अरुणाचल प्रदेश व चीन की सीमा से सटे 10 गावों के ग्रामीणों ने मिसाल पेश की है। दरअसल, गांव के लोगों ने दूरस्थ गावों में फास्ट ट्रैक कनेक्टिविटी वाले सड़क निर्माण के लिए अपनी भूमि बिना मुआवजे के देने का फैसला किया है। सीमावर्ती गाँव- गेटे, पगिंग, लिकर, पेलिंग, सिंगिंग, एंगिंग, जिदो, नेमिंग, मयुंग और बिशिंग- प्रस्तावित 150 किमी लंबे यिंगकिओंग-बिशिंग दो-लेन राजमार्ग के तहत आते हैं जो सीमावर्ती रिमोट एरिया को शहरों से कनेक्ट करेंगे।
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बिशिंग गाँव, मैकमोहन लाइन के सबसे नज़दीकी अंतिम भारतीय गाँव है, जो चीन के तिब्बत क्षेत्र और अरुणाचल प्रदेश के बीच की सीमा के पास बसा है, इस गांव में लगभग 100 परिवार निवास करते हैं, जिनमें ज्यादातर मेम्बा जनजाति के लोग हैं। इन गांवों के प्रतिनिधियों ने शनिवार को ऊपरी सियांग जिले के मुख्यालय यिंगकियोंग में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू से मुलाकात की और उन्हें अपने फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि हमें कोई मुआवजा नहीं चाहिए बस वहां सड़क का निर्माण हो।
अरुणाचल प्रदेश सरकार की एक विज्ञप्ति के अनुसार, ‘यिंगकिओंग से बिशिंग तक 2-लेन हाइवे कमेटी’ के बैनर तले ग्रामीणों ने सड़क निर्माण के तहत आने वाली भूमि के मुआवजे की मांग नहीं करने के लिए हाल ही में एक सार्वजनिक बैठक आयोजित की और बैठक में सभी ने फैसला लिया ताकि सड़क निर्माण कार्य जल्द हो और दूरस्थ क्षेत्र भी शहरों से जुड़ सकें। समिति के दो प्रतिनिधियों, बानी डांगजेन और टाकिन टेक्सेंग ने अरुणाचल प्रदेश के सीएम खांडू को एक ज्ञापन सौंपकर ग्रामीणों द्वारा अपनाए गए संकल्प की जानकारी दी।
मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों के “विकास-समर्थक रवैये” की सराहना करते हुए कहा कि ग्रामीणों द्वारा लिया गया इस तरह का राष्ट्रहित का फैसला बाकि के राज्यों के लिए मिसाल है। सीएम खांडू ने कहा, “इस तरह के सकारात्मक रवैये की जरूरत है, खासतौर पर तब जब राज्य में सार्वजनिक महत्व की कई विकास परियोजनाएं जमीन के मुआवजे के मामले में फंस गई हैं।”
उन्होंने प्रतिनिधियों को सूचित किया कि ग्रामीणों द्वारा दिखाए गए सहयोग के कारण, प्रस्तावित सड़क निर्माण परियोजना को केंद्रीय मंत्रालय को भेजा जाएगा और राज्य सरकार भी इसे प्राथमिकता देगी ताकि जल्द से जल्द उन 10 सीमावर्ती गांवों में सड़क निर्माण हो सके।
सीएम खांडू ने कहा कि परियोजना पर सर्वेक्षण का काम पहले ही पूरा हो चुका है। राज्य व केंद्र सरकार जल्द से जल्द इस पर काम शुरू कर देंगे। पिछले साल चीनी सैनिक बिशिंग गांव के पास सड़क बनाने की कोशिश कर रहे थे। इसके बाद भारतीय सैनिकों ने उन्हें रोकते हुए उनके उपकरण जब्त कर लिए थे। इनमें दो एक्सकेवेटर (खोदने वाली मशीनें) भी शामिल थे।
ऐसे में ग्रामीणों का यह विकास समर्थक रवैया चीन के लिए किसी तमाचे से कम नहीं है। जिस गांव के पास चीन घुसपैठ करने की कोशिश कर रही थी वहां के ग्रामीणों ने दिखा दिया कि वे राष्ट्र के लिए अपनी जमीन भी सौंप सकते हैं। केंद्र व राज्य सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द सड़क निर्माण करके गांव वालों को शहरों से जोड़े इसके साथ ही उन्हें जरूर कुछ मुआवजा दे भले ही उन्होंने मना किया हो। अरूणाचल प्रदेश के ये 10 गांव अन्य राज्यों के लोगों के लिए भी मिसाल हैं जो विकास के लिए सरकार को जमीन देने में हाय तौबा मचाते हैं।