भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक सौरव गांगुली बुधवार को सालाना आम बैठक में बीसीसीआई के 39वें अध्यक्ष बन गए हैं। जिससे सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति का 33 महीने से चला आ रहा शासन खत्म हो गया है। अब भारतीय क्रिकेट का शासन अपने हाथ में लेते ही दादा ने अपनी दादागिरी शुरू कर दी है।
उन्होंने स्पष्ट कहा है कि प्रदर्शन सबसे अहम चीज है और हम इसी को आधार बनाकर भारतीय क्रिकेट के भविष्य पर फैसला करेंगे। सौरव गांगुली ने अपने पुराने आक्रामक अंदाज में यह इशारा कर दिया है कि अब टीम के चयन में ‘प्रदर्शन’ सबसे महत्वपूर्ण होगा। इससे टीम में होने वाले “पक्षपात” से भी छुटकारा मिलेगा जिसकी हमेशा से ही बोलबाला रही है।
बीसीसीआई अध्यक्ष पदभार संभालने के बाद गांगुली ने कहा कि वह गुरुवार को भारतीय कप्तान विराट कोहली से बात करेंगे और आगे के बारे में चर्चा करेंगे।
गांगुली ने कहा, ‘मैं कल उनसे बात करूंगा। वह भारतीय टीम के कप्तान हैं और भारतीय क्रिकेट में सबसे अहम व्यक्ति हैं। मैं इसे इसी तरीके से देखता हूं। गांगुली ने कहा कि वह टीम प्रबंधन के साथ भी बातचीत करेंगे, जिसमें मुख्य कोच रवि शास्त्री शामिल हैं। बीसीसीआई अध्यक्ष ने स्पष्ट कहा, ‘यह पूर्ण चर्चा होगी और हर चीज के बारे में परस्पर चर्चा होगी, लेकिन आश्वस्त रहिए, हम यहां चीजें आसान करने के लिए हैं, मुश्किल करने के लिए नहीं। हर फैसला प्रदर्शन के आधार पर होगी।’ उन्होंने कहा, ‘प्रदर्शन सबसे अहम चीज है और हम इसी की नींव पर भारतीय क्रिकेट के भविष्य पर फैसला करेंगे। विराट इस पूरे संदर्भ में सबसे अहम व्यक्ति हैं। हम उनका समर्थन करेंगे, हम उनकी बात सुनेंगे। मैं खुद भी कप्तान रह चुका हूं इसलिए मैं समझता हूं। आपसी सम्मान होगा, राय होंगी और चर्चाएं भी होंगी और हम वही करेंगे जो खेल के लिए सर्वश्रेष्ठ होगा।’
इससे पहले खुद सौरव गांगुली ने बीसीसीआई की टीम चयन पद्धति पर सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने कहा था कि ज़्यादा से ज़्यादा खिलाड़ियों को हर फॉर्मेट में खेलने का मौक़ा दिया जाना चाहिए। गांगुली ने अजिंक्या रहाणे को वनडे टीम में शामिल नहीं किए जाने पर ट्वीट कर सवाल उठाए थे।
There are many in the squad who can play all formats ..surprised not to see shubman gill ..Rahane in the one day squad..
