कांग्रेस द्वारा 87 वर्षीय मनमोहन को स्टार प्रचारक बनाना अपराध से कम नहीं, उन्हें आराम करने देना चाहिए

कांग्रेस मनमोहन सिंह

(PC: PTI)

वर्ष 2014 से पहले कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी पार्टी को चुनाव जीताने में अपनी अहम भूमिका निभा रही थीं और पार्टी को चुनावों में जीत भी मिल रही थी। लेकिन वर्ष 2014 के बाद से सब बदल गया। 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद अमित शाह के नेतृत्व में भाजपा ने एक के बाद एक राज्य में चुनाव जीता और कांग्रेस का सूपड़ा साफ होता गया। इसी बीच राहुल गांधी को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया। ऐसा पार्टी के सभी नौजवान, टैलेंटेड नेताओं को दरकिनार करते हुए किया गया था। नतीजे में कांग्रेस के और ज़्यादा बुरे दिन आ गए, और कुछ राज्यों को छोड़ दिया जाए, तो कांग्रेस अब पूरे देश से ही गायब होने की कगार पर है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद राहुल गांधी ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा तो दे दिया लेकिन दोबारा सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने से पार्टी दोबारा वहीं आ खड़ी हुई जहां से 5 वर्ष पहले उसके पतन की शुरुआत हुई थी।

कांग्रेस के ‘गांधी प्रेम’ का ही यह नतीजा है कि आज पार्टी को नए, नौजवान नेताओं की भारी कमी महसूस हो रही है। इसी का उदाहरण हमें तब देखने को मिला जब राजस्थान में होने वाले उपचुनावों के लिए कांग्रेस पार्टी ने अपने स्टार प्रचारकों की सूची जारी की। स्टार प्रचारकों की सूची में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के 87 वर्षीय वरिष्ठ नेता मनमोहन सिंह का नाम था। राजस्थान के उपचुनावों की ज़िम्मेदारी एक 87 वर्षीय नेता के कंधों पर डालकर कांग्रेस ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी सूरत में प्रियंका और राहुल पर आंच नहीं आने देना चाहती है।

वर्ष 2014 से पहले सोनिया गांधी बेशक एक सफल नेता रही थीं लेकिन अब अपने नए कार्यकाल में वे एक कुंठित अध्यक्षा दिखाई दे रही हैं। इसी महीने में महाराष्ट्र और हरियाणा में भी चुनाव होने वाले हैं, लेकिन राजस्थान में होने वाले उपचुनाव कांग्रेस पार्टी के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं क्योंकि अभी राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और अगर पार्टी इस राज्य में होने वाले उपचुनावों में सीटों को गँवाती है तो इसका देशभर में एक नकारात्मक संदेश जाएगा कि लोग पार्टी की सरकार के प्रदर्शन से खुश नहीं हैं।

यह सभी जानते हैं कि मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाना सिर्फ एक दुर्घटना थी और इसके लिए पहले से कोई योजना नहीं थी। इसके अलावा उन्हें कभी आज़ादी से काम भी नहीं करने दिया गया और उनके कार्यकाल के दौरान रिमोट कंट्रोल सरकार चलती रही। अब उनको 87 वर्ष की उम्र में पार्टी के स्टार प्रचारक के तौर पर नियुक्त करना ना सिर्फ निंदनीय है बल्कि यह पूर्व प्रधानमंत्री का अपमान भी है।

हैरानी की बात तो यह है कि मनमोहन सिंह को तो कांग्रेस द्वारा स्टार प्रचारक बना दिया गया लेकिन अहमद पटेल, ग़ुलाम नबी आज़ाद या सोनिया गांधी जैसे अन्य किसी नेता को इस लिस्ट में कोई जगह नहीं दी गई है। इतना ही नहीं, मनमोहन सिंह को हरियाणा में होने वाले चुनावों के लिए भी स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल किया गया है।

ये बात कांग्रेस भली-भांति जानती है कि मनमोहन सिंह के बूते पार्टी को राजस्थान के उपचुनावों में जीत नहीं मिल सकती है। हालांकि, उनको फिर भी जबरदस्ती पार्टी के प्रचारकों की लिस्ट में डालकर पार्टी अपने वरिष्ठ नेताओं की साख को बचाना चाहती है। अगर कल को कांग्रेस पार्टी चुनाव में हार जाती है तो उसका जिम्मेदार सिर्फ मनमोहन सिंह होंगे और यही कांग्रेस पार्टी चाहती है, जो कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

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