देश की जानी-मानी इतिहासकार रोमिला थापर से जेएनयू प्रशासन की ओर से मांगे गए सीवी का विवाद अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि उनके एक वीडियो क्लिप ने सोशल मीडिया पर नई बहस छेड़ दी है। इस वीडियो में इतिहासकार रोमिल थापर कहती दिख रही हैं कि ‘महाभारत में युधिष्ठिर का चरित्र सम्राट अशोक से प्रेरित था’। रोमिला इस वीडियो में यह समझाने की कोशिश कर रही हैं कि कैसे युधिष्ठिर सम्राट अशोक से प्रेरित हुये थे।
उनकी यही तुलना सोशल मीडिया पर लोगों को रास नहीं आई और ट्विटर यूजर्स ने रोमिला थापर के इतिहासकार होने पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया। अधिकतर ट्वीट्स में सोशल मीडिया यूज़र्स ने रोमिला थापर को जमकर ट्रोल किया, और उन्हें इस बेतुकी तुलना के लिए जमकर खरी खोटी भी सुनाई –
https://twitter.com/Shehzad_Ind/status/1175270718331744256
I heard Valmiki wrote the screenplay for The Avengers. Can you please confirm #RomilaThapar? Sources say the story broke from your stable. 😂😭
— Vin Nair "V/" (@vinsinners) September 21, 2019
Ashoka :- 268-232 BCE.
Yudhishthira :- 3500-4000 BCEBut yet Ashoka inspired Yudhishthira as per #RomilaThapar
This is how gross distortion of facts is fed to the younger generations as History by such eminent “HISTORIANS”#SaturdayThoughtspic.twitter.com/OoKWdO8DHr
— Archie 🇮🇳🚩(Modi Ka Parivaar) (@archu243) September 21, 2019
Mahabharata war happened around 3137 BC and King Ashoka’s time is 304 to 232 BCE, but, historian (😊) #RomilaThapar feels that Yudhishitira got this idea about renunciation from Ashoka! ( @Bharathgyan @sgurumurthy @madhukishwar @davidfrawleyved @rvaidya2000 @TVMohandasPai ) pic.twitter.com/lmViP1OxHX
— Swamiji (@AOLSwamiji) September 21, 2019
हालांकि कुछ लोग ऐसे भी थे, जो रोमिला थापर का इस विषय पर पक्ष लेते दिखाई दिये। ऐसे ही एक उदाहरण के रूप में स्वघोषित इतिहासकार एवं सनातन धर्म के स्वघोषित विशेषज्ञ देवदत्त पटनायक सामने आए, जिन्होंने एक ट्विटर यूज़र द्वारा रोमिला थापर के बयान की आलोचना के प्रत्युत्तर में ये ट्वीट पोस्ट किया –
https://twitter.com/devduttmyth/status/1175235810129395712
इस ट्वीट में देवदत्त लिखते हैं, “ वे ‘युधिष्ठिर’ के बारे में बात कर रही हैं, जो 2000 वर्ष पहले लिखे गए एक ‘महाकाव्य के चरित्र’ हैं और जो युद्ध से पूरी तरह टूट चुका था। उसकी तुलना अशोक जैसे ऐतिहासिक व्यक्तित्व से की गयी है, जो 2300 वर्ष पहले युद्ध की भयावहता को देख काफी लज्जित हुये थे। चिल”।
अब सच्चाई क्या है? रोमिला थापर ने जिस इवेंट में यह विवादास्पद बयान दिया था, उसका मूल वीडियो सामने आने पर पता चलता है कि उन्होंने सम्राट अशोक और युधिष्ठिर के व्यक्तित्व की तुलना करने में सम्राट अशोक को युधिष्ठिर से पूर्व के समय का दिखाने की कोशिश की। यूं तो रोमिला थापर दूध की धुली नहीं हैं, और उन्होंने भारतीय इतिहास को बहुत बार तोड़ मरोड़ कर पेश किया है। परंतु यहाँ उन्होंने तुलनात्मक बयान देने में दोनों के समय को अदल-बदल दिया, जो एक जानबूझकर की गयी भूल तो नहीं लगती।
परंतु देवदत्त पटनायक ने जो कहा है वो हमारे इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का एक बेहद घटिया प्रयास है। ये वही देवदत्त हैं जो खुद को इतिहासकार कहते हैं, पर सच्चाई यह है कि हर बार ये तथ्यों को गलत तरिके से पेश कर अपना एक खास एजेंडा चलाते हैं। उन्होंने यहां यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि सम्राट अशोक, युधिष्ठिर से पहले पैदा हुये थे। जबकि सच्चाई यह है कि महाभारत को सम्पन्न हुये 3000 वर्ष से भी ज़्यादा हो चुके हैं, और मौर्य वंश के सम्राट महाभारत के एक अहम किरदार को प्रेरित करें, ये तो उतना ही तार्किक है जितना कि एल्विस प्रेस्ली का सोनू निगम को संगीत की शिक्षा देना या भगत सिंह का मंगल पाण्डेय को अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह के लिए प्रेरित करना।
