कभी जजों का अपमान तो कभी नक्शा-फाड़ ड्रामा, राजीव धवन पर पागलों का भूत सवार?

राजीव धवन

(PC: newsstate.com)

कई वर्षों से चले आ रहे अयोध्या भूमि विवाद की सुनवाई अब पूरी हो चुकी है। सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने सभी पक्षकारों ने अपनी-अपनी दलीलें रखीं। सुप्रीम कोर्ट में इस दौरान कुछ ऐसा हुआ कि कल का दिन चर्चा में रहा। दरअसल, मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने हिंदू महासभा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए रामजन्मभूमि के नक्शे को फाड़ दिया। यह नक्शा रामजन्म स्थान को लेकर तैयार किया गया था। इसे लंदन के एक म्यूजियम में रखा गया था। इस नक्शे में दिखाया गया है कि विवादित स्थान पर कैसे तीन गुंबदों के बीच में भगवान राम का जन्म स्थान है।

हिंदू महासभा का प्रतिनिधित्व करने वाले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने जब कोर्ट में भगवान राम के जन्मस्थान से संबंधित नक्शा दिखाया तो मुस्लिम पक्षकार राजीव धवन भड़क गए और नक्शा फाड़ दिया।

बता दें कि जब रंजन गोगोई के सामने यह नक्शा पेश किया गया तो राजीव धवन ने कहा कि यह नक्शा फाड़ दूंगा, इस पर सीजेआई रंजन गोगोई ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि फाड़ दीजिए नक्शा और फिर क्या था धवन ने फाड़ दिया। धवन के नक्शा फाड़ने पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई नाराज हो गए। उन्होंने धवन पर नाराजगी जताई और कहा कि कोर्ट रूम में इस तरह की रोकटोक होगी तो सुनना मुश्किल होगा।

बार-बार न्यायाधिशों का अपमान

राजीव धवन अक्सर कोर्ट में अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं। वर्ष 2017 में दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच हुए विवाद में मुख्य न्यायाधीश के साथ तीखी नोंकझोक हो गयी थी जिसे ‘अपमानजनक समापन’ करार देते हुए 74 वर्षीय धवन ने 11 दिसंबर को अदालत में वकालत नहीं करने का फैसला किया था।

ऐसे ही कई रिपोर्ट हैं जिनमें धवन ने सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न न्यायाधीशों का अपमान किया है। वर्ष 2013 में, जब 2-जी घोटाला मामले की सुनवाई चल रही थी, तब धवन ने न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी की सुनवाई से इनकार करने और मामले से पीछे हटने के लिए भड़क गए थे। वर्ष 2014 में भी न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और जेएस खेहर की खंडपीठ के साथ एक कहा-सुनी का मामला सामने आया था जिसके परिणामस्वरूप उनके आचरण के खिलाफ कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की थी।

इसके अलावा राजीव धवन का भारत के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर के साथ दो बार यानि वर्ष 2014 और 2016 में विवाद की रिपोर्ट भी आई थी। मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने यहां तक यह कह दिया था कि कुछ वकील अदालत में अभद्र हैं। अपने अभद्र व्यवहार के लिए चर्चित वकील राजीव धवन का इस तरह से कोर्ट का समय नष्ट करने की कोशिश ही मानी जाएगी जो राम मंदिर पर हर दिन सुनवाई कर रहा है।

रोहिंग्या शरणार्थियों के मसीहा

भारत आए 40,000 से अधिक शरणार्थियों को वापस भेजने के केन्द्र सरकार के फैसले के खिलाफ प्रशांत भूषण के साथ राजीव धवन भी सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ रहे हैं। इनका कहना है कि आखिर किस आधार पर रोहिंग्या को भारत से भेजा जा रहा है। यहां यह जानना जरूरी है कि भारत के कई राज्यों में रोहिंग्या शरणार्थी कुछ ऐसे आपराधिक काम किए हैं जिनसे उनका यहां रूकना भारत के लिए खतरा है। इसके साथ ही देश के संसाधनों पर सर्वप्रथम देश के नागरिकों का अधिकार होना चाहिए न कि किसी दूसरे देश के नागरिकों का, भारत की स्थिति ऐसी नहीं है कि वह दूसरे देश के नागरिकों को भी ढोए जो आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त हों। क्या भारत के पास बस यही काम बचा है कि पहले उनको शरण दे और बाद में उन पर नजर रखे कि वो कहीं राष्ट्र विरोधी कार्यों में लिप्त तो नहीं हो रहे हैं।

ऐसे में राजीव धवन एक ऐसे वरिष्ठ वकील हैं जो अपने से भी वरिष्ठ जजों का सम्मान नहीं करते इसके साथ ही वे कोर्ट की भी अवमानना करते हैं और हर बार उन्हें इसी वजह से जजों से डांट सुननी पड़ती है। धवन ऐसे मामले सुप्रीम कोर्ट में लेकर जाते हैं जो वास्तव में राष्ट्रहित में नहीं होता है। राजीव धवन अब जान गए हैं कि अयोध्या भूमि विवाद का केस अब उनके हाथ से जा रहा है ऐसे में रामजन्मस्थान का नक्शा फाड़कर अपनी भड़ास निकालने की कोशिश कर रहे हैं।

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