कांग्रेस अपनी पुरातन और आभिजात्य मानसिकता के कारण दिन प्रतिदिन नीचे ही गिरती जा रही है। कांग्रेस की यह परंपरा रही है कि केवल गांधी परिवार के नेताओं को सर आंखो पर बिठाये और बाकी सभी का बहिष्कार करे। इसे बदले की राजनीति कहे या अप्रासंगिक होने का डर, कांग्रेस की यह परंपरा दशकों से चली आ रही है। अब इसे आज के दौर में भी कांग्रेस नेता बखूबी निभा रहा हैं। मध्य प्रदेश के बाद अब राजस्थान में भी यही देखने को मिल रहा है। शिक्षक दिवस के अवसर पर राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने बदले की राजनीति के तहत आरएसएस की विचारधारा का समर्थन करने वाले शिक्षकों को प्राइम पोस्टिंग से हटाने का फैसला किया है।
आज तक की एक रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में कांग्रेस कमेटी के शिक्षक प्रकोष्ठ के सम्मान समारोह में राजस्थान के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि राजस्थान में सरकार उन सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को न्याय दिलवाएगी जिन्हें बीजेपी सरकार ने दूरदराज भेजकर ट्रांसफर किया था।
शिक्षक दिवस समारोह में शिक्षकों को सम्मानित करते हुए शिक्षा मंत्री ने कांग्रेस विचारधारा को मानने वाले शिक्षकों को अच्छी जगह पर पोस्टिंग देने का भी ऐलान किया। शिक्षक दिवस के मौके पर इस तरह से राजनीति से प्रेरित घोषणा करना कहां तक उचित है? हैरानी की बात तो यह है कि शिक्षा मंत्री के इस ऐलान के बाद शिक्षकों ने जिंदाबाद के नारे भी लगाए। शिक्षा मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने भी उन्हें ऐसे निर्देश दिए हैं कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का ट्रांसफर पोस्टिंग में ख्याल रखा जाए। अगर मंत्री की कहीं बातों में सच्चाई है तो ये कांग्रेस की गंदी राजनीति को दर्शाता है जो अपने स्वार्थ के लिए जानबूझकर देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है।
वास्तव में प्राइम पोस्टिंग पर उन्हीं शिक्षकों को जगह दी जानी चाहिए जो योग्य हैं न कि अपनी पार्टी के समर्थन के आधार पर। इससे देश का भविष्य कहे जाने वाले बच्चों को एक योग्य शिक्षक मिलेगा और वो बेहतर शिक्षा और मार्गदर्शन ग्रहण कर पाएंगे। राजस्थान में सत्ता में आने के बाद से पूर्व की भाजपा सरकार के कई फैसले पलट चुकी कांग्रेस अब स्कूली पाठ्यपुस्तकों में बड़े फेरबदल करने के बाद छात्रों के भविष्य के साथ खेल रही है।
बता दें कि इससे पहले राजस्थान की कांग्रेस सरकार पाठ्यपुस्तकों में अपनी विकृत मानसिकता के तहत बदलाव कर चुकी है। पाठ्यपुस्तक में कांग्रेस ने विनायक दामोदर सावरकर को वीर कहने की बजाय शर्मनाक तरीके से उन्हें दया की भीख मांगने वाला बताया था। इसके अलावा महाराणा प्रताप, पर भी तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर अलग से बदलाव किया गया था। इन फैसलों में जिहाद को भी 12वी की किताब से हटा दिया गया था। जातिवाद और सांप्रदायिकता वाले अध्याय में मुस्लिम संगठनों जैसे जमात-ए-इस्लाम, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल और सिमी (स्टुडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ इंडिया) के नाम लिखा गया था जिसमें हिंदू महासभा के नाम को राजनीतिक संगठनों की सूची में जोड़ा गया था।
Rajasthan Education Min, GS Dotasara: People like Veer Savarkar who didn't have any contribution to independence movement were glorified in books, when our govt came to power, committee was formed that analysed things&now whatever is in books, it's based on solid evidence. pic.twitter.com/aOSuruzx9I
— ANI (@ANI) May 13, 2019
राजस्थान के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के बयान कांग्रेस की संकीर्ण मानसिकता को पहले भी उजागर कर चुकी है। अपने एक बयान में उन्होंने कहा था कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी व डॉ. हेडगेवार का देश की आजादी में या फिर निर्माण में कोई योगदान नहीं है, लिहाजा इनको नहीं पढ़ाया जाएगा।
इस मामले में भूपेश बघेल शासित छत्तीसगढ़ इस मामले में पीछे नहीं रहा है। बघेल ने अपने शिक्षामंत्री प्रेमसाई सिंह टीकम से बिल्कुल साफ शब्दों में कहा था कि, जल्द से जल्द उन पाठ्यपुस्तकों से छुटकारा दिलाया जाए जिसमें हिंदुत्व से जुड़े टॉपिक का उल्लेख है या हिंदूवादी दृष्टिकोण से लिखा गया है। वहीं मध्यप्रदेश में भी भोपाल के एमवीएम साइंस के सिलेबस से वर्ष 2019-20 सत्र के लिए कारगिल युद्ध के अध्याय को हटा दिया गया गया था। 2017-18 तक ये अध्याय कॉलेज के पाठ्यक्रम का एक अभिन्न हिस्सा रह चुका है।
ऐसे में शिक्षकों के तबादले में योग्यता न देख अपनी विचारधारा के तहत बदलाव करना, शिक्षण संस्थानों के सिलेबस में गांधी परिवार को बढ़ावा देने के लिए अन्य को दरकिनार करना, कॉलेज सिलेबस से कारगिल युद्ध की गौरव गाथा को हटाना कांग्रेस की संकीर्ण सोच को ही दर्शाता है। कांग्रेस के अनुसार कोई भी वस्तु, जो नेहरू गांधी वंश की बजाए भारत का गुणगान करे वो असहनीय लगता है, फिर चाहे वो कारगिल युद्ध में भारत की काफी कठिनाइयों के बाद अर्जित विजय ही क्यों न हो। इतिहास के तथ्यों को तोड़ मरोड़कर पेश करने में कांग्रेस महारथी है और राजस्थान की वर्तमान सरकार इसी का अनुसरण कर रही है। मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा उठाया गया ये कदम न केवल निंदनीय, अपितु अशोभनीय भी है।