पाकिस्तान में चीन अपने BRI के प्रोजेक्ट चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरीडोर पर काम कर रहा है और अब तक इस प्रोजेक्ट पर अपने करोड़ो रुपये बहा चुका है। हालांकि, बलूचिस्तान प्रांत के लोग चीन के इस प्रोजेक्ट से बिल्कुल भी खुश नहीं हैं, और पाकिस्तान से आज़ादी की मांग रहे बलूचिस्तान के लोगों द्वारा लगातार इस प्रोजेक्ट पर हमले किये जा रहे हैं। चीन के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट CPEC प्रोजेक्ट्स पर लगातार हो रहे हमलों से चीन और पाकिस्तान के रिश्तों में खटास बढ़ती जा रही है और नाराज़ चीन कई बार इन प्रोजेक्ट्स की फंडिंग भी रोक चुका है। यही कारण है कि अब पाकिस्तानी सेना ने अपनी सेना के एक नए डिवीजन के हेडक्वार्टर को ग्वादर में स्थापित करने का निश्चय किया है। पाकिस्तान सेना के अत्याचारों का सामना कर रहे बलूचिस्तान के लोगों का पाकिस्तानी सैनिकों पर हमला करने का बड़ा पुराना इतिहास रहा है। ऐसे में अब आर्मी द्वारा पाकिस्तान के इस हिस्से में आर्मी हेडक्वार्टर खोलना पाकिस्तान की एक बहुत बड़ी गलती साबित हो सकती है।
दरअसल, बलूचिस्तान में चल रहे चीन के BRI प्रोजेक्ट से बलूचिस्तान के लोग बिल्कुल भी खुश नहीं हैं, इसके साथ ही लोग पाकिस्तानी सेना को भी पसंद नहीं करते हैं। बलूच के लोगों का मानना है कि चीन उनके प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल करता है जिससे वो आने वाले समय में वो प्राकृतिक संसाधनों और खनिजों की प्रचुरता वाली अपनी जमीन खो देंगे और ऐसा जारी रहा तो वो दिन भी दूर नहीं होगा जब बाहरी लोगों के कारण उनकी अपनी पहचान कहीं दब जाएगी। ये परियोजना बलूच समुदाय की तबाही का कारण बन सकता है। बलूच के लोगों का ये भी कहना है कि उन्हें लगा था कि चीन के इतने बड़े निवेश के बाद उन्हें रोजगार मिलेगा लेकिन इसका फायदा भी चीन के लोगों को ही मिल रहा है। यही नहीं गलियारे के लिए जमीनों के अधिग्रहण और मुआवजे को लेकर भी वहां की जनता में नाराजगी है। यही वजह है कि वहां पाकिस्तान और चीन दोनों के खिलाफ आवाज उठती रही है।
बलूचिस्तान के लोग समय-समय पर पाक सेना पर हमले करते रहते हैं। इसी वर्ष मई में ग्वादर में लक्जरी पर्ल कॉन्टीनेंटल होटल पर हुआ हमला भी इसी उद्देश्य से किया गया था। इस हमले में एक पाकिस्तानी सैनिक और कुछ चीनी नागरिक मारे गये थे। इस हमले की जिम्मेदारी अलगाववादी संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने ली थी और कहा था कि ‘ये हमला चीन और विदेशी निवेशकों को निशाना बनाने के लिए हमला किया गया था’। बीएलए कई मौकों पर कह चुका है कि “बलोच जमीन पर चीनी सेना के विस्तारवादी प्रयासों को बर्दाश्त नहीं करेगा”।
वर्ष 2017 में ग्वादर पोर्ट के पास काम कर रहे 10 पाकिस्तानी नागरिकों की कुछ लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। ग्वादर पोर्ट CPEC का एक अहम हिस्सा है। इसके अलावा पिछले वर्ष एक चीनी नागरिक की हत्या भी पाकिस्तान में कर दी गई थी, जिसके बाद चीन ने पाकिस्तान से कहा था कि वह उसके नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और कदम उठाए। वहीं बलूचिस्तान के लोग पाक सेना पर भी हमला करने पर मजबूर होते हैं। इसी वर्ष अप्रैल में पाकिस्तानी सैनिकों से भरी एक बस पर कुछ हमलावरों ने हमला कर दिया था जिसमें लगभग 11 पाक सेना के जवानों की मौत हो गई थी।
CPEC की सुरक्षा के लिए पाकिस्तानी सेना ने वर्ष 2016 में स्पेशल सिक्योरिटी डिवीज़न का भी निर्माण किया था। तब पाकिस्तानी सेना के चीफ राहील शरीफ ने कहा था कि वे किसी भी कीमत पर CPEC की सुरक्षा करेंगे। हालांकि, इसके बाद भी CPEC पर हमले होने बंद नहीं हुए, और अब पाकिस्तानी सेना को ग्वादर में अपना हेडक्वार्टर डिवीज़न खोलना पड़ रहा है। हालांकि, पाकिस्तानी सेना की यह सबसे बड़ी गलती साबित हो सकती है। बलूचिस्तान के लोगों का मानना है कि पाकिस्तान ने उनके देश बलूचिस्तान पर कब्जा किया हुआ है और इसलिए पाक सेना और सरकार को वहां अपने फैसलों को थोपने का कोई अधिकार नहीं है। समय-समय पर लोग पाकिस्तानी सेना और सरकार के खिलाफ आंदोलन करते रहते हैं और यहाँ तक कि लोग पाक सेना पर हमले भी करते हैं।
अब चूंकि पाक सेना अपने हेडक्वार्टर को ग्वादर में स्थापित करने जा रही है, तो अब बलूचिस्तान की आज़ादी मांग रहे लोगों द्वारा पाक सेना पर हमले बढ़ सकते हैं और बड़ी संख्या में पाक जवानों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ सकता है। हालांकि, पाक सेना का यह फैसला कितना सही साबित होता है और पाक सेना के फैसले से CPEC की सुरक्षा कितनी बढ़ती है, इसका तो आने वाले दिनों में ही पता चल पाएगा।