अब्दुल्ला और मुफ्ती अगले 365 दिनों के लिए अनुच्छेद 370 पर एक शब्द नहीं बोलेंगे

अनुच्छेद 370

(PC: The Financial Express)

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से मोदी सरकार घाटी की सुरक्षा को लेकर काफी सतर्क रही है। इस दौरान इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है कि राज्य में अलगाववादी नेता और पाक समर्थक तत्व किसी भी तरह का विरोध करने या आम जनता को उकसाने के प्रयास न कर सकें। घाटी में सुरक्षा के तहत ही कुछ नेताओं को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद हिरासत में लिया गया था लेकिन अब उन्हें धीरे-धीरे छोड़ा भी जा रहा है परन्तु इन्हें छोड़ने से पहले सरकार एक बॉन्ड पर हस्ताक्षर करवा रही है।

दरअसल, मोदी सरकार अभी भी घाटी में किसी भी तरह की कोई लापरवाही नहीं बरतना चाहती है। इसी के मद्देनजर मोदी सरकार हिरासत में लिए गये नेताओं को छोड़ने से पहले उनसे एक बॉन्ड पर दस्तखत करवा रही है जिसके तहत रिहाई के बाद एक साल तक उन्हें अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के खिलाफ मुंह नहीं खोलना है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ‘नेताओं से सरकार इस बॉन्ड पर लिखवा रही है कि ‘हस्ताक्षरकर्ता, वर्तमान समय में जम्मू कश्मीर राज्य में हाल की घटनाओं से संबंधित न तो कहीं कोई टिप्पणी करेगा, न ही सार्वजनिक सभा (सभाओं) में कोई बयान देगा या न ही सार्वजनिक भाषण देगा और न ही सार्वजनिक सभा करेगा क्योंकि इसमें राज्य और किसी भी हिस्से में एक साल की अवधि के लिए शांति और कानून-व्यवस्था को खतरे में डालने की क्षमता है।‘

ये बॉन्ड कोई स्टैण्डर्ड डॉक्यूमेंट नहीं है बल्कि स्टैण्डर्ड डॉक्यूमेंट का एक संशोधित संस्करण है जोकि दंड दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) 1973 की धारा 107 के तहत हस्ताक्षर करवाए जा रहे हैं। अपराध दंड विधान संहिता (सीआरपीसी) की धारा 107 के मुताबिक जिलाधिकारी के पास इसका संवैधानिक अधिकार है कि वो जिले में शांति-व्यवस्था कायम रखने के लिए किसी भी व्यक्ति से, जिससे उपद्रव होने की आशंका हो, इस तरह के बॉन्ड भरवा सकता है। इसके अलावा इस बॉन्ड में ये भी कहा गया है कि

हस्ताक्षरी को ज़मानत के रूप में 10,000 रुपये जमा करने होंगे और बांड के किसी भी उल्लंघन के लिए 40,000 रुपये ज़मानत के रूप में चुकाने होंगे। यही नहीं इस बॉन्ड का उल्लंघन करने पर फिर से हस्ताक्षरी को नजरबंद किया जा सकता है।

गौरतलब है कि फारूक अब्दुल्ला की बहन सुरैया अब्दुल्ला और बेटी साफिया अब्दुल्ला सहित 11 महिलाओं को अदालत ने राज्य में शांति भंग न करने के लिए बॉन्ड पर हस्ताक्षर किए हैं। इन सभी को दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) धारा 107 के तहत हिरासत में लिया गया था, रिहाई के लिए इन सभी ने 10-10 हजार रुपये के निजी मुचलके और 40 हजार रुपये का जमानती बांड भरे हैं।

लेफ्ट लिबरल गैंग को जैसे ही नेताओं की रिहाई के लिए भरे जा रहे बॉन्ड के बारे में पता चला सभी ने केंद्र सरकार को घेरना शुरू कर दिया। हालाँकि, यहां एक बात तो स्पष्ट है कि राज्य में सुरक्षा की दृष्टि से जो कदम केंद्र सरकार ने उठाया है, वो सराहनीय है क्योंकि घाटी की शांति से सबसे ऊपर है। ऐसे में पाक-परस्त लोगों को यह कदम कहां रास आएगा, क्योंकि अब वो घाटी में नफरत फैलाने और सांप्रदायिक एजेंडा नहीं चला सकेंगे। इसके साथ ही अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती जैसे नेता भी रिहा होने के बाद इस मुद्दे पर एक शब्द नहीं बोलने वाले हैं क्योंकि वो फिर से नजरबंद तो नहीं होना चाहेंगे।

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