हालांकि ये पहला ऐसा अवसर नहीं है, जब देवदत्त पटनायक ने इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया हो। ऐसे कई उदाहरण सोशल मीडिया पर मौजूद हैं, जहां देवदत्त ने सिद्ध किया कि उनसे बड़ा हिपोक्रेट कोई नहीं है। हाल ही में जब एक ट्विटर यूज़र ने भागपथ में निकाले गए कुछ ऐतिहासिक अवशेषों पर उनकी राय मांगी, तो देवदत्त ने कुछ यूं उत्तर दिया –
https://twitter.com/devduttmyth/status/1171101594114330626
यह प्रत्युत्तर देवदत्त ने इसलिए दिया, क्योंकि उस ट्विटर यूजर ने हड़प्पा और वैदिक सभ्यता पर इनकी पोल खोलते हुये भागपथ से मिले अवशेषों पर प्रश्न किया था। इससे पहले भी सनातन धर्म के रीतियों पर अपने ऊटपटाँग विचारों का बचाव करते हुये देवदत्त ने अमेरिका में रह रहे सनातनी भारतीयों पर हाल ही में बेहद घटिया और बेतुके आरोप लगाए थे –
https://twitter.com/devduttmyth/status/1171234255160037377
इस ट्वीट में देवदत्त पटनायक कहते हैं- ‘अधिकांश हिंदू जो कहते हैं कि मुसलमानों को पाकिस्तान चले जाना चाहिए, वे खुद तो संयुक्त राज्य अमेरिका में रहते हैं। वहां के राष्ट्रपति बाइबिल पर हाथ रखकर शपथ लेते हैं।‘
देवदत्त यदि सनातन धर्म और प्राचीन भारत के बारे में झूठ पर झूठ बोलते रहें तो वो ठीक, लेकिन जब कोई उनकी पोल खोल खोल देता है तब वे तिलमिलाने लगते हैं। इसी तरह कुछ वर्ष पहले जब नित्यानन्द मिश्रा ने इनके ढोंगी विचारों की पोल खोलनी शुरू की, तो देवदत्त ने न केवल उन्हें अपमानित किया, बल्कि समूचे ब्राह्मण कुल का इन्होंने ट्विटर पर भद्दा मज़ाक उड़ाया।
इन ट्वीट्स में एक ओर जहां देवदत्त पटनायक ने सनातन धर्म को केवल ब्राह्मणों, संस्कृत और वेदों तक सीमित बताया, तो वहीं दूसरी ओर गीता पर उनके आधे-अधूरे ज्ञान की निंदा करने वालों को उन्होंने ब्राह्मणों का चमचा घोषित कर दिया। एक और ट्वीट में ब्राह्मणों के प्रति उनकी घृणा साफ दिखाई देती है, जिसमें उन्होंने कहा है कि यदि ब्राह्मणों का बस चलता, तो 13वीं शताब्दी में लिखी गयी मराठी संत ज्ञानेश्वर की ‘ज्ञानेश्वरी’ कभी लोगों तक नहीं पहुँचती।
https://twitter.com/devduttmyth/status/818537008616378372
https://twitter.com/devduttmyth/status/819039168361852932
https://twitter.com/devduttmyth/status/818147470865793024
https://twitter.com/devduttmyth/status/818498877334532096
ऐसे में देवदत्त पटनायक अपने फर्जी इतिहास के जरिए एक रोमिला थापर के बयान का बचाव करना चाहते थे लेकिन सोशल मीडिया के यूजर्स ने जब उनके छद्म इतिहास की धज्जियां उड़ाते हुए सवाल-जवाब करनी शुरू की तो पोल खुल गई।
https://twitter.com/ArcherMOF/status/1175325577017905152
Wow, Mahabharata was written 2000 years ago, during the time of Jesus? The next thing this overrated mythologist is gonna claim is that Hinduism began as an offshoot of Islam.
All evidence says Mahabharata must have been compiled atleast 500-1000 years before Gautam Buddha.
— Abhishek Mishra (@tweet_of_Mishra) September 21, 2019
https://twitter.com/Krantikari108/status/1175439861551120385
कल को नेहरू के चमचे ये बोल दे कि भगवान राम गाँधी की प्रेरणा से वनवास गए थे तो भी कोई अतिश्योक्ति मत समझना,इनको जिम्मेदारी ही इतिहास को तोड़ने मरोड़ने और आने वाली पीढ़ीयों को दिग्भ्रमित करने की मिली हुई है।#RomilaThappar
— Vinod H. Rungta (@VinodRungta3) September 21, 2019
सच बोलें तो देवदत्त ने हर बार की तरह इस बार भी अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारी है। रोमिला थापर ने निस्संदेह अशोक और युधिष्ठिर की तुलना करते हुये तथ्यों को गलत तरह से पेश किया, परंतु जिस तरह रोमिला का बचाव करने के लिए देवदत्त आगे आए, उन्होंने सिद्ध कर दिया की हिपोक्रेसी में उनका कोई जोड़ीदार नहीं है। इनका काम है बस तथ्यों के साथ खिलवाड़ करना और एक गलत नैरेटिव बनाना।