NRIs पर सवाल उठाने वालों, पहले भारतीय अर्थव्यवस्था में उनकी भूमिका को भी जान लो

एनआरआई

PC: DNA India

प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को टेक्सास के ह्यूस्टन शहर में आयोजित अपने कार्यक्रम ‘हाउडी मोदी’ को संबोधित किया। जिस चीज़ ने सबका ध्यान आकर्षित किया, वह था पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प का एक साथ मंच साझा करना। जैसे ही दोनों स्टेज पर एक साथ आए, मोदी-मोदी के नारों से पूरा स्टेडियम गूंज उठा। यह कार्यक्रम बेहद ही सफल रहा और इसने फिर एक बार पीएम मोदी की मजबूत छवि का उदाहरण सबके सामने पेश कर दिया। इस कार्यक्रम के साक्षी बनकर जहां एक तरफ दुनियाभर में मौजूद भारतीयों का सीना गर्व से चौड़ा हो रहा था, तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने यहां भी अपना एजेंडा चलाने की कोशिश की। इतना ही नहीं, अमेरिका में भारतीय समुदाय द्वारा पीएम मोदी के ग्रांड वेलकम को देखकर ये लोग इतने आहत हो गए कि उन्होंने भारतीय मूल के लोगों पर ही हमला बोलना शुरू कर दिया। हालांकि, इन एजेंडावादी लोगों को इतना नहीं पता कि ये एनआरआई भी दिल से उतने ही भारतीय हैं, जीतने भारत में रहने वाले अधिकतर लोग हैं। ये सभी विदेशों में रहते हुए भी भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं।

दरअसल, हाउडी मोदी कार्यक्रम कल यानि रविवार को पूरे दिन सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा था लेकिन इसी बीच कुछ एजेंडावादी लोगों ने अपने प्रोपेगैंडा से इस कार्यक्रम को हाईजैक करने की पूरी कोशिश की। उदाहरण के तौर पर हैशटैग हाउडी मोदी का इस्तेमाल करते हुए एक ट्विटर यूजर ने लिखा ‘सभी एनआरआई अंध भक्तों के लिए: पहले जब आप 1 डॉलर भारत में भेजते थे तो केवल बदले में 45 रुपए मिलते थे, अब 70 रुपये मिलते हैं। यही तो अच्छे दिनों का सबसे बड़ा उदाहरण है। अगर भारत में इतने ही अच्छे दिन आ गए हैं, तो ये लोग भारत में आकर एंजॉय क्यों नहीं करते?’

इसी तरह ‘हाउडी मोदी’ की शानदार सफलता से एजेंडावादी पत्रकार रोहिणी सिंह भी काफी आहत दिखाई दीं। रोहिणी सिंह ने लिखा ‘राष्ट्रपति ट्रम्प को भी भारतीय समुदाय के लोगों के साथ ठीक ऐसे ही बर्ताव करना चाहिए जिस तरह भारत में अल्पसंख्यक समुदाय के साथ किया जाता है। क्या यही उचित नहीं होगा?’

इसी तरह कई लोगों ने अपने बेतुके ट्विट्स से पीएम मोदी और एनआरआई भारतीयों पर अपनी भड़ास निकालने की कोशिश की।

https://twitter.com/devduttmyth/status/1175807925408780289?s=20

अब आपको बताते हैं कि इन एनआरआई समुदाय के लोगों का भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती में कितना बड़ा योगदान है। ये NRI समुदाय के लोग विदेशों से लगभग 80 बिलियन अमेरिकी डॉलर हर वर्ष भारत में भेजते हैं जिससे ना केवल भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है बल्कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ता है।

अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, आस्ट्रेलिया, जापान सहित दुनियाभर में बसे लाखों भारतीय वहां नौकरी और व्यापार करते हैं। ये प्रवासी उन देशों की अर्थव्यवस्था में योगदान देने के साथ ही हर साल भारत में अपनी कमाई का एक हिस्सा भी भेजते हैं। यह तथ्य है कि दुनिया में भारत उन देशों में है, जहां के बाहर रहने वाले नागरिक सबसे ज्यादा पैसा अपने देश में भेजते हैं। चीन इस मामले में बहुत पीछे है। विदेश में रहने वाले चीनी नागरिकों ने 2018 में अपने देश में 67,414 मिलियन डॉलर भेजे हैं। यह हिस्सा चीन की जीडीपी का 0.5 प्रतिशत है। जबकि यही एनआरआई जो पैसा भारत में भेजते हैं, वह भारत की कुल GDP का लगभग 3 प्रतिशत है।

अमेरिका की बात करें तो वहां लगभग भारतीय मूल के 40 लाख लोग रहते हैं जो कुल अमेरिकी आबादी का 1.3 प्रतिशत हैं, और उनका अमेरिका की राजनीति पर अच्छा-खासा प्रभाव भी है। इन्हीं भारतीय मूल के लोगों की वजह से दुनिया के सबसे ताकतवर देश में भारत की लॉबी इतनी मजबूत है। ये NRI समुदाय के लोग विदेशों में रहकर भी देश सेवा के धर्म का पालन करते हैं जबकि विडम्बना यह है कि कुछ लोग इसी देश में रहकर भी दुश्मनों के एजेंडे को बढ़ावा देते हैं। ऐसे लोगों को अपनी घटिया मानसिकता से परे हटकर भारत के विकास की कहानी का एक सक्रिय हिस्सा बनने का प्रयास करना चाहिए। इन लोगों को एनआरआई समुदाय के लोगों से देशसेवा का भाव सीखने की आवश्यकता है।

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