— Sourav Ganguly (@SGanguly99) July 24, 2019
Time has come for indian selectors to pick same players in all formats of the game for rhythm and confidence.. too few are playing in all formats ..great teams had consistent players ..it’s not about making all happy but picking the best for the country and be consistent..@bcci
— Sourav Ganguly (@SGanguly99) July 24, 2019
इसके अलावा इसी वर्ष जनवरी में भारतीय टीम के पूर्व बल्लेबाज मोहम्मद कैफ ने अब ऐसा ही मुद्दा उठाया था। टेस्ट मैचों में शानदार प्रदर्शन के बाद भी पुजारा को वनडे टीम में जगह नहीं मिलने पर उन्होंने इसी पर सवाल खड़े किये थे।
कैफ ने सोशल मीडिया पर पोस्ट में लिखा था “पिछले कुछ वर्षों में कई खिलाड़ियों को एकदिवसीय और टी-20 फॉर्म के आधार पर टेस्ट में चुना गया है। लेकिन काश, हम टेस्ट क्रिकेट में लगातार रन बनाने वाले किसी बल्लेबाज को वनडे टीम में जगह देते, वह भी तब जब वनडे में पिचें फ्लैट होती हैं।”
Over the years, have seen many players getting picked in the Test side based on ODI and T20 form. But wish we could get a player in the ODI team based on his phenomenal run scoring in Test Cricket, especially since wickets are flatter in the ODI format. #Pujara
— Mohammad Kaif (@MohammadKaif) January 8, 2019
विश्व कप के बाद दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट आई थी कि टीम दो हिस्सों में बंट चुकी है जिसमें से एक हिस्सा विराट कोहली की तरफ है तो वहीं दूसरा हिस्सा रोहित शर्मा के सपोर्ट में है, लेकिन टीम में किसी तरह का बंटवारा नहीं है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि टीम के चुनाव में पक्षपात किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया था कि टीम में केवल वही खिलाड़ी खेलते हैं जिन्हें विराट कोहली पसंद करते हैं या फिर जिन्हें प्रदर्शन के कारण टीम से बाहर नहीं किया जा सकता है, जैसे कि रोहित शर्मा या फिर जसप्रीत बुमराह। भारतीय टीम के एक खिलाड़ी की तरफ की तरफ से रिपोर्ट में आगे कहा गया कि केएल राहुल के लिए काफी ज़्यादा पक्षपात किया जाता है, भले ही उनका प्रदर्शन खराब रहे, लेकिन उन्हें मैनेजमेंट का सपोर्ट हमेशा मिलता है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि अंबाती रायडू को केवल इसलिए वर्ल्ड कप टीम में नहीं चुना गया क्योंकि वह विराट कोहली को बिल्कुल पसंद नहीं करते थे। रिपोर्ट में आगे यह भी बताया गया कि टीम के ज़्यादातर खिलाड़ी कोच रवि शास्त्री औऱ गेंदबाजी कोच भरत अरुण से खुश नहीं हैं और वे उन्हें टीम से बाहर देखना चाहते हैं।
2017 में पाकिस्तान के खिलाफ चैंपियन्स ट्रॉफी का फाइनल गंवाने के बाद अनिल कुंबले को भारतीय टीम के कोच पद को जबरदस्ती छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था और उसके बाद ही रवि शास्त्री भारत के कोच बने थे। कुंबले ने सोशल मीडिया पर खुलासा किया था कि विराट कोहली के साथ अच्छे संबंध नहीं होने के कारण ही उन्हें कोच पद से इस्तीफा देना पड़ा था और शास्त्री को दोबारा कोच बनाए जाने का कोहली ने सपोर्ट किया था। उस समय अनिल कुंबले की कड़ी अनुशासन की वजह से विराट से अनबन हो गयी थी। यहाँ तक कि 2017 चैम्यिपंस ट्रॉफी से ठीक पहले विराट कोहली ने भारतीय क्रिकेट बोर्ड के सीईओ राहुल जौहरी को एक एसएमएस कर दिया- ‘ही इज ओवरबियरिंग।’
अब जब गांगुली ने खुद BCCI अध्यक्ष पद संभाल लिया है तब इस प्रकार कि गुटबाजी, पक्षपात और अनुशासन हीनता को काबू में किए जाने की उम्मीद है। यह इस इसलिए भी कहा जा सकता है क्योंकि सौरव गांगुली ने अपने कप्तानी के दौरान टीम में सचिन, द्रविड़, कुंबले जैसे सीनियर खिलाड़ियों के रहते टीम को एकजुट कर रखा और सभी को एक साथ लेकर चले और सफल भी रहे। किसी भी खिलाड़ी का घरेलू और अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन ही उनके चयन का आधार बनेगा जो टीम के लिए भी अच्छी खबर है। किसी के कोच या कप्तान का फेवरेट रहने पर टीम में जगह नहीं मिलने वाली है। बीसीसीआई और भारतीय टीम दोनों में ही अनुशासन की कमी थी। इस हालात में बीसीसीआई को एक मजबूत बोर्ड अध्यक्ष की जरूरत थी जो अब सौरव गांगुली के रूप में मिल चुकी है। सौरव ने भी निराश न करते हुए विराट को एक कड़ा संदेश दे दिया है कि अब वह अपने तरीके से काम करेंगे और भारतीय टीम को एक नई ऊंचाई पर ले जाएंगे।