इन दिनों दुनियाभर में स्वीडन की 16 साल की पर्यावरण ऐक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग छाई हुई हैं। जब उन्होंने यूएन क्लाइमेट चेंज समिट में अपना भाषण दिया तो पूरी दुनिया में मानो तहलका मच गया। अपने मार्मिक भाषण से ग्रेटा ने एक बार फिर विश्व का ध्यान जलवायु परिवर्तन की समस्या की ओर खींचा, हालांकि इस दौरान उन्हें सोशल मीडिया पर खूब लताड़ा गया।
हालांकि मासूम ग्रेटा का एक और पक्ष उजागर हुआ है। दरअसल, क्लाइमेट चेंज की आड़ में कुछ वामपंथी बुद्धिजीवी ग्रेटा का प्रयोग कर अपना प्रोपेगेंड फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर वीडियो ओपिनियन पोर्टल ब्रुट का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें ग्रेटा ने इस बार पीएम मोदी को निशाने पर लिया है।
Greta Thunberg is a 16-year-old climate activist who has inspired thousands of young people worldwide to fight climate change. This is her message to the Indian prime minister. 🌏🔥✊ pic.twitter.com/3FZTztv5Ob
— Brut India (@BrutIndia) February 20, 2019
ग्रेटा ने पीएम नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेते हुये उन्हे विलेन कहा, क्योंकि उन्होंने क्लाइमेट चेंज पर कथित तौर पर कुछ नहीं किया। उन्होंने पीएम मोदी को ‘छोटी छोटी जीत’ पर डींग हाँकने से बचने की सलाह दी है और उन्हें वास्तविक परिवर्तन का प्रमाण देने को कहा है। हम ग्रेटा जी से यह जानना चाहते हैं कि क्या वे पीएम मोदी के पर्यावरण के प्रति योगदान से परिचित भी हैं, या जितना वामपंथियों ने उन्हे रटा दिया है उतना ही पता है? ये वही वामपंथी बुद्धिजीवी हैं जो पीएम मोदी को किसी भी दशा में बदनाम करना चाहते हैं।
ऐसे में ग्रेटा थंबर्ग का पीएम मोदी पर दिया गया बयान ट्विटर पर कई लोगों को पसंद नहीं आया, और उन्हीं में से एक ट्विटर यूजर, जो लोन क्रूसेडर के नाम से ट्विटर सक्रिय हैं उन्होंने ग्रेटा थंबर्ग द्वारा मोदी के अंध विरोध के खिलाफ अपना मोर्चा खोल दिया है। जिसके अंतर्गत उसने एक लंबे ट्विटर थ्रेड का प्रयोग किया है।
Just coz you have mic, you can't utter anything @GretaThunberg!
When you were clicking pouting selfies, Modi distributed 72 million LPG gas connections to save wood and trees
India is now producing 4% of its required power using Solar power, saving Fuel.
Contd. pic.twitter.com/bWzyG506Gr— 𝐒𝐮𝐝𝐡𝐢𝐫 भारतीय 🇮🇳 (@seriousfunnyguy) September 25, 2019
सबसे पहले ट्वीट में उन्होंने ग्रेटा को आड़े हाथों लेते हुये कहा, “आपके पास माइक है, इसका अर्थ यह नहीं है कि आप कुछ भी बोलेंगी। जब आप पाऊट वाली सेल्फ़ी खींच रही थीं, तो पीएम मोदी पेड़ों को बचाने के लिए 7.2 करोड़ एलपीजी कनेक्शन बँटवा रहे थे। आपको पता होना चाहिए कि भारत अपनी कुल ऊर्जा क्षमता की आवश्यकता का 4% सौर ऊर्जा से जेनरेट कर रहा है।‘’
फिर आगे जाकर उन्होंने मोदी सरकार के पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता को गिनाते हुये बताया, “मोदी सरकार ने बिजली की खपत को बचाने के लिए 35 करोड़ एलईडी बल्ब बँटवाए हैं। भारत में सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध लग गया है। हमनें बायोफ्यूल के सहारे अपनी पहली टेस्ट फ्लाइट भी ली है और जल्द ही इस क्षेत्र में अग्रणी भी होंगे। हम मानव बालों और फसल के एग्री स्टबल से बायो फ्यूल बना रहे हैं”।
Modi Govt distributed 350 million LED bulbs reducing electricity consumption.
