पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली का बीसीसीआई अध्यक्ष बनना लगभग तय है। ऐसा इसलिए क्योंकि 23 अक्टूबर बीसीसीआई की वार्षिक जनरल मीटिंग में चुनाव होने की संभावना लगभग न के बराबर है। जिस व्यक्ति ने भारतीय क्रिकेट को गर्त से बाहर निकाला था, अब प्रशासक के तौर पर भी दर्शक उनसे भारतीय क्रिकेट के कायाकल्प की आशा रखेंगे। सूत्रों की माने तो 14 अक्टूबर बीसीसीआई के पाँच मुख्य पदों के लिए नामांकन भरने की अंतिम तारीख है, और 23 अक्टूबर को चुनाव होने थे, जिसमें अध्यक्ष पद के लिए सौरव गांगुली एकमात्र उम्मीदवार लग रहे हैं।
हाल ही में हुये इस बदलाव से पहले ये लड़ाई तीन तरफा लग रही थी, जिसमें सौरव गांगुली के अलावा कर्नाटक से पूर्व क्रिकेटर एवं प्रशासक बृजेश पटेल और गुजरात क्रिकेट असोसिएशन के अध्यक्ष एवं वर्तमान गृहमंत्री अमित शाह के पुत्र जय शाह अपनी दावेदारी पेश करते दिखाई दिये थे। गांगुली पिछले 48 घंटों से भी ज़्यादा नई दिल्ली में मौजूद थे। एक ओर पूर्व एन श्रीनिवासन गृह मंत्री अमित शाह से बृजेश पटेल की दावेदारी की बात करने गए थे, तो उसी दिन गांगुली भी अपनी दावेदारी हेतु अमित शाह से मिले थे। उन्हे पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर का समर्थन प्राप्त था।
इसके साथ ही साथ सभी बोर्ड के सदस्यों ने एकजुट होकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुने गए कमेटी ऑफ एड्मिनिस्ट्रेटर्स [सीओए] के विरुद्ध अपनी आवाज़ उठाई और भारतीय क्रिकेट प्रशासन में अपनी वापसी का नारा बुलंद किया। आखिरकार इस बात पर सहमति जताई गयी कि सौरव गांगुली बीसीसीआई के अगले अध्यक्ष होंगे, जबकि बृजेश पटेल आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष होंगे। हिमाचल प्रदेश से अरुण सिंह ठाकुर कोषाध्यक्ष होंगे। जबकि जय शाह सेक्रेटरी का पद संभालेंगे। असम क्रिकेट संघ से देवजीत सैकिया बोर्ड के जोईंट सेक्रेटरी बन सकते हैं। इस नए बदलाव से अब भारतीय क्रिकेट के क्षेत्र में हलचल तेज हो गयी है –
After much drama @SGanguly99 is all set to take over as the new @BCCI President. Was quite a cliffhanger.
— Boria Majumdar (@BoriaMajumdar) October 13, 2019
हालांकि, बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष होने के नाते गांगुली अध्यक्ष पर केवल 10 महीने के लिए ही रह सकते, पर इनका अध्यक्ष पद पर बने रहना भी अपने आप में किसी क्रांतिकारी बदलाव से कम नहीं है, क्योंकि ऐसा कम ही होता है कि दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट बोर्ड की कमान एक क्रिकेटर संभाले।
अब ये आशा जताई जा रही है कि गांगुली, बृजेश और जय की तिकड़ी बीसीसीआई को प्रशासकों की समिति (सीओए) द्वारा दिये गए कुशासन के कलंक को धोने में सफलता प्राप्त कर सकेगी। पारंपरिक तौर पर भारत में क्रिकेट की कमान राजनेताओं और नौकरशाहों ने ही संभाली है, जिन्हें इस खेल का विशेष अनुभव भी नहीं होता। सौरव गांगुली ने बतौर सीएबी अध्यक्ष अपनी कार्यकुशलता भी सिद्ध की है। चूंकि क्रिकेट सीओए के प्रशासन में काफी धक्के खा चुकी है, इसलिए सौरव गांगुली को अध्यक्ष बनाना किसी सपने के सच होने से कम तो बिलकुल नहीं होगा। सौरव योग्य भी हैं, लोकप्रिय भी, एक राष्ट्रीय आइकॉन भी हैं, और ऐसे व्यक्ति का बीसीसीआई अध्यक्ष बनना भारतीय क्रिकेट के लिए किसी कायाकल्प से कम नहीं है। अब समय आ चुका है कि बीसीसीआई को राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों के प्रभुत्व से मुक्त किया जाये, और सौरव गांगुली इस अभियान के लिए बिलकुल राइट चॉइस हैं।