अमेरिका, आज दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और इसके साथ ही उसके पास इस दुनिया की सबसे ताकतवर सेना भी है। यही कारण है कि आज कोई भी देश उसके साथ पंगा नहीं लेना चाहता और अगर कोई ऐसा करने का दुस्साहस करता भी है तो अमेरिका उसे आर्थिक चोट पहुंचाने में ज़रा भी समय नहीं लगाता। ईरान, वेनज़ुएला, नॉर्थ कोरिया और रूस के मामले में हम ऐसा देख चुके हैं। वहीं इसका एक और उदाहरण हमें तब भी देखने को मिला था जब तुर्की ने एक अमेरिकी नागरिक को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। अमेरिका ने बदले में तुर्की पर ऐसे कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे कि तुर्की की अर्थव्यवस्था की साँसे फूलने लगी थी। देखा आपने, अमेरिका अपनी अर्थव्यवस्था को कैसे एक हथियार की तरह इस्तेमाल करता है। हालांकि, पीएम मोदी के नेतृत्व वाला भारत भी अब अपनी अर्थव्यवस्था को ऐसे ही एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है और इसका सबसे पहला और बड़ा शिकार मलेशिया हुआ है।
दरअसल, जैसे ही पिछले महीने यूएन में मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने कश्मीर का मुद्दा उठाया था, तभी से नई दिल्ली मलेशिया पर भड़की हुई है और उसके खिलाफ बड़ा एक्शन लेने की तैयारी कर रही है। इसी कड़ी में कुछ दिनों पहले रॉयटर्स ने यह खबर प्रकाशित की, कि भारत मलेशिया से होने वाले आयात पर प्रतिबंध लगा सकता है, जिसके बाद भारतीय ऑयल रिफाइनर्स ने मलेशिया से आयात होने वाले पाम ऑयल का बहिष्कार कर दिया था। बता दें कि भारत प्रतिवर्ष 90 लाख टन पाम ऑयल का आयात करता है और जिन देशों से भारत आयात करता है उसमें मलेशिया और इंडोनेशिया प्रमुख हैं। इसी पाम ऑयल के आयात को भारत सरकार मलेशिया से हटकर अब इंडोनेशिया पर केंन्द्रित करने पर विचार कर रही है।
इससे लगभग 3 करोड़ लोगों को रोजगार देने वाली मलेशिया की पाम ऑयल इंडस्ट्री को गहरा धक्का पहुंचा है। भारत मलेशिया से बहुत बड़ी मात्रा में पाम ऑयल इम्पोर्ट करता है, और ऐसे में जब भारतीय इंपोर्ट्स ने मलेशियन पाम ऑयल का इम्पोर्ट बंद किया तो मलेशिया को इससे बड़ी तकलीफ पहुंची है।
इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि अब मलेशिया सरकार के रुख में बड़ी नरमी देखने को मिल रही है और वहां के प्राथमिक उद्योग के मंत्री भारत से इम्पोर्ट बढ़ाने की बात कर रहे हैं। इसके अलावा पिछले दिनों मलेशिया के पीएम महातिर मोहम्मद ने भी कहा था कि वे भारत के साथ अपने सभी तनावों को राजनयिक तरीकों से हल करने की कोशिश करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा था कि भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर कोई एक्शन नहीं लिया है और भारतीय रिफाइनर्स ने अपने आप से ही मलेशिया के पाम ऑयल का बहिष्कार कर दिया है, जिसके कारण मलेशिया की पाम ऑयल इंडस्ट्री को बड़ा झटका पहुंच सकता है।
ठीक अमेरिका की तरह ही भारत ने यह दिखा दिया है कि अगर कोई देश उसके हितों के खिलाफ काम करेगा तो वह उस पर बिना एक गोली चलाये अपने सामने घुटने टेकने पर मजबूर कर सकता है। बता दें कि अमेरिका की तरह ही चीन भी अपनी बड़ी अर्थव्यवस्था को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करता है। ताइवान इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। चीन समय-समय पर ताइवान के साथ अच्छे रिश्ते रखने वाले देशों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की धमकी देता रहता है, और अपनी आर्थिक शक्ति के दम पर ही वह ताइवान को कूटनीतिक तौर पर पूरी दुनिया में अलग-थलग करने में सफल रहा है। अब ऐसा ही भारत भी कर रहा है। अब भारत ने भी यह साफ कर दिया है कि बड़ी महाशक्तियों की तरह ही वह भी अपनी अर्थव्यवस्था को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर किसी भी देश को लाइन पर आने को मजबूर कर सकता है।