India has banned single use plastic
We took our first test flight on bio fuel & soon will be No 1 in its usage
We're already producing Bio fuel from Human hair & Agri stubble from previous crop
Contd— 𝐒𝐮𝐝𝐡𝐢𝐫 भारतीय 🇮🇳 (@seriousfunnyguy) September 25, 2019
इसके अलावा उन्होंने ये भी बताया कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर्यावरण के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध हैं और क्यों उन्हेें पश्चिमी देशों की गलतियों के लिए दोषी ठहराना बंद करे। इसी ट्विटर हैंडल के थ्रेड के अनुसार, “नरेंद्र मोदी नदियों की सफाई, नदियों के पुनरुत्थान और ‘नदी जोड़ो परियोजनाओं’ पर काम कर रहे हैं। उद्योग में बॉयलर हेतु फोस्सिल फ्यूल पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है और पर्यावरण के अनुकूल फ्यूल का उपयोग अब अनिवार्य कर दिया गया है।
इसलिए प्रिय ग्रेटा थंबर्ग जी, आप तो कृपया पश्चिमी सभ्यता द्वारा पर्यावरण खराब करने के लिए पीएम मोदी को दोषी न बनाएँ। आप केवल एक 16 वर्ष की मासूम लड़की हैं जिसे जॉर्ज सोरोस जैसे लोगों द्वारा अपने एन्वायरमेंट एमेर्जेंसी प्रोपगैंडा के लिए उपयोग किया जा रहा है। बकवास करने के बजाए भारत और मोदी जी के बारे में थोड़ा पढ़के आइये”।
लोन क्रूसेडर नमक इस ट्विटर हैंडल ने ये भी कहा, “भारत में हर दिन 50000 किलो ग्रीन गैस का सृजन होता है, विशेषकर गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में, जिसके लिए ओर्गेनिक वेस्ट का उपयोग किया जाता है। हम भारतीय प्रारम्भ से ही पर्यावरण के हितों के पक्ष में रहे हैं। हमने केले के पत्तों पर भोजन किया है। जींस का शॉर्ट्स के तौर पर उपयोग भी किया है और उसी शॉर्ट्स का पोंछा भी बनाया है! हम कुछ भी बर्बाद नहीं करते। हाँ भारत ने गलती की थी, पर मोदी के 5.5 वर्ष के शासन में नहीं, 60 के दशक में, जब सदाचार के बदले हमने पश्चिमी सभ्यता की अंधाधुंध नकल करनी शुरू कर दी तो मोदी उन गलतियों को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें कोशिश करने दीजिये”।
निस्संदेह जलवायु परिवर्तन एक गंभीर समस्या है और सभी वैश्विक नेताओं को इस स्थिति की गंभीरता समझनी चाहिए। पर कभी-कभी सबसे महत्वपूर्ण मिशन के पीछे भी एक परिपक्व दृष्टि की कमी होती है, और वो निजी एजेंडा का शिकार हो जाता है, और यही चीज़ ग्रेटा थंबर्ग के केस में भी साफ दिखता है। भारत उन चुनिन्दा देशों में शामिल है जो 2015 के पेरिस समझौते के अंतर्गत अपने नेशनली डिटरमाइंड कमिटमेंट पूरा करने की राह पर है। इतना ही नहीं, पीएम मोदी ने भारत का गैर फोस्सिल फ्यूल टार्गेट 450 जीडबल्यू तक पहुंचाने का संकल्प किया है, जो उसके लक्ष्य के दोगुने से भी ज़्यादा है। इसलिए जब कोई ऐसे प्रशासक या पर्यावरण प्रेमी को निशाने पर लेता है, जो पहले से ही पर्यावरण के लिए जी जान से जुटा हो, तो वो ग्रेटा जैसे पर्यावरण कार्यकर्ताओं के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है, और वे सोशल मीडिया पर हंसी के पात्र के अलावा और कुछ भी नहीं बन पाएँगी।