेतुके तर्क देने हों, या फिर 1993 के ब्लैक फ्राइडे ब्लास्ट्स में सांप्रदायिक सौहार्द स्थापित करने के लिए 13वें बॉम्ब ब्लास्ट का झूठ  बोलना हो, शरद पवार ने वो सब किया, जिससे उन्हें एक सेक्यूलर नेता घोषित किया जा सके। यह अलग बात है कि उन्हें जनता ने कभी भी एक सशक्त नेता के तौर पर स्वीकार नहीं किया।

सच पूछें तो अब शरद पवार के दिन लद गए हैं। उन्होंने ऐसे समय पर भारत विरोधी बयान देकर अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारी है, जब उनकी पार्टी स्वयं राजनीतिक हाशिये पर खड़ी है। काश शरद पवार ने मणिशंकर अय्यर से सीख ले ली होती, तो आज उन्हें ये दिन न देखना पड़ता।

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