कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए शशि थरूर आये दिन नए-नए तिकड़म लगा रहे हैं

PC: khabarindiatv

कांग्रेस के नेतृत्व संकट को नियंत्रण में करने के लिए भले ही सोनिया गांधी को अन्तरिम अध्यक्ष बनाया गया हो, पर उनके बाद पार्टी को कौन संभालेगा? ये अभी तक तक तय नहीं हो पाया है। कांग्रेस में अभी ऐसे कई बड़े नेता अध्यक्ष बनने को आतुर हैं, और ऐसे में यदि हम शशि थरूर का उल्लेख करें तो कुछ गलत नहीं होगा।

पिछले कुछ दिनों से शशि थरूर जिस प्रकार के दांव खेल रहे हैं, उससे ये स्पष्ट होता है कि शायद शशि थरूर आजकल कांग्रेस अध्यक्ष बनने का ख्वाब देख रहे हैं। हाल ही में उन्होंने कहा, ‘मैंने जीवनभर के लिए कांग्रेस नहीं जॉइन की है। मैं पार्टी के साथ इसलिए हूँ क्योंकि ये एक समावेशी एवं प्रगतिशील भारत के लिए सबसे उपयुक्त पार्टी है। इन विचारों को हम कुछ सीटों या वोटों के लिए बलि नहीं चढ़ा सकते।‘

अपने बयान से वे पार्टी को ये संकेत देने का प्रयास बयान से वो बताने की कोशिश कर रहे हैं कि कांग्रेस अपने ‘समावेशी भारत के विचारों’ पर आजकल अमल नहीं कर रही है, परंतु वो आज भी उसे फॉलो करते हैं। इसी के साथ उनका संकेत इस ओर भी था कि भविष्य में कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए वो एक बेहतर विकल्प हो सकते हैं।

इसी दिशा में उन्होंने हाल ही में कुछ बयान दिये हैं, जिससे यही लग रहा है कि वे इस पद पर बैठने की इच्छा रखते हैं। नई दिल्ली में हाल ही में आयोजित एक संगोष्ठी में उन्होंने कांग्रेस को हिंदुओं को लुभाने की कोशिश न करने की सलाह दी थी क्योंकि इससे कांग्रेस ‘जीरो’ हो जाएगी। इतना ही नहीं, शशि थरूर कश्मीर के मुद्दे पर हमारे पड़ोसी देश के विषैले प्रोपगैंडा को न केवल खुलेआम लताड़ रहे हैं अपितु पीएम मोदी के नीतियों की तारीफ भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि जैसा कि आप जानते हैं, मैं छह साल से यह दलील देते आ रहा हूं कि मोदी जब भी कुछ अच्छा कहते हैं या सही चीज करते हैं तो उनकी तारीफ करनी चाहिए।“ इस बयान के लिए केरल प्रदेश कांग्रेस कमिटी (केपीसीसी) ने शशि थरूर से स्‍पष्‍टीकरण मांगा था। इसपर केपीसीसी ने कहा था कि वो इस तरह से कांग्रेस की कीमत पर मोदी की तारीफ नहीं कर सकते. हमने उनसे स्पष्टीकरण माँगा है. उनके स्पष्टीकरण के आधार पर ही भविष्य की कार्रवाई का निर्णय लिया जाएगा।“

इसपर शशि थरूर ने कहा था कि मैंने जो कहा था कि “मैं मोदी सरकार का मुखर आलोचक रहा हूं और रचनात्मक आलोचना की उम्मीद करता हूं। समावेशी मूल्यों और संवैधानिक सिद्धांतों में गहती आस्था के कारण मैंने तीन चुनाव जीते हैं। मेरा कांग्रेस के साथियों से अनुरोध है कि मेरे विचारों का सम्मान करें, चाहे उनकी सहमती हो या न हो।“ थरूर हमेशा से ही कई राज्यों के नेताओं के निशाने पर रहे हैं। 2009 से पहले तक तो उन्हें बाहरी नेता कहा जाता था। मार्च 2009 में थरूर ने केरल के तिरुवनंतपुरम में कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ा और जीते भी थे तभी से उन्हें पार्टी के अंदर सम्मान मिला।

उनके कांग्रेस में जीवनभर के लिए नहीं हूं वाले बयान को मीडिया ने इस तरह से पेश करना शुरू कर दिया कि वो कांग्रेस पार्टी छोड़ सकते हैं, ऐसे में कहीं फिर से नोटिस न मिले इसलिए बाद में अपने बयान पर स्पष्टीकरण भी दिया परन्तु पहले ही नुकसान हो चुका था।

बता दें कि शशि थरूर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बनने की इच्छा रखते हैं। मई 2019 में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनावों में हार के बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था। तब पार्टी में युवा नेता की तलाश की जा रही थी, और उस समय भी शशि थरूर को उम्मीद थी कि उन्हें ये पद दिया जायेगा। वास्तव में देखा जाए तो शशि थरूर इसके हकदार भी हैं जिस तरह से उन्होंने मोदी लहर भी केरल में कांग्रेस की पकड़ को बनाये रखा है वो काबिले तारीफ है। 2019 के लोकसभा चुनाव में उनका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। उन्होंने तब कहा भी था कि ‘केरल के चुनाव देश भर की राजनीति के लिए उदाहरण है। पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर इस प्रकार की राजनीति को अपनाने की कोशिश करनी चाहिए। मुझे आशा है कि हम बेहद निराशाजनक परिणाम से उभरकर मजबूती के साथ उभरेंगे।’

परन्तु ऐसा नहीं हुआ। हां, तब ऐसा हो जाता अगर शशि थरूर नेहरु-गांधी वंश से होते । हालांकि, ये पद न मिलने की स्थिति में शशि थरूर ने कांग्रेस का लोकसभा नेता बनने की इच्छा जाहिर की परन्तु, उनकी बजाय अधीर रंजन चौधरी को महत्व दिया गया, जिससे वे जरुर आहत हुए होंगे।

अब अगर उनके वर्तमान बयानों को देखा जाये, तो शशि थरूर काफी समझदारी के साथ कांग्रेस के हाई कमान को ये संकेत दे रहे हैं कि उन्हें पार्टी का अध्यक्ष पद सौंपा जाए और उनकी महत्व को समझा जाए। अब उनके ये दांव कितने सफल होते हैं ये तो आने वाला समय ही बताएगा.

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