करतारपुर कॉरिडोर शुरू करने को लेकर भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों की बुधवार को अमृतसर के अटारी में तीसरे दौर की बातचीत हुई। हालांकि, इस दौरान पाकिस्तान ने अपने खालिस्तानी एजेंडा आगे बढ़ाने वाली सोच को सबके सामने एक्सपोज कर दिया। दरअसल, पाकिस्तान ने भारत की दो मांगों को खारिज कर दिया और यह जता दिया कि करतारपुर कॉरीडोर को शुरू करने के पीछे पाकिस्तान की धार्मिक श्रद्धा नहीं है, बल्कि वह इसके माध्यम से अपना खालिस्तानी एजेंडा चलाना चाहता है। पाकिस्तान के इस अड़ियल रवैये के कारण यह बैठक बिना किसी नतीजे पर पहुंचे ही खत्म हो गई।
दरअसल, करतारपुर कॉरिडोर को लेकर भारत ने पाकिस्तान के सामने दो शर्तें रखी थी। पहली तो यह कि उसे भारत के नागरिकों को बिना वीजा के अथवा बिना किसी शुल्क के करतारपुर साहेब में दर्शन करने का मौका दिया जाये और दूसरी यह कि भारत के श्रद्धालुओं को सहूलियत प्रदान करने के लिए करतारपुर साहेब में भारत के प्रोटोकॉल ऑफिसर मौजूद हों, लेकिन पाकिस्तान ने इनमें से किसी भी बात को मानने से इंकार कर दिया। पाकिस्तान इस बात पर अड़ गया कि कॉरिडोर से होकर ननकाना साहिब के दर्शन करने वाले प्रत्येक भारतीय श्रद्धालु से वह 20 डॉलर (करीब 1440 रुपए) की फीस लेगा। हालांकि भारत ने इस मांग का विरोध करते हुए पाक को दोबारा विचार करने को कहा है।
साफ है कि पाक कॉरिडोर के जरिए खालिस्तानी एजेंडा चलाना चाहता है, इसीलिए वह करतारपुर साहेब में भारतीय ऑफिसर की मौजूदगी के खिलाफ है। भारत सरकार यह पहले भी कह चुकी है कि कुछ खालिस्तानी समर्थक लोग भारत की ओर से जाने वाले श्रद्धालुओं को भारत के खिलाफ भढ़काते हैं और अपना भारत-विरोधी एजेंडा चलाते हैं। ऐसी भी खबरें आती रहती हैं कि पाकिस्तान की खूफिया एजेंसी आईएसआई इनका समर्थन करती है।
इसी वर्ष जुलाई में भारत ने पाकिस्तान को इस बात से अवगत कराया था कि वर्ष में चार बार पाक जाने वाले सिख तीर्थयात्रियों को नियमित रूप से भारत विरोधी प्रचार और खालिस्तान एजेंडे के लिए उकसाया जाता है। पाकिस्तान को सौंपे डोजियर में भारत ने कहा है कि वहां के एक संघीय मंत्री ने हिजबुल मुजाहिद्दीन के मारे गए आतंकवादी बुरहान वानी की तारीफ की और सिख श्रद्धालुओं को अपने संबोधन में कहा कि भारतीय सरकार सिखों और कश्मीरियों के साथ ‘गुलाम’ की तरह व्यवहार करती है।
इसी वर्ष जुलाई में भारत के दबाव में 10 सदस्यीय पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (पीएसजीपीसी) से खालिस्तान समर्थक गोपाल चावला को हटा दिया था, लेकिन उस वक्त भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया था और उसने उसमें दूसरे खालिस्तान समर्थक को शामिल कर लिया था, जिसका नाम अमीर सिंह था।
यानि पाकिस्तान का एजेंडा भारत के श्रद्धालुओं को करतारपुर साहिब का दर्शन करने का मौका देना नहीं, बल्कि इसके माध्यम से भारतीय सिखों को भारत के खिलाफ भड़काना है और अपना भारत विरोधी एजेंडा चलाना है। भारत सरकार और भारतीय श्रद्धालुओं को अभी से इसको लेकर सतर्क होने की ज़रूरत है।