अक्सर भारत में शिया-सुन्नी, सवर्ण- अनुसूचित जाति, जनजाति व भाषाओं को लेकर बहस होता है, और आज भी ये मुद्दा सुलझा नहीं पाए हैं। वहीं भारत के अंतिम छोर यानि केरल से खबर आ रही है कि ईसाई समुदाय के दो वर्गों में ही तनाव हो गया है। सही पढ़ा आपने, ऑर्थोडॉक्स और जैकबाइट्स के बीच जो तनाव पैदा हुआ है उसे जानकर आप धर्म और जाति के तमाम विवाद भूल जाएगें। दोनों ईसाई वर्गों में विवाद चर्च के नियंत्रण को लेकर है, ऑर्थोडॉक्स ग्रुप कहता है कि चर्च हमारे नियंत्रण में होना चाहिए तो वहीं जैकबाइट्स चर्च पर नियंत्रण देने से इंकार कर रहा है। इन दोनों ईसाई समूहों में मामला अपने-अपने धाक को लेकर है।
फिलहाल दोनों समूहों के बीच विवाद के बाद पुलिस ने परिसर में घुसकर विरोध कर रहे एक धड़े के पादरियों और अनुयायियों को बाहर निकाला। इसके बाद एर्नाकुलम जिला प्रशासन ने इस गिरजाघर को अपने नियंत्रण में ले लिया। पुलिस चर्च का मुख्य दरवाजा तोड़कर जबरन भीतर घुसी और वहां से जैकोबाइट धड़े के बिशप, पादरियों और अनुयायियों को बाहर निकाला।
चर्च को लेकर विवाद तो आज चर्चा में है लेकिन इस विवाद का इतिहास काफी पुराना है। दोनों पक्षों में लड़ाई सिर्फ अपने-अपने वर्चस्व को लेकर है, चर्च सिर्फ इसके पीछे का एक माध्यम है। साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला दिया था जो 1934 के मलनकारा गिरजाघर के नियमानुसार था। कोर्ट ने इस फैसले में 1100 चर्च ऑर्थोडॉक्स समूह के ईसाईयों को सौंप दिया।
मामला क्या है?
आर्थोडॉक्स समुदाय को अब चर्च कब्जे में लेना था लेकिन जैकेबाइट्स अपनी जिद पर अड़े थे, उन्होंने चर्च पर अपना नियंत्रण बनाए रखा। इसके बाद केरल हाईकोर्ट को बीच में आना पड़ा, कोर्ट ने कहा कि पुलिस प्रशासन आर्थोडॉक्स ईसाईयों को सुरक्षा प्रदान करे ताकि वे चर्च में शांतिपूर्वक धार्मिक क्रिया-कलाप कर सकें। इसके लिए आर्थोडॉक्स समूह केरल हाईकोर्ट में याचिका भी डाली थी। जैकोबाइट पादरियों का आरोप है कि आर्थोडॉक्स मानवाधिकारों का उल्लंघन करते हैं और उनके मृत परिजनों का अंतिम संस्कार करने में बाधा उत्पन्न करते हैं।
अनुयायियों ने पुलिस से कहा चर्च से निकाल तो आत्महत्या कर लेंगे
केरल उच्च न्यायालय के गुरुवार के निर्देश के बाद दोनों गुटों के बीच गतिरोध तेज हो गया था। उच्च न्यायालय ने चर्च परिसर से जैकोबाइट धड़े के लोगों को निकालने का आदेश दिया था। उच्च न्यायालय ने ऑर्थोडॉक्स गुट द्वारा दायर एक याचिका पर विचार करते हुए पुलिस को निर्देश दिया। याचिका में उच्च न्यायालय से जिलाधिकारी को चर्च को अपने नियंत्रण में लेने और शीर्ष अदालत के आदेश को लागू करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
बड़ी संख्या में महिलाओं सहित जैकोबाइट चर्च के पादरियों और अनुयायियों ने यह कहते हुए विरोध किया कि अगर पुलिस ने उन्हें हटाने के लिए बल प्रयोग किया, तो वे चर्च के भीतर सामूहिक आत्महत्या कर लेंगे।
कौन हैं आर्थोडॉक्स और जैकबाइट्स?
आर्थोडॉक्स ईसाई वे ईसाई होते हैं जो आज भी प्रारंभिक चर्च की पंक्तियों को सबसे ऊपर मानते हैं और इसी के तहत इसामसीह की पूजा करते हैं। इन्हें रूढ़िवादी ईसाई कहा जाता है, इनके पूजा करने का तरीका भी आधुनिक ईसाईयों से अलग होता है।
वहीं जैकबाइट्स ईसाई वे होते हैं जो Syriac Orthodox Patriarch Of Antioch को मानते हैं। ये सीरिया मूल के कहे जाते हैं। जैकबाइट्स के चर्च स्वायत्त रूप से काम करते हैं। इसी वजह से ये ऑर्थोडॉक्स से अलग होते हैं।
कोर्ट के फैसले के बाद भी राज्य सरकार मामला सुलझाने में नाकाम
मामले में सबसे दिलचस्प बात ये है कि फैसला आए हुए दो साल हो चुका है और अब भी ऑर्थोडॉक्स समुदाय को चर्च में पूजा की अनुमति नहीं है। कोर्ट के आदेश की बावजूद भी सरकार दोनों पक्षों का मामला सुलझाने व चर्च पर कब्जा करवाने में नाकाम रही है। ऐसा लगता है कि वोट बैंक की राजनीति के कारण सरकार इस मुद्दे में कूदना नहीं चाहती। फिलहाल चर्च से जबरन कब्जा करने वाले समूह को बाहर निकाल दिया गया है। अब देखना दिलचस्प हो गया है कि वहां की राजनीति में इन मामलों को कौन कितना भूना पाता है, क्योंकि राज्य में कुछ दिन बाद ही उपचुनाव होने वाले हैं।