हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है, जिसका निष्कर्ष हम लोगों के लिए सकारात्मक नहीं है। इस रिपोर्ट की माने तो वर्ष 2000 से 2018 के बीच कृषि से संबन्धित पशुओं में एंटीबायोटिक्स दवाओं के प्रति प्रतिरोधक (रेसिस्टेंट) क्षमता 50% से ज्यादा पायी गयी है। इसका अर्थ स्पष्ट है कि एंटीबायोटिक दवाओं के अंधाधुंध इस्तेमाल से रोगाणुओं में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती जा रही है। इससे आने वाले समय में ऐसी बीमारियां जन्म लेंगी जिनका उपचार संभव नहीं होगा और लोग बिमारियों के गहरे गढ्ढे में गिरते जायेंगे।
अब यह एंटीबायोटिक क्या है? और इसके अनावश्यक उपयोग से हमें किन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है? इसके लिए पहले हमें एंटीबायोटिक की परिभाषा समझनी होगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मुताबिक, एंटीबायोटिक दवाइयां बैक्टीरिया या जीवाणु से होने वाले संक्रमण को रोकने और इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाइयां हैं।
यूं तो हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune system) छोटी-मोटी बिमारियों से लड़ने में सक्षम है। हमारा इम्यून सिस्टम इतना मजबूत होता है कि वो हमारे शरीर में प्रवेश करने वाले बैक्टीरिया या जीवाणु को पहचान लेता है और फिर उन्हें नष्ट कर देता है। परन्तु कभी-कभी हमारा शरीर कमजोर पड़ जाता है और हमें बाहर से रोगों से लड़ने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं लेनी पड़ती हैं। यही एंटीबायोटिक हमारे शरीर में मौजूद बैक्टीरिया, वायरस जैसे रोगाणुओं से लड़ने में हमारी सहायता करते हैं।
परंतु आज कल के व्यस्त जीवन में लोगों के पास इतना समय भी नहीं होता कि वे डॉक्टर से परामर्श कर दवाई लें। इसी कारण आवश्यकता हो या नहीं, परंतु लोग छोटी से छोटी समस्या के लिए भी एंटीबायोटिक दवाइयों का सेवन करने लगे हैं, और ये एक चिंताजनक विषय है। हम सिर दर्द हो या पेटदर्द, खांसी हो या जुकाम, छोटी से छोटी बीमारी में भी बिना डॉक्टर से परामर्श किए एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करते हैं।
ये कुछ समय के लिए भले ही राहत देता हो, परंतु आने वाले समय में इससे गंभीर बीमारियां जन्म ले सकती हैं और एंटीबायोटिक प्रतिरोधक जीवों को जन्म दे सकता है।
उदाहरण के तौर पर नारायणा सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सतीश कौल का यह बयान देखिये, जहां इनहोने कहा है, “आवश्यकता से अधिक एंटीबायोटिक का सेवन आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इससे आपको डायरिया जैसी पेट की बीमारियां हो सकती हैं। गलत एंटीबायोटिक लेना भी एक समस्या बन सकता है, विशेषकर अगर आपको उस दवाई से एलर्जी है तो”।
उन्होने आगे बताया, “किसी भी एंटीबायोटिक का गलत या जरूरत से अधिक इस्तेमाल कई परेशानियां खड़ी कर सकता है, जैसे कि इंफेक्शन जल्दी ठीक न हो पाना आदि। इससे एंटीबायोटिक रेसिस्टेंट ऑर्गेनिस्म भी विकसित हो सकते हैं। अगर आप बिना डॉक्टर की सलाह के कोई एंटीबायोटिक लगातार लेते रहेंगे तो यह खतरा बहुत बढ़ सकता है।”
डॉ॰ सतीश कौल का बयान सच्चाई से ज़्यादा विमुख भी नहीं है। स्वयं डबल्यूएचओ ने इस मामले का संज्ञान लेते हुये कहा था, “बिना जरूरत के एंटीबायोटिक दवाई लेने से एंटीबायोटिक प्रतिरोध में वृद्धि होती है, जो कि वैश्विक स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है। लंबे समय तक एंटीबायोटिक प्रतिरोध संक्रमण से मरीज को अस्पताल में भर्ती रहना पड़ सकता है। साथ ही इलाज के लिए अधिक राशि और बीमारी गंभीर होने पर मरीज की मौत भी हो सकती है।”
इसके साथ ही साथ डबल्यूएचओ के अनुसार एंटीबायोटिक प्रतिरोध संक्रमण किसी भी देश में किसी भी आयुवर्ग के लोगों को प्रभावित कर सकता है। जब बैक्टीरिया एंटीबायोटिक का प्रतिरोध करने लगता है तो मामूली संक्रमण का भी इलाज नहीं किया जा सकता। इस बात की पुष्टि द हिन्दू द्वारा प्रकाशित एक लेख में भी किया गया है, इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कई हैजा [Cholera] संबन्धित रोगाणुओं की जांच के समय यह पाया गया कि कैसे हैजा का मुख्य कारण माने जाने वाला बैक्टीरिया Vibrio Cholerae ने एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लिया था।
द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार हैजा पैदा करने वाले जीवाणु (विब्रियो कोलेरा) के443 क्लिनिकल आइसोलेट्स पर अध्ययन किया गया था। इस अध्ययन ने पाया गया था कि कोलकाता और दिल्ली में नियमित रूप से इस्तेमाल की जाने वाली एंटीबायोटिक दवाओं के खिलाफ बैक्टीरिया ने बड़े पैमाने पर प्रतिरोध विकसित कर लिया है। इस शोध को भवतोष दास के नेतृत्व में ट्रांसलेटेड हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (THSTP) में सेंटर फॉर ह्यूमन माइक्रोबियल इकोलॉजी की एक टीम ने किया था। इस शोध के परिणामों को प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल अकैडमी ऑफ साइन्सेस में प्रकाशित किया गया। इस शोध के परिणाम जर्नल ऑफ द प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (PNAS) में प्रकाशित हुआ था।
ऐसे में हमारे लिए अब ये आवश्यक हो गया है कि हम किसी भी समस्या के लिए एंटीबायोटिक बिना सोचे समझे न उपयोग करें, और डॉक्टर से परामर्श करने के बाद ही उसका प्रयोग करें। अगर हमने समय रहते अपने जीवनशैली में बदलाव नहीं किया, तो वह दिन दूर नहीं जब हमें ऐसी बीमारियों से जूझना पड़ेगा जिसपर एंटीबायोटिक दवाओं का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। अब सभी को आयुर्वेदिक दवाओं और होम रेमेडीज का इस्तेमाल छोटी-मोटी बिमारियों को ठीक करने के लिए करें क्योंकि आयुर्वेद चिकित्सा केवल बीमारियों को ही ठीक नहीं करती, बल्कि यह मनुष्य को जीवन जीने की कला भी सिखाती है। यह रोग के कारण को समझकर उस बीमारी को जड़ से खत्म करने में भी सक्